धनतेरस के दिन योगी अपने गढ़ गोरखपुर में थे. गोरक्षपीठ, जहां के वे महंत हैं, वहां शहीदों की याद में दीपदान का कार्यक्रम हुआ. इस दौरान कड़क माने जाने वाले योगी की आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी. मीडिया के कैमरे थे, तो वीडियो का वायरल होना लाजिमी था. उस समय बेहद ही बॉर्डर फिल्म का गाना, “संदेसे आते हैं...कि पूछे जाते हैं...कि घर कब आओगे...”
कार्यक्रम शहीदों की याद में था और गीत भी फौजियों से जुड़ा हुआ है इसलिए किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का भवुक हो जाना कोई बड़ी बात नही है. लेकिन यहाँ भावुक होने वाला यूपी जैसे बड़े राज्य का सीएम था. ऐसे में खबर बनना लाजिमी है. फौजियों की कुर्बानी की दास्तां सुनकर किसी का भी दिल रो पड़ेगा, लेकिन योगी के रोने की वजह सिर्फ और सिर्फ यही नहीं थी.
योगी के भाई भी हैं फौजी
गाने को सुनिए और योगी के जीवन को देखिये आपको समझ में आ जायेगा, योगी क्यों भावुक हुए और क्यों उनकी आंखों से अश्रुधारा निकल पड़ी. एक तो योगी ढाई दशकों से अपने परिवार से दूर हैं और दूसरी सबसे बड़ी वजह खुद उनके छोटे भाई शैलेन्द्र मोहन बिष्ट एक फौजी हैं. आज से 25 साल पहले योगी अजय सिंह बिष्ट हुआ करते थे और आम भारतीयों की तरह अपने माता-पिता के साथ रहा करते थे. अचनका उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया...
धनतेरस के दिन योगी अपने गढ़ गोरखपुर में थे. गोरक्षपीठ, जहां के वे महंत हैं, वहां शहीदों की याद में दीपदान का कार्यक्रम हुआ. इस दौरान कड़क माने जाने वाले योगी की आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी. मीडिया के कैमरे थे, तो वीडियो का वायरल होना लाजिमी था. उस समय बेहद ही बॉर्डर फिल्म का गाना, “संदेसे आते हैं...कि पूछे जाते हैं...कि घर कब आओगे...”
कार्यक्रम शहीदों की याद में था और गीत भी फौजियों से जुड़ा हुआ है इसलिए किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का भवुक हो जाना कोई बड़ी बात नही है. लेकिन यहाँ भावुक होने वाला यूपी जैसे बड़े राज्य का सीएम था. ऐसे में खबर बनना लाजिमी है. फौजियों की कुर्बानी की दास्तां सुनकर किसी का भी दिल रो पड़ेगा, लेकिन योगी के रोने की वजह सिर्फ और सिर्फ यही नहीं थी.
योगी के भाई भी हैं फौजी
गाने को सुनिए और योगी के जीवन को देखिये आपको समझ में आ जायेगा, योगी क्यों भावुक हुए और क्यों उनकी आंखों से अश्रुधारा निकल पड़ी. एक तो योगी ढाई दशकों से अपने परिवार से दूर हैं और दूसरी सबसे बड़ी वजह खुद उनके छोटे भाई शैलेन्द्र मोहन बिष्ट एक फौजी हैं. आज से 25 साल पहले योगी अजय सिंह बिष्ट हुआ करते थे और आम भारतीयों की तरह अपने माता-पिता के साथ रहा करते थे. अचनका उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जब उन्हें अपने परिवार को छोड़ना पड़ा और फिर योगी उस घर में कभी वापस नहीं गए.
योगी के घर छोड़ने की ये है कहानी
योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट और मां सावित्री देवी मामूली किसान के रूप में जीवन व्यतीत करते हैं. इनका परिवार उत्तरखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक स्थित पंचूर गांव में गांव में रहता है. योगी जब बीएससी कर रहे थे तभी उनके रिश्ते के मामा और गोरक्षपीठ के पूर्व पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें दीक्षा दी और अपने साथ गोरखपुर ले आए और तभी से वे अजय सिंह बिष्ट की जगह योगी आदित्यनाथ के नाम से पुकारे जाने लगे. जैसे ही उनके माता पिता को यह बात मालूम पड़ी तो वे अपने अजय बिष्ट को वापस लाने गोरखपुर पहुंचे, लेकिन योगी बन चुके अजय निष्ठुर हो चुके थे और वापस सांसारिक दुनिया में जाने से मना कर दिया.
योगी की बहन आज भी कर रहीं हैं उपहारों का इंतजार
योगी की तीन बहनों में सबसे छोटी बहन शशि ऋषिकेश के पास पार्वती मंदिर के बाहर फूलों और चाय की दूकान चलाकर परिवार का भरण-पोषण करती हैं. वे मंदिर के बाहर भक्तों के लिए प्रसाद और फूलों की माला बेच अपना खर्च चलाती चलाती हैं. वे भी अपने भाई योगी आदित्यनाथ से पिछले 27 सालों से नहीं मिली हैं. योगी ने बचपन में इस बहन से वादा किया था कि बड़ा होकर खूब कमाऊंगा तो तुम्हे बहुत से उपहार दूंगा. बहन आज भी उन उपहारों का इंतजार कर रही है.
योगी के बारे में जानने के बाद कोई भी इस गाने के बजने पर योगी के रोने की असली और दोहरी वजह आसानी से समझ सकता है. आज भी उनकी बूढ़ी मां बेटे को अपनी आंखों के सामने देखना चाहती है और पूछती है घर कब आओगे. दूसरी वजह छोटे भाई का फौजी होना. एक तो योगी घर-परिवार छोड़ चुके हैं और भाई फौज में. ऐसे में अंदाजा लगाइए कि इन भाइयों की मुलाकात कैसे होती होगी या फिर योगी के घर छोड़ने के बाद हुई भी कि नहीं ये केवल ये दोनों भाई ही बता सकते हैं.
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