तीन दिन पहले दिल्ली से सटे नोएडा में जब एक महिला ने अमेजन के डिलीवरी ब्वॉय के खिलाफ हिप्नोटाइज कर रेप की कोशिश का आरोप लगाया तो इस खबर ने बहुत सी लड़कियों को डरा दिया, जो दिल्ली एनसीआर में अकेले रहती हैं. ऑनलाइन शॉपिंग करना आजकल का ट्रेंड है लेकिन डिलिवरी ब्वॉय भी खतरा बन सकते हैं ये चिंता की बात तो थी ही.
लेकिन तीन दिन के बाद अब ये महिला जो कह रही है वो ज्यादा परेशान करने वाली बात है. जब नोएडा पुलिस ने पीड़ित महिला को पूछताछ के लिए बुलाया तो वो केस वापस लेने की बात कर रही है. उसने पुलिस के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया. और कहा है कि डिलीवरी ब्वॉय के खिलाफ उसने नहीं, बल्कि उसकी बहन ने केस दर्ज कराया था. इसलिए वो केस वापस लेना चाहती है.
पहले जानते हैं कि आखिर मामला क्या था
महिला के मुताबिक उसे अमेजन का कुछ सामान वापस करवाना था जिसको लेकर उसकी डिलीवरी ब्वॉय के साथ बहस हो गई थी. और डिलीवरी ब्वॉय वहां से बिना पैकेट लिए चला गया. थोड़े देर के बाद वो वापस आया और पैकेट ले जाने को राजी हो गया जिस पर महिला ने सामान देने से इनकार कर दिया. इसी बातचीत के दौरान वो बेहोश हो गई और जब उसे होश आया तो उसने खुद को आरोपी डिलीवरी ब्वॉय के साथ बाथरूम में पाया. महिला के मुताबिक आरोपी डिलीवरी ब्वॉय भूपेश उस वक्त अर्ध नग्न उसके सामने खड़ा था जिसे देखकर वो डर गई और वहीं पास रखे वाइपर से उसे पीटना शुरू कर दिया. डिलीवरी ब्वॉय मौके से फरार हो गया, जिसके बाद उसने पुलिस से इसकी शिकायत की. डिलीवरी ब्वॉय का कहना है कि महिला उसे झूठे केस में फंसा रही है. औक कोई ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण पुलिस ने भी डिलीवरी ब्वॉय को छोड़ दिया. और अब जब महिला ही शिकायत वापस ले लेगी तो मामला बनता ही नहीं.
तीन दिन पहले दिल्ली से सटे नोएडा में जब एक महिला ने अमेजन के डिलीवरी ब्वॉय के खिलाफ हिप्नोटाइज कर रेप की कोशिश का आरोप लगाया तो इस खबर ने बहुत सी लड़कियों को डरा दिया, जो दिल्ली एनसीआर में अकेले रहती हैं. ऑनलाइन शॉपिंग करना आजकल का ट्रेंड है लेकिन डिलिवरी ब्वॉय भी खतरा बन सकते हैं ये चिंता की बात तो थी ही.
लेकिन तीन दिन के बाद अब ये महिला जो कह रही है वो ज्यादा परेशान करने वाली बात है. जब नोएडा पुलिस ने पीड़ित महिला को पूछताछ के लिए बुलाया तो वो केस वापस लेने की बात कर रही है. उसने पुलिस के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया. और कहा है कि डिलीवरी ब्वॉय के खिलाफ उसने नहीं, बल्कि उसकी बहन ने केस दर्ज कराया था. इसलिए वो केस वापस लेना चाहती है.
पहले जानते हैं कि आखिर मामला क्या था
महिला के मुताबिक उसे अमेजन का कुछ सामान वापस करवाना था जिसको लेकर उसकी डिलीवरी ब्वॉय के साथ बहस हो गई थी. और डिलीवरी ब्वॉय वहां से बिना पैकेट लिए चला गया. थोड़े देर के बाद वो वापस आया और पैकेट ले जाने को राजी हो गया जिस पर महिला ने सामान देने से इनकार कर दिया. इसी बातचीत के दौरान वो बेहोश हो गई और जब उसे होश आया तो उसने खुद को आरोपी डिलीवरी ब्वॉय के साथ बाथरूम में पाया. महिला के मुताबिक आरोपी डिलीवरी ब्वॉय भूपेश उस वक्त अर्ध नग्न उसके सामने खड़ा था जिसे देखकर वो डर गई और वहीं पास रखे वाइपर से उसे पीटना शुरू कर दिया. डिलीवरी ब्वॉय मौके से फरार हो गया, जिसके बाद उसने पुलिस से इसकी शिकायत की. डिलीवरी ब्वॉय का कहना है कि महिला उसे झूठे केस में फंसा रही है. औक कोई ठोस सबूत नहीं मिलने के कारण पुलिस ने भी डिलीवरी ब्वॉय को छोड़ दिया. और अब जब महिला ही शिकायत वापस ले लेगी तो मामला बनता ही नहीं.
लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आखिर इस महिला ने इतने गंभीर आरोप लगाने के बाद केस वापस लेने की बात क्यों कही. हालांकि ऐसा होना कोई नई बात नहीं है. रेप की कोशिश या रेप होने के बाद अक्सर महिलाएं केस वापस ले लेती हैं.
आखिर क्या वजह होती हैं कि महिलाएं रेप का केस वापस ले लेती हैं
रिपोर्ट करना आसान नहीं होता-
कायदे से तो पुलिस का काम है रिपोर्ट दर्ज करना औऱ मामले की जांच करना. लेकिन यौन शोषण या रेप के मामले में पुलिस का रवैया थोड़ा सा बदल जाता है. वो मोरल पुलिसिंग करने लगती है. पुलिस उल्टा महिला से इस तरह के सवाल पूछने लगती है कि महिला वहीं परेशान हो जाती है. पुलिस पूछती है- 'क्या पहना हुआ था, अकेली थीं या किसी के साथ थीं?' इस तरह के सवाल महिलाओं को परेशान करते हैं. और तो और इन सवालों के जवाब जब पुलिस के मुताबिक आते हैं तो पुलिस महिलाओं को ही इसका दोषी बता देती है. कि अकेली जाओगी तो ये होगा ही. पुलिस वालों के कमेंट्स महिलाओं को और परेशान करते हैं. पुलिस अगर प्रोफेशनल तरीके से पीड़िता को सुनें तो शायद महिलाएं निडर होकर रिपोर्ट करें.
उदाहरण के लिए ये वीडियो देख लीजिए कि पुलिस का व्यवहार कैसा होता है-
लोग क्या कहेंगे
भारत में परिवार का मान-सम्मान महिला की इज्जत पर ही निर्भर होता है. इसलिए अगर इस तरह का कोई मामला होता है तो महिलाओं को इसी बात का डर सताता है कि लोग क्या कहेंगे. समाज में मेरी और परिवार की कोई इज्जत नहीं रह जाएगी. कोई उनका साथ नहीं देगा. समाज उनका बहिष्कार कर देगा. रेप पीड़िताओं के साथ समाज का व्यवहार बहुत खराब होता है. और कोई भी समाज से बहिष्कृत महसूस नहीं होना चाहता. इसलिए रेप की रिपोर्ट नहीं करवाई जातीं.
बदले का डर
महिलाओं को ये डर भी सताता है कि अगर उन्होंने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करवा लिया तो कहीं ऐसा न हो कि वो बाद में बदला लेने के लिए महिला का फिर से अहित करे. कई मामलों में महिला को उसे या उसके परिवार को जान से मारने की धमकी देकर केस वापस करवाने पर जोर डाला जाता है. और महिलाएं केस वापस ले लेती हैं. ऐसे कई मामले हुए भी हैं कि केस दर्ज करवाने के बाद दोबारा रेप किया गया, या फिर महिला की हत्या तक कर दी गई. इस तरह के मामले महिलाओं की हिम्मत को और कम करते हैं.
विक्टिम ब्लेमिंग
किसी के साथ रेप हो या छेड़खानी हो, तो बजाए रेपिस्ट को दोष देने के महिला को ही दोषी ठहरा दिया जाता है. उसके लिए कहा जाता है कि 'महिलाएं छोटे कपड़े पहनेंगी तो ये तो होगा ही.''रात को बाहर निकलेंगी तो ये तो होगा ही' या फिर 'लड़कों के साथ घूमेंगी तो ये तो होगा ही'. निर्भया मामले में अच्छे अच्छे पढ़े लिखे लोगों ने भी ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल किया था. महिलाएं अकेले काम से घर लौट रही हों और उनके साथ कोई छेड़खानी हो जाए तो भी महिलाएं उन्हें इग्नोर ही करती हैं.
पुलिस के लफड़े में न पड़ना
रेप केस को डील करने का पुलिस वालों का तरीका बहुत असंवेदनशील होता है. महिला बलात्कार के बाद पहले से ही मानसिक तनाव से गुजर रही होती है उसपर से पुलिस जिस संवेदनहीनता से कार्रवाई करती है उससे महिला के लिए ये सब बहुत कष्टकारी होता है. कई बार तो पुलिस महिला को देखकर ये जज करती है कि उसके साथ कुछ हुआ भी है या नहीं. यानी अगर महिला रो-पीट नहीं रही तो लोगों को लगता है कि इसके साथ कुछ हुआ ही नहीं. इन सबसे बचने के लिए भी महिलाएं चुप रहती हैं.
परिवार का सपोर्ट न होना
कई परिवार घर की इज्जत बचाए रखने के लिए खुद इस बात की रिपोर्ट नहीं करते. क्योंकि रिपोर्ट दर्द करवाते ही महिला पाड़िता कहलाई जाती है. इसलिए पुलिस के चक्कर न काटने पड़ें और समाज में मान बना रहे इसके लिए भी अक्सर रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई जातीं.
क्यों महिलाओं के केस वापस नहीं लेना चाहिए
पहली बात तो ये बहुत जरूरी है कि महिला को खुद पर हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी ही चाहिए. बिना उपरोक्त कारणों को सोच हुए. क्योंकि एक बार अगर महिला कमजोर पड़ती है तो उसे हर जगह तोड़ने की कोशिश की जाती है. लेकिन हिम्मात करके अपनी आवाज उठाने के बाद उसे खुद कभी दबाना नहीं चाहिए. क्योंकि-
महिला को ही झूठा समझा जाएगा
एक बार अगर महिला यौन शोषण या रेप के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाती है तो इसे गंभीर आरोप माना जाता है. लेकिन किसी कारण से अगर केस वापस ले लिया जाता है तो सामान्य सोच यही होती है कि महिला की बात को झूठ समझा जाता है. किसी को भी लगेगा कि महिला ने झूठा आरोप लगाया, और बाद में मुकर गई.
मजाक का पात्र बनेंगी
ऐसा करने से महिला खुद ही मजाक की पात्र बनेगी. एक तो पहले से ही महिलओं को लेकर समाज इस तरह की सोच रखता है, उसपर से केस वापस लेना खुद महिलाओं के ही खिलाफ जाता है.
आरोपी की हिम्मत को बढ़ावा मिलेगा
केस वापस लेने से आरोपी की हिम्मत को और बढ़ावा मिलता है. जो काम उसने एक बार किया, वो उसे दोबारा भी कर सकता है क्योंकि उसे पता है कि आप केस रिपोर्ट नहीं करेंगी. केस वापस लेने का मतलब डर जाना भी है. और डर जाने के बाद आपको बार-बार डराया जाता है.
दोबारा गंभीरता से नहीं लिया जाएगा
एक बार अगर केस वापस ले लिया और आगे चलकर फिर दोबारा आपके साथ अगर कुछ होता है तो क्या पुलिस आपको उसी गंभीरता से लेगी? नहीं. उनके लिए तो आप वही हैं जिसने केस कर तो दिया लेकिन बाद में वापस ले लिया. यानी नॉन सीरियस की छवि बन जाएगी.
खुद से हमेशा नफरत करती रहेंगी
एक बार जब एक महिला के साथ बुरा होता है तो एक लंबा वक्त लगता है उसे उबरने में. लेकिन उसे हमेशा ये बात कचोटती रहेगी कि उसके आरोपी को सजा नहीं मिली. और इसके लिए महिला हमेशा खुद को दोषी समझती रहेगी. जो उसके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं.
नोएडा की इस महिला के साथ जो हुआ वो भयावह था. उसने रिपोर्ट दर्ज करवाई ये बहुत अच्छा था. लेकिन अब केस वापस लेने की बात ने इस केस की गंभीरता को कम कर दिया. वजह चाहे जो भी हो, लेकिन अगर वो डिलिवरी ब्वॉय गलत होते हुए भी जेल के बाहर है तो उसे एक और मौका मिल गया किसी और के साथ इस तरह की हरकत करने का. और ये अच्छी बात नहीं है. अक्सर महिलाओ का यही डर उनपर ही भारी पड़ता है.
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