जायरा वसीम वाले मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है. अब सामने आरोपी विकास सचदेव की बीवी आ गई हैं. उनका कहना है कि विकास बेगुनाह है और उनका कसूर सिर्फ इतना है कि वो सो गए थे और उनका पैरा जायरा वसीम की कुर्सी पर चला गया था. एक अन्य साथी पैसेंजर का भी बयान सामने आया है कि विकास तो अपनी सीट पर बैठते ही सो गए थे. फिर molest कब किया, ये नहीं पता.
जायरा वसीम ने विकास पर खराब तरीके से छूने (inappropriate touch) का आरोप लगाया है. आखिर क्या है ये खराब तरीके से छूना? ये शर्म की बात है कि हमारे जैसे देश में जहां बच्चों और महिलाओं के लिए अपराध के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं, वहां कभी गुड टच और बैड टच पर बात नहीं की जाती है. नतीजा यह है कि अभी यह तय ही नहीं हो पाया है कि क्या आपत्तिजनक है और क्या नहीं. पीडि़त की बात को ज्यादा गंभीरता मिले या आरोपी के बचाव को. इस बहस में बनाया जाने वाला बैलेंस कहीं बात तो नहीं बिगाड़ रहा है? कहीं इस मामले की गंभीरता पर पानी तो नहीं डाल रहा है ?
बात तो ये भी है कि बच्चों ही नहीं, बड़ा होने तक लड़कियों के सामने यह स्पष्ट नहीं होता कि यदि कोई गलत तरीके से छू ले तो क्या करना है? कभी उनसे पूछा नहीं जाता कि आखिर कभी उनके साथ ऐसा तो नहीं हुआ...
इससे कई बार लोगों को ये लगता है कि उन्हें गलत तरीके से छुआ गया जबकि ऐसा नहीं होता और कई बार तो लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें गलत तरीके से छुआ गया है. ऑफिस हो, होटल हो, मार्केट हो या फिर स्कूल ये कहीं भी हो सकता है.
तो कैसे पता करें कि कोई गलत तरीके से छू रहा है?
आपकी मर्जी के बिना कोई आपको छू रहा है तो यकीनन अलार्म होने की जरूरत है. कोई गुप्तांगो को छू रहा है या फिर किसी न किसी तरह से बार-बार आपके शरीर के किसी हिस्से को निशाना बना रहा है तो...
जायरा वसीम वाले मामले ने एक नया मोड़ ले लिया है. अब सामने आरोपी विकास सचदेव की बीवी आ गई हैं. उनका कहना है कि विकास बेगुनाह है और उनका कसूर सिर्फ इतना है कि वो सो गए थे और उनका पैरा जायरा वसीम की कुर्सी पर चला गया था. एक अन्य साथी पैसेंजर का भी बयान सामने आया है कि विकास तो अपनी सीट पर बैठते ही सो गए थे. फिर molest कब किया, ये नहीं पता.
जायरा वसीम ने विकास पर खराब तरीके से छूने (inappropriate touch) का आरोप लगाया है. आखिर क्या है ये खराब तरीके से छूना? ये शर्म की बात है कि हमारे जैसे देश में जहां बच्चों और महिलाओं के लिए अपराध के मामले बढ़ते चले जा रहे हैं, वहां कभी गुड टच और बैड टच पर बात नहीं की जाती है. नतीजा यह है कि अभी यह तय ही नहीं हो पाया है कि क्या आपत्तिजनक है और क्या नहीं. पीडि़त की बात को ज्यादा गंभीरता मिले या आरोपी के बचाव को. इस बहस में बनाया जाने वाला बैलेंस कहीं बात तो नहीं बिगाड़ रहा है? कहीं इस मामले की गंभीरता पर पानी तो नहीं डाल रहा है ?
बात तो ये भी है कि बच्चों ही नहीं, बड़ा होने तक लड़कियों के सामने यह स्पष्ट नहीं होता कि यदि कोई गलत तरीके से छू ले तो क्या करना है? कभी उनसे पूछा नहीं जाता कि आखिर कभी उनके साथ ऐसा तो नहीं हुआ...
इससे कई बार लोगों को ये लगता है कि उन्हें गलत तरीके से छुआ गया जबकि ऐसा नहीं होता और कई बार तो लोगों को पता ही नहीं चलता कि उन्हें गलत तरीके से छुआ गया है. ऑफिस हो, होटल हो, मार्केट हो या फिर स्कूल ये कहीं भी हो सकता है.
तो कैसे पता करें कि कोई गलत तरीके से छू रहा है?
आपकी मर्जी के बिना कोई आपको छू रहा है तो यकीनन अलार्म होने की जरूरत है. कोई गुप्तांगो को छू रहा है या फिर किसी न किसी तरह से बार-बार आपके शरीर के किसी हिस्से को निशाना बना रहा है तो ये बैड टच में आएगा. ऐसा करने वाला कोई भी हो सकता है. कोई अनजान, कोई पहचान वाला, दोस्त, रिश्तेदार कोई भी हो सकता है इसमे शामिल. बिना अनुमती गले लगाया या फिर हाथ पकड़ लेना और बार-बार कहने पर छोड़ना नहीं भी एक तरह का बैड टच ही है.
क्या ये Sexual harassment होगा?
सेक्शुअल हैरेस्मेंट में फिजिकल कॉन्टैक्ट और फायदा उठाना, साथ ही किसी भी तरह का फिजिकल नॉन वर्बल काम जो सेक्शुअल नेचर का हो इस कैटेगरी में आएगा. इसलिए बैड टच भी एक तरह का सेक्शुअल हैरेस्मेंट ही कहा जाएगा.
क्या कानून है इसके खिलाफ?
इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 354 के तहत किसी भी तरह की हरकत जो किसी महिला की इज्जत के साथ खिलवाड़ की तरह की गई है (सेक्शुअल हैरेस्मेंट) या ऐसा कुछ जिससे लगता हो कि आगे की आने वाले समय में किसी हरकत से किसी महिला की इज्जत पर किसी भी तरह का हमला होगा उस केस में किसी इंसान पर फाइन लगाया जा सकता है या फिर दो साल तक की जेल की जा सकती है या फिर दोनो किया जा सकता है.
सेक्शन 294 में IPC में ये भी लिखा है कि अगर कोई इंसान किसी को खिजाने या परेशान करने के लिए कोई अश्लील हरकत सार्वजनिक जगह पर करे तो उसे या तो फाइन या फिर 3 महीने की जेल या दोनों का दंड दिया जा सकता है. ये प्रावधान 14वें चैप्टर में भी दिया गया है जो 'ऐसे जुर्म जो पब्लिक हेल्थ और सुरक्षा के लिए सही नहीं हैं' में भी दिया गया है.
बच्चों के लिए और भी खतरनाक..
बच्चों के लिए ये और भी ज्यादा खतरनाक है. परिवार का ही कोई इंसान बच्चों का फायदा बड़ी आसानी से उठा सकता है. न जाने कितनी ही बार ऐसे मामले सामने आए हैं जहां बच्चों के साथ घर-परिवार के किसी सदस्य ने रेप किया हो. अगर कोई मामला सामने नहीं भी आता तो भी सभ्य समाज बनाने वाले लोगों की भीड़ में कई चेहरे ऐसे होंगे जो यकीनन बचपन में किसी अपने का शिकार हुए होंगे. बच्चों को गुड टच और बैड टच सिखाना बहुत जरूरी हो गया है.
एक तरह से खुद ही सोचिए वो समय जब न तो बच्चे स्कूल में सुरक्षित हैं न घर पर उन्हें ये समझाना कि किसी और के छूने पर कैसा वर्ताव करना चाहिए बहुत जरूरी है. बच्चों से बात करना भी बहुत जरूरी है. किसी घटना का या किसी इंसान का डर अगर बच्चे के मन में है तो वो खुलकर नहीं बोलता.
बुरी बात ये है कि बच्चे हों या बड़े ऐसे लोग जिनका सेक्शुअल हैरेस्मेंट हुआ है उन्हें अक्सर खुद गुनेहगार बनाया जाता है. चाहें बेंगलुरू मास मॉलेस्टेशन का केस हो या फिर दिल्ली के किसी ऑफिस में बैठी किसी आम लड़की का. विक्टिम शेमिंग तो भारतीय सभ्यता का हिस्सा ही है. कई मामलों में तो विक्टिम को डरा-धमका कर चुप करवा दिया जाता है. कई बार लोक-लाज की भावना मन में आ जाती है. पर शायद यही वक्त होता है जब अपने डर को और झिझक को पीछे छोड़ आगे बढ़ना होता है.
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.