श्रद्धा वॉकर (Shraddha Walker) मर गई. अपनी गलती से मर गई. उसने माता-पिता की बात नहीं मानी, मर गई. उसने अपने प्यार पर भरोसा किया, मर गई. वह लिव इन में रही, मर गई. उसे आफताब पूनावाला (Aaftab Amin Poonawala) पर आंख बंद यकीन नहीं करना था. उसे माता-पिता से टच में रहना चाहिए था. जब आफताब ने उसे पहली बार मारा उसे घर लौट आना था.
और करे कटुए से प्यार, अच्छा हुआ मर गई सबक मिल गया, इन जैसों का यही हाल होता है. खुद को मॉर्डन कहने के नाम पर ओछी हरकत करने वाले को सबक तो मिलना ही था...
जो लड़की अपनी मां-बाप की बात नहीं सुनेगी उसके साथ ये तो होना ही था...लड़कियों को ज्यादा छूट नहीं मिलनी चाहिए. उन्हें अपनी हद नहीं भूलनी चाहिए. घरवाले सही कहते हैं जो लड़की उनकी नहीं सुनेगी उसका हाल श्रद्धा की तरह ही होगा.
वो आफताब के जुर्म क्यों बर्दाश्त कर रही थी? उसने ऑफताब को छोड़ा क्यों नहीं? बड़ी आशिकी सूझ रही थी, मिल गई ना सजा...आजकल की लड़कियां किसी की सुनती कहां है? लड़कियों को अपने संस्कार का पालन करना चाहिए. श्रद्धा अगर बहादुर होती तो आज जिंदा होती...ब्ला-ब्ला ब्ला...
श्रद्धा तो मर गई मगर अपने पीछे एक अनसुनी कहानी छोड़ गई. जिसकी गुत्थी सुलझनी अभी बाकी है. ना जाने उसके साथ क्या हुआ होगा? हम सब कयास की लगा रहे हैं पता नहीं उसने क्या कुछ सहा होगा? जिसके बारे में हमें मालूम नहीं था. मगर इतना तो पता है कि उसने किसी को टूट कर चाहा था, उसका हाथ थामे उसने दुनिया से बगावत कर लिया था. वह प्यार में थी और प्यार में पड़ी लड़कियां अक्सर बावरी हो जाती हैं.
श्रद्धा मर गई उसके शरीर के टुकड़े किए गए. मगर मरने के...
श्रद्धा वॉकर (Shraddha Walker) मर गई. अपनी गलती से मर गई. उसने माता-पिता की बात नहीं मानी, मर गई. उसने अपने प्यार पर भरोसा किया, मर गई. वह लिव इन में रही, मर गई. उसे आफताब पूनावाला (Aaftab Amin Poonawala) पर आंख बंद यकीन नहीं करना था. उसे माता-पिता से टच में रहना चाहिए था. जब आफताब ने उसे पहली बार मारा उसे घर लौट आना था.
और करे कटुए से प्यार, अच्छा हुआ मर गई सबक मिल गया, इन जैसों का यही हाल होता है. खुद को मॉर्डन कहने के नाम पर ओछी हरकत करने वाले को सबक तो मिलना ही था...
जो लड़की अपनी मां-बाप की बात नहीं सुनेगी उसके साथ ये तो होना ही था...लड़कियों को ज्यादा छूट नहीं मिलनी चाहिए. उन्हें अपनी हद नहीं भूलनी चाहिए. घरवाले सही कहते हैं जो लड़की उनकी नहीं सुनेगी उसका हाल श्रद्धा की तरह ही होगा.
वो आफताब के जुर्म क्यों बर्दाश्त कर रही थी? उसने ऑफताब को छोड़ा क्यों नहीं? बड़ी आशिकी सूझ रही थी, मिल गई ना सजा...आजकल की लड़कियां किसी की सुनती कहां है? लड़कियों को अपने संस्कार का पालन करना चाहिए. श्रद्धा अगर बहादुर होती तो आज जिंदा होती...ब्ला-ब्ला ब्ला...
श्रद्धा तो मर गई मगर अपने पीछे एक अनसुनी कहानी छोड़ गई. जिसकी गुत्थी सुलझनी अभी बाकी है. ना जाने उसके साथ क्या हुआ होगा? हम सब कयास की लगा रहे हैं पता नहीं उसने क्या कुछ सहा होगा? जिसके बारे में हमें मालूम नहीं था. मगर इतना तो पता है कि उसने किसी को टूट कर चाहा था, उसका हाथ थामे उसने दुनिया से बगावत कर लिया था. वह प्यार में थी और प्यार में पड़ी लड़कियां अक्सर बावरी हो जाती हैं.
श्रद्धा मर गई उसके शरीर के टुकड़े किए गए. मगर मरने के बाद भी उसे चैन नहीं मिला. हर तरफ उसके नाम की छीछालेदर हो रही है. सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें तैर रही हैं. जिसे मन करता है वही उसे कोस कर चला जाता है. कुछ लोगों के मन में उसके लिए सहानुभूति है मगर वे भी मानते हैं कि उसे अपने माता-पिता की बात सुननी चाहिए थी. लोगों का कहना है कि अगर वह अपने माता-पिता की बात सुन ली होती तो आज जिंदा होती. मगर श्रद्धा को कैसे पता था कि जो लड़का उसे जी जान से चाहने की बात करता है वह उसकी हत्या कर देगा?
खैर, जो लोग श्रद्धा के मरने के बाद उसे ज्ञान दे रहे हैं, उसे कोस रहे हैं वे लोग आयुषी हत्याकांड के बारे में क्या कहेंगे?
आयुषी की हत्या तो उसके पिता ने कर दी. उसने अपनी ही बेटी के सीने पर दो गोलियां मार दीं और उसकी लाश को लाल ट्रॉली बैग में रखकर यमुना एक्सप्रेस वे पर फेंक आया. हैरानी की बात यह है कि बेटी की हत्या में मां भी शामिल है. जिस मां ने बेटी को जन्म दिया उसने उसका मरना कैसे बर्दाश्त कर लिया?
आय़ुषी की गलती यह थी कि उसने भरतपुर के छत्रपाल नामक लड़के से प्यार किया था औऱ पिछले महीने अक्टूबर में उसने आर्यसमाज मंदिर में शादी कर ली थी. पूछताछ में पिता ने बताया कि उसके चाल-चलन ठीक नहीं थे. वह घर से चली जाती थी. हमारी बदनामी हो रही थी.
आपको भी पता है कि ऑनर किलिंग का यह पहना मामला नहीं है. परिवार की इज्जत के नाम पर लोग अपने ही बच्चों को मौत के घाट उतार देते हैं. श्रद्धा मामले में हम उसके मां-बाप के नाम की दुहाई दे रहे थे, यहां तो आयुषी के मां-बाप ने ही उसे मार डाला.
आयुषी चाहती तो शादी के बाद अपने पति के साथ रह सकती थी मगर उसने अपने मां-बाप के साथ रहना चुना था. वह तो अपने घर में थी. उसे तो सुरक्षित रहना चाहिए था मगर जब अपने ही जान लेने लगे तो कोई क्या ही कर सकता है?
दोनों कहानी में लड़कियों की जान चली गई. एक को प्रेमी ने मार डाला तो दूसरी को पिता ने...दोनों ने नहीं सोचा होगा कि उनके अपने ही उनकी जान ले लेंगे. कैसे कहा जाए कि श्रद्धा गलत थी? आयुषी तो अपने मां-बाप के घऱ में ही थी, फिर भी उसकी जान ले ली गई? आखिर लड़कियों के लिए कौन सा रिश्ता औऱ कौन सी जगह सुरक्षित है?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.