अमृतसर रेल हादसा, ऐसा हादसा जिसे टाला जा सकता था और हर तरफ से लापरवाही देखी गई. चाहें वो आयोजक हों, चाहें वो प्रशासन हो या फिर वो लोग हों जो पटरी पर जाकर खड़े हो गए थे. इस हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक सभी शवों की न तो शिनाख्त हो पाई है और न ही ये ठीक तरह से बताया जा रहा है कि आखिर कितने लोग मारे गए. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कह रहे हैं कि 59 लोग मारे गए और इसी जगह सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट राजेश शर्मा ने कहा कि 61 लोगों की मौत हुई है. इस घटना के पहले जितनी लापरवाही हुई है उससे साफ था कि आयोजकों ने खुद जानलेवा घटना का पूरा इंतजार कर दिया था.
1. गलत जगह:
रावण दहन देखने के लिए कथित तौर पर 5 हज़ार लोगों की भीड़ थी. ग्राउंड 1.5 एकड़ का था जिसमें पूरे लोग नहीं थे और कई लोगों ने आस-पास के घरों की छत पर और कईयों ने रेलवे ट्रैक पर से रावण देखना पसंद किया.
2. गलत समय:
रावण दहन के कार्यक्रम की जगह ही गलत नहीं थी बल्कि समय भी गलत था. नवजोत कौर सिद्धू के आने के बाद इवेंट 6.15 पर शुरू हुआ और श्रीमती सिद्धू का भाषण खत्म हुआ 6.40 बजे शाम को. इस समय तक अंधेरा हो चुका था.
3. दीवार का चक्कर:
ग्राउंड को रेलवे ट्रैक से अलग करने वाली एक दीवार है जिसकी ऊंचाई 12 फुट है. लोग रावण दहन के समय आतिशबाजी देखने के लिए रेलवे ट्रैक पर इसलिए चढ़ गए क्योंकि वो थोड़ा ऊंचाई पर था और दीवार के पार आराम से दिख रहा था.
4. LED स्क्रीन:
आयोजकों ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए...
अमृतसर रेल हादसा, ऐसा हादसा जिसे टाला जा सकता था और हर तरफ से लापरवाही देखी गई. चाहें वो आयोजक हों, चाहें वो प्रशासन हो या फिर वो लोग हों जो पटरी पर जाकर खड़े हो गए थे. इस हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक सभी शवों की न तो शिनाख्त हो पाई है और न ही ये ठीक तरह से बताया जा रहा है कि आखिर कितने लोग मारे गए. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कह रहे हैं कि 59 लोग मारे गए और इसी जगह सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट राजेश शर्मा ने कहा कि 61 लोगों की मौत हुई है. इस घटना के पहले जितनी लापरवाही हुई है उससे साफ था कि आयोजकों ने खुद जानलेवा घटना का पूरा इंतजार कर दिया था.
1. गलत जगह:
रावण दहन देखने के लिए कथित तौर पर 5 हज़ार लोगों की भीड़ थी. ग्राउंड 1.5 एकड़ का था जिसमें पूरे लोग नहीं थे और कई लोगों ने आस-पास के घरों की छत पर और कईयों ने रेलवे ट्रैक पर से रावण देखना पसंद किया.
2. गलत समय:
रावण दहन के कार्यक्रम की जगह ही गलत नहीं थी बल्कि समय भी गलत था. नवजोत कौर सिद्धू के आने के बाद इवेंट 6.15 पर शुरू हुआ और श्रीमती सिद्धू का भाषण खत्म हुआ 6.40 बजे शाम को. इस समय तक अंधेरा हो चुका था.
3. दीवार का चक्कर:
ग्राउंड को रेलवे ट्रैक से अलग करने वाली एक दीवार है जिसकी ऊंचाई 12 फुट है. लोग रावण दहन के समय आतिशबाजी देखने के लिए रेलवे ट्रैक पर इसलिए चढ़ गए क्योंकि वो थोड़ा ऊंचाई पर था और दीवार के पार आराम से दिख रहा था.
4. LED स्क्रीन:
आयोजकों ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए एक बड़ी LED स्क्रीन लगाई थी जो दीवार की ओर मुंह करके लगाई गई थी. करीब 400 लोग दीवार के पार से उस स्क्रीन को देख रहे थे.
5. आतिशबाजी:
जैसे ही 25 फुट के रावण को आग लगाई गई जो करीब 6.50 बज़े शाम को हुआ, लोग डरकर रेलवे ट्रैक की तरफ भागे. ऐसा आतिशबाजी के कारण हुआ होगा और रावण के ज्यादा पास खड़े लोग खुद को बचाने के लिए रेलवे ट्रैक के पास जा खड़े हुए. कुछ रेलवे ट्रैक पर ही खड़े हो गए.
6. ट्रेन की रफ्तार:
जैसे ही आतिशबाजी शुरू हुई बहुत आवाज हुई और उसके कारण जालंधर-अमृतसर DM एक्सप्रेस की आवाज़ नहीं सुनाई दी. घटना से 400 मीटर पहले गेटमैन ने ट्रेन को जाने दिया क्योंकि उसे ट्रैक पर मौजूद भीड़ का अंदाजा नहीं था. ऐसे में 91 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन सबको कुचलती चली गई.
7. आयोजक मौके पर भाग खड़े हुए:
एक वीडियो सामने आया है जिसमें कार्यक्रम के आयोजक सौरभ मदान मिट्टू अपने घर से भागते नजर आ रहे हैं.
हादसे के बाद उन्होंने रुक कर लोगों की मदद करने की जगह भागना सही समझा. सुरक्षा इंतजाम भी पूरे नहीं थे और यही कारण है कि इतना बड़ा हादसा हुआ.
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