इस साल मेरे जन्मदिन पर मेरी सखी ने मुझे बड़ा प्यारा उपहार दिया. मैंने गिफ्ट पैक खोला तो उसमें से लाफिंग बुद्धा की छोटी सी मूर्ति निकली. इसमें लाल रंग की पोशाक लाफिंग बुद्धा गजब के लग रहे थे. उनका पेट गोलमटोल और एक हाथ में थैला था. उन्हें देखते ही उनके बारे में जानने की उत्सुकता हुई. अपनी सखी से पूछा तो उसे भी बहुत ज्यादा पता नहीं था. वो तो दूसरे की तरह इसे शुभ का प्रतीक मानकर मुझे दे गई थी. इसके बाद मैंने लाफिंग बुद्धा के बारे में सर्च करना शुरू किया.
मुझे पता चला कि लाफिंग बुद्धा कोई काल्पनिक मूर्ति नहीं बल्कि वह भी हमारी-आपकी तरह ही एक इंसान थे. वो जापान के रहने वाले थे, जिनका नाम होतई था. वह माहत्मा बुद्ध के शिष्य थे. उन्होंने बुद्ध के द्वारा शिक्षा में आत्मज्ञान प्राप्त किया था. इससे प्रेरित होकर उन्होंने अपने जीवन का एक मात्र लक्ष्य बना लिया कि वह जहां भी रहेंगे लोगों को हंसाते रहेंगे. उनका पेट गोल-मटोल बाहर निकला पेट इसके लिए बहुत काम आता था. वो अपने पेट को दिखाकर लोगों को हंसाया करते थे.
उनके हंसमुख स्वभाव से लोग उन्हें काफी पसंद करते थे. धीरे-धीरे होतई अपने गांव के साथ-साथ आस पास के गांवों में भी मशहूर हो गए. उनका मानना था कि ज्ञान कर्मों से मिल जाता है, इसके लिए उपदेश कि जरुरत नहीं होती. लोगों को हंसाना सबसे पुण्य का काम है, जो हर कोई नहीं कर पाता. आगे चलकर लोग उन्हें होतई कम और लाफिंग बुद्धा के नाम से ज़्यादा जानने लगे. होतई के अनुयायियों ने उनका इस तरह प्रचार किया कि चीन और जापान के लोग उन्हें भगवान मानने लगे.
इसके कारण वहां के लोग आज भी उनको फेंगशुई का देवता मानते हैं. उनकी मूर्तियों को अपने घरों मे रखते हैं. उनके निधन के बाद लोगों ने उनकी मूर्तियों की आकृतीयों पर अपने अनुसार धारणा व्यक्त करना शुरु कर दिया. जैसे कि लोग कहते हैं, जिस...
इस साल मेरे जन्मदिन पर मेरी सखी ने मुझे बड़ा प्यारा उपहार दिया. मैंने गिफ्ट पैक खोला तो उसमें से लाफिंग बुद्धा की छोटी सी मूर्ति निकली. इसमें लाल रंग की पोशाक लाफिंग बुद्धा गजब के लग रहे थे. उनका पेट गोलमटोल और एक हाथ में थैला था. उन्हें देखते ही उनके बारे में जानने की उत्सुकता हुई. अपनी सखी से पूछा तो उसे भी बहुत ज्यादा पता नहीं था. वो तो दूसरे की तरह इसे शुभ का प्रतीक मानकर मुझे दे गई थी. इसके बाद मैंने लाफिंग बुद्धा के बारे में सर्च करना शुरू किया.
मुझे पता चला कि लाफिंग बुद्धा कोई काल्पनिक मूर्ति नहीं बल्कि वह भी हमारी-आपकी तरह ही एक इंसान थे. वो जापान के रहने वाले थे, जिनका नाम होतई था. वह माहत्मा बुद्ध के शिष्य थे. उन्होंने बुद्ध के द्वारा शिक्षा में आत्मज्ञान प्राप्त किया था. इससे प्रेरित होकर उन्होंने अपने जीवन का एक मात्र लक्ष्य बना लिया कि वह जहां भी रहेंगे लोगों को हंसाते रहेंगे. उनका पेट गोल-मटोल बाहर निकला पेट इसके लिए बहुत काम आता था. वो अपने पेट को दिखाकर लोगों को हंसाया करते थे.
उनके हंसमुख स्वभाव से लोग उन्हें काफी पसंद करते थे. धीरे-धीरे होतई अपने गांव के साथ-साथ आस पास के गांवों में भी मशहूर हो गए. उनका मानना था कि ज्ञान कर्मों से मिल जाता है, इसके लिए उपदेश कि जरुरत नहीं होती. लोगों को हंसाना सबसे पुण्य का काम है, जो हर कोई नहीं कर पाता. आगे चलकर लोग उन्हें होतई कम और लाफिंग बुद्धा के नाम से ज़्यादा जानने लगे. होतई के अनुयायियों ने उनका इस तरह प्रचार किया कि चीन और जापान के लोग उन्हें भगवान मानने लगे.
इसके कारण वहां के लोग आज भी उनको फेंगशुई का देवता मानते हैं. उनकी मूर्तियों को अपने घरों मे रखते हैं. उनके निधन के बाद लोगों ने उनकी मूर्तियों की आकृतीयों पर अपने अनुसार धारणा व्यक्त करना शुरु कर दिया. जैसे कि लोग कहते हैं, जिस लाफिंग बुद्धा के दोनों हाथ ऊपर हो वो तरक्की का प्रतीक है, लेटे हुए बुद्धा किस्मत खुलने का प्रतीक हैं, वहीं पोटली लिए हुए लाफिंग बुद्धा के जरिए पैसे की कमी पूरी होती है. जिस लाफिंग बुद्धा के हाथ में थैला हो, वह व्यापार के लिए शुभ माने जाते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.