George Floyd death news और उसके बाद शुरू हुए American protest अब ग्लोबल सुर्खी है. एक ऐसे समय में जब पूरा विश्व कोरोना (Coronavirus) की मार झेल रहा हो, अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप (S President Donald Trump) की चुनौतियां दोहरी हैं. पूरा अमेरिका सड़कों पर है. जगह-जगह हिंसा हो रही है और ट्रंप मुर्दाबाद के नारे लग रहे हैं. सवाल होगा कि आखिर अमेरिका में जारी इस विरोध प्रदर्शन का कारण क्या है? अमेरिका में सरकार और जनता के बीच जो गतिरोध चल रहा है उसका कारण है जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) नाम के अश्वेत अमेरिकी की मौत. अमेरिका में एक पुलिसकर्मी की गलती के चलते अपनी जान गंवा चुके फ्लॉयड को अश्वेतों (Black) के बीच किसी हीरो की तरह ट्रीटमेंट मिल रहा है. अश्वेतों द्वारा फ्लॉयड की मौत को एक बड़ा मुद्दा बनाकर प्रदर्शनकारियों (Protest) द्वारा पूरे अमेरिका के नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाने की शुरुआत हो चुकी है. सोशल मीडिया पर #ICan'tBreathe नाम के हैश टैग चल रहे हैं और मांग की जा रही है कि अश्वेतों के खिलाफ इस भेदभाव, इस नस्लभेद पर रोक लगनी चाहिए. इन तमाम बातों या फिर ये कहें कि पूरे मुद्दों को समझने से पहले हमारे लिए ये जरूरी हो जाता है कि हम जानें कि कौन था जॉर्ज फ्लॉयड (Who was George Floyd)? और आखिर वो कौन सी वजह थी जिसकी कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.
Who is George Floyd?
बीती 25 मई को जॉर्ज फ्लॉयड को मिनियापोलिस में एक दुकान के बाहर से पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया था और पुलिस द्वारा लिए गए इसी एक्शन के बाद जॉर्ज की मौत हुई थी. सोशल मीडिया पर 8 मिनट का एक वीडियो जारी हुआ है. इस वीडियो को यदि ध्यान से देखा जाए तो मिलता है कि जॉर्ज को एक श्वेत पुलिस...
George Floyd death news और उसके बाद शुरू हुए American protest अब ग्लोबल सुर्खी है. एक ऐसे समय में जब पूरा विश्व कोरोना (Coronavirus) की मार झेल रहा हो, अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप (S President Donald Trump) की चुनौतियां दोहरी हैं. पूरा अमेरिका सड़कों पर है. जगह-जगह हिंसा हो रही है और ट्रंप मुर्दाबाद के नारे लग रहे हैं. सवाल होगा कि आखिर अमेरिका में जारी इस विरोध प्रदर्शन का कारण क्या है? अमेरिका में सरकार और जनता के बीच जो गतिरोध चल रहा है उसका कारण है जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) नाम के अश्वेत अमेरिकी की मौत. अमेरिका में एक पुलिसकर्मी की गलती के चलते अपनी जान गंवा चुके फ्लॉयड को अश्वेतों (Black) के बीच किसी हीरो की तरह ट्रीटमेंट मिल रहा है. अश्वेतों द्वारा फ्लॉयड की मौत को एक बड़ा मुद्दा बनाकर प्रदर्शनकारियों (Protest) द्वारा पूरे अमेरिका के नियम और कानूनों की धज्जियां उड़ाने की शुरुआत हो चुकी है. सोशल मीडिया पर #ICan'tBreathe नाम के हैश टैग चल रहे हैं और मांग की जा रही है कि अश्वेतों के खिलाफ इस भेदभाव, इस नस्लभेद पर रोक लगनी चाहिए. इन तमाम बातों या फिर ये कहें कि पूरे मुद्दों को समझने से पहले हमारे लिए ये जरूरी हो जाता है कि हम जानें कि कौन था जॉर्ज फ्लॉयड (Who was George Floyd)? और आखिर वो कौन सी वजह थी जिसकी कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी.
Who is George Floyd?
बीती 25 मई को जॉर्ज फ्लॉयड को मिनियापोलिस में एक दुकान के बाहर से पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया था और पुलिस द्वारा लिए गए इसी एक्शन के बाद जॉर्ज की मौत हुई थी. सोशल मीडिया पर 8 मिनट का एक वीडियो जारी हुआ है. इस वीडियो को यदि ध्यान से देखा जाए तो मिलता है कि जॉर्ज को एक श्वेत पुलिस अधिकारी डेरेक शोविन द्वारा गिरफ्तार किया गया था.
जैसा कि अमेरिका में किसी भी अपराधी को पकड़ने का नियम है. पुलिस द्वारा जॉर्ज को हहैंड कफ किया गया. इसी दौरान पुलिस वाला जॉर्ज की गर्दन पर बैठ गया. वीडियो में साफ़ दिख रहा है कि जॉर्ज बार बार पुलिस वाले से इस बात को कह रहा है कि वो हाथ जाए. उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है. पुलिस वाले ने उसकी बात नहीं मानी और अंततः उसकी जान चली गई. मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस अधिकारी पर थर्ड डिग्री मर्डर का आरोप लगाया गया है और उसे सख्त से सख्त सजा देने की मांग की जा रही है.
मामले में जो तर्क पुलिस की तरफ से दिए गए हैं यदि उनपर यकीन करें तो मिलता है कि जॉर्ज पर आरोप लगाया गया था कि उसने 20 डॉलर (करीब 1500 रुपये) के फर्जी नोट के जरिए एक दुकान से खरीदारी की कोशिश की. दुकान पर जॉर्ज सिगरेट का पैकेट लेने गया था.
मामले पर पुलिस ने कहा है कि जिस वक़्त जॉर्ज को गिरफ्तार किया गया वो शराब या फिर किसी ड्रग के नशे में था और उसने गिरफ्तारी का शारीरिक रूप से विरोध किया। जिसके बाद द्वारा बल प्रयोग कर स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया.
वहीं पुलिस द्वारा जॉर्ज की हत्या के विरोध में सड़कों पर आए लोगों का यही कहना है कि पुलिस द्वारा झूठी बातें कहीं जा रही हैं. हत्या सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि जॉर्ज अश्वेत था. बता दें कि जॉर्ज की हत्या के विरोध में अमेरिका के करीब दर्जन भर शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं. न्याय के लिए सड़कों पर आकर प्रदर्शन करते लोग इस बात की मांग कर रहे हैं कि सरकार को इसे गंभीरता से लेते हुए दोषी पुलिस वालों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए.
जॉर्ज की हत्या को लेकर मामला किस हद तक उग्र हुआ है. इसे हम उस घटना से भी समझ सकते हैं जब वॉशिंगटन में व्हाइट हाउस के बाहर सैकड़ों लोग प्रदर्शन करने जमा हुए. पब्लिक में घटना को लेकर रोष कुछ इस हद तक था कि राष्ट्रपति ट्रंप को बंकर में जाना पड़ा. बता दें कि ट्रंप के इस तरह बंकर में छुपने को लेकर अमेरिकी मीडिया ने भी गंभीरता से उठाया है और जमकर ट्रंप की किरकिरी की है.
जॉर्ज फ्लॉयड पर था नकली नोट चलाने का आरोप
मौत किसी की भी हो दुखद है. ऐसे में जब बात जॉर्ज फ्लॉयड की मौत की चल रही हो और विरोध के एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हों तो हमारे लिए भी बताया बहुत जरूरी हो जाता है कि जॉर्ज कोई शरीफ आदमी नहीं था. साल 2007 में जॉर्ज फ्लॉयड को एक घर पर हमला करने के लिए 5 साल की सजा सुनाई गयी थी मगर बाद में 2009 में जॉर्ज की जमानत करा दी गयी थी.
पुलिस का कहना है कि पूर्व में जेल की सलाखों के पीछे रह चुका जॉर्ज अपनी आदत से मजबूर था और सुधरने का दावा करने के बावजूद उसके अंदर अपराधियों वाले गुण थे.
बहरहाल अमेरिका में जॉर्ज की इस निर्मम मौत ने नस्लभेद की बहस को नए आयाम दिए हैं. ये कोई पहली बार नहीं है जब गोरों द्वारा कालों को मारा गया है. पूर्व में भी ऐसे तमाम मौके आए हैं जब अमेरिका में रह रहे अश्वेत पूर्वाग्रह का शिकार हुए हैं. मामले में क्या फैसला होता है? क्या जॉर्ज की मौत ट्रंप के चुनाव को प्रभावित करेगी? क्या अमेरिका में अश्वेतों के साथ लंबे समय से जारी भेदभाव मिट पाएगा? सभी सवालों के जवाब वक़्त देगा.
लेकिन जो वर्तमान है वो इसलिए भी तमाम पेचीदगी लिए हुए है क्योंकि ट्रंप के सत्ता संभालने के साथ ही अमेरिका में अश्वेतों के साथ भेदभाव शुरू हो गया था. ऐसे में अपने दूसरे टर्म के लिए ट्रंप इस समस्या को पार लगाने के लिए क्या करते हैं इसपर न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया भर की नजर है. अमेरिका में जारी ये विरोध साफ़ तौर पर ट्रंप की सत्ता को प्रभावित कर रहे हैं.
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