कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि मुंबई के एक पब में आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई थी. खास बात ये है कि इसमें हुई मौतें आग की वजह से नहीं बल्कि दम घुटने से हुई थी. ऐसे ही कुछ महीनों पहले मुंबई के एलफिस्टन में हुई भगदड़ में 22 लोगों की मौत हो गई थी. इस तरह की घटनाएं आजकल बहुत आम हो गई हैं.
अब कल ही राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर नए साल का जश्न मनाने के लिए 2.5 लाख पहुंच गए. पूरी दिल्ली में जाम लग गया. ऐसे में एक छोटी सी अफवाह या एक छोटी सी घटना कब भगदड़ का रुप ले लेती पता भी नहीं चलता. प्रशासन के लिए इतनी भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा था. तो बहुत मुमकिन था कि कोई भी घटना घट सकती थी.
अब किसी डर से इंसान जीवन जीना तो नहीं छोड़ सकता लेकिन सतर्क तो हमेशा रहना चाहिए. क्योंकि घटनाएं, दुर्घटनाएं कभी बताकर नहीं आती. ऐसे में चलिए आपको बताएं कि अगर आप किसी तरह के भगदड़ में फंस गए तो क्या करें या क्या न करें-
क्या करें-
1- एक्जिट यानी बाहर के दरवाजे पर नजर रखें:
अगर किसी सिनेमा हॉल में, पब में, ऑफिस में हैं तो हमेशा पता रखे की इसका बाहर निकलने का दरवाजा किधर है और कितना है. ये हमेशा ध्यान रखें की जरुरी नहीं कि आप जिस रस्ते से आए हैं वही बाहर जाने का भी रास्ता हो या एकमात्र वही रास्ता हो. इसलिए आप जहां पर हैं वहां से निकटतम बाहरी दरवाजा किधर है उस पर ध्यान दें.
उस जगह से बाहर जाने के दूसरे दरवाजों को ध्यान से देखें और ये सुनिश्चित कर लें कि उनमें से किसी को भी खुलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही. और अगर कोई दरवाजा बंद है या फिर उसमें किसी तरह की दिक्कत है तो तुरंत वहां के अधिकारी को बताएं. अगर वो आपकी बात नहीं सुनते...
कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि मुंबई के एक पब में आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई थी. खास बात ये है कि इसमें हुई मौतें आग की वजह से नहीं बल्कि दम घुटने से हुई थी. ऐसे ही कुछ महीनों पहले मुंबई के एलफिस्टन में हुई भगदड़ में 22 लोगों की मौत हो गई थी. इस तरह की घटनाएं आजकल बहुत आम हो गई हैं.
अब कल ही राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर नए साल का जश्न मनाने के लिए 2.5 लाख पहुंच गए. पूरी दिल्ली में जाम लग गया. ऐसे में एक छोटी सी अफवाह या एक छोटी सी घटना कब भगदड़ का रुप ले लेती पता भी नहीं चलता. प्रशासन के लिए इतनी भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा था. तो बहुत मुमकिन था कि कोई भी घटना घट सकती थी.
अब किसी डर से इंसान जीवन जीना तो नहीं छोड़ सकता लेकिन सतर्क तो हमेशा रहना चाहिए. क्योंकि घटनाएं, दुर्घटनाएं कभी बताकर नहीं आती. ऐसे में चलिए आपको बताएं कि अगर आप किसी तरह के भगदड़ में फंस गए तो क्या करें या क्या न करें-
क्या करें-
1- एक्जिट यानी बाहर के दरवाजे पर नजर रखें:
अगर किसी सिनेमा हॉल में, पब में, ऑफिस में हैं तो हमेशा पता रखे की इसका बाहर निकलने का दरवाजा किधर है और कितना है. ये हमेशा ध्यान रखें की जरुरी नहीं कि आप जिस रस्ते से आए हैं वही बाहर जाने का भी रास्ता हो या एकमात्र वही रास्ता हो. इसलिए आप जहां पर हैं वहां से निकटतम बाहरी दरवाजा किधर है उस पर ध्यान दें.
उस जगह से बाहर जाने के दूसरे दरवाजों को ध्यान से देखें और ये सुनिश्चित कर लें कि उनमें से किसी को भी खुलने में कोई दिक्कत नहीं हो रही. और अगर कोई दरवाजा बंद है या फिर उसमें किसी तरह की दिक्कत है तो तुरंत वहां के अधिकारी को बताएं. अगर वो आपकी बात नहीं सुनते तो पुलिस से संपर्क करें.
कोई घटना होने पर जिधर भीड़ जा रही है उसी और भागने के बजाए आपको पता है कि बाहर जाने का दरवाजा किधर है. तब आपको पता होगा कि किधर जाना है.
2- दिमाग को शांत रखें:
सुनने में ये भले अटपटा लगे लेकिन ये रामबाण इलाज है. अपने आसपास के हर इंसान को परेशान, चीखते, चिल्लाते देखते हुए आपका भी परेशान होना जायज है. ऐसे में शांत रहना और दिमाग ठंडा रखने के लिए कहना बेमानी है. जब हर कोई भाग रहा हो, चीख रहा हो, चिल्ला रहा हो तो आप भी भीड़ को धक्का देते हुए भागने का प्रयास करते हैं. लेकिन आप कहीं जा नहीं पाते. इससे गुस्सा और फ्रस्ट्रेशन ही बढ़ता है.
लेकिन भगदड़ के समय कोशिश करें की खुद तो शांत रहें ही साथ वालों को भी शांत करने की कोशिश करें. इस विपदा में आप सभी फंसे हैं और निकलने का उपाय भी सबको मिलकर ही खोजना ही होगा. इसलिए लोगों से बात करते रहें और व्यवहार भी दोस्ताना रखें.
3- निर्देशों का पालन करें:
भले ही उस वक्त सिक्योरिटी गार्ड आपको अपना दुश्मन लग रहा हो लेकिन उन्हें इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए ट्रेनिंग दी गई होती है. तो उनपर भरोसा कीजिए और उनके निर्देशों का पालन कीजिए. याद रखें उनके पास इस तरह की घटनाओं से निपटने का प्लान तैयार होता है और वो इसकी रिहर्सल भी करते रहते हैं.
4- अपने हाथ अपनी छाती पर रखें:
भगदड़ के समय अपने दोनों हाथ किसी बॉक्सर की तरह अपनी छाती से लगाकर रखें. अगर भीड़ ज्यादा है तो वो आपको दबा सकते हैं लेकिन अगर आपने अपना हाथ अपनी छाती पर रखा हुआ तो भीड़ के दबाव से बच सकते हैं.
5- अपना बैलेंस बनाकर रखें:
अगर भीड़ और भगदड़ की वजह से आपको बेहोशी सा महसूस होने लगे तो अपने नजदीकी व्यक्ति को हाथ बढ़ाकर पकड़ लें. उन्हें आंखों से ही इशारा करें ताकि मदद मिल सके. अगर किसी दीवार के पास हैं तो दीवार का सहारा लेकर खड़े हो जाएं.
अपनी सुरक्षा का ख्याल रखते हुए दुसरों की सहायता करें. अगर कोई और गिरता हुआ दिखे या फिर गिर गया है तो हो सके तो उसकी सहायता करें. क्योंकि एक इंसान के गिर जाने से पीछे आने वाले लोगों के भी गिरने का खतरा रहेगा जिससे स्थिति खराब हो सकती है.
6- आग लगने की स्थिति में क्या करें?
अगर आप किसी बिल्डिंग में फंस गए हैं जहां आग लग गई है तो सबसे पहले नीचे झुक जाएं और अपने चेहरे को ढंक लें. आग लगने की स्थिति में सबसे ज्यादा मौतें दम घुटने की वजह से होती हैं. इसके बाद जमीन पर रेंगते हुए बाहर निकलने की कोशिश करें.
अगर आप आग की चपेट में आ गए हैं तो रुक जाएं और जमीन पर लेटकर घूमने लगें. आग को धधकने के लिए ऑक्सीजन की जरुरत की होती है. नीचे लेटकर आप ऑक्सीजन की सप्लाई बंद कर देंगे और आग बुझ जाएगी.
7- आसानी से पहचाने जाने वाले कपड़े पहनें:
कपड़े ऐसे पहने जिसे आपको दोस्त या रिश्तेदार दूर से ही पहचान जाएं. या फिर उन्हें आपको पहचानने में कोई दिक्कत न हो. अंदर जाने से पहले सारे लोग एक जगह सुनिश्चित कर लें कि यदि किसी दुर्घटना में फंस जाएं तो बाहर आकर कहां मिलेंगे. साथ ही अपने दोस्तों के कपड़ों का भी ध्यान रखें.
क्या न करें-
1- अपने आप को थका न लें:
थकान से दुर्घटना के समय आपका रिएक्ट करने का टाइम तो ज्यादा होगा ही, साथ ही आप अपने दिमाग को ठंडा भी नहीं रख पाएंगे. इसलिए भगदड़ के समय चीखें, चिल्लाएं नहीं. धक्का मुक्की न करें. अगर आपको किसी से कोई बात करनी ही है या कोई मैसेज देना है तो इशारों में दें. क्योंकि उस भीड़ और शोर में आपकी आवाज सुन पाना सामने वाले के लिए मुश्किल होगी. अगर हाथ का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे तो आंखों से इशारा करें.
2- किसी को खोजने की कोशिश न करें:
दुर्घटना के समय सुरक्षाकर्मियों, पुलिस या इमरजेंसी सर्विस वालों के निर्देशों का पालन करें. इसमें आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है पर सुरक्षित निकलने के चांस बढ़ जाएंगे.
3- पूरी कोशिश करें की गिरें नहीं:
हालांकि ये पूरी तरीके से आपके हाथ में नहीं होगी लेकिन फिर भी जहां तक संभव हो खड़े रहने की कोशिश करें. अगर आप गिर गए तो दोबारा उठना नामुमकिन हो सकता है. और अगर किसी को गिरा हुआ देखें तो उसे उठाएं.
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