डिजिटल उपकरणों का उपयोग हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो गया है.डिजिटल डिटॉक्स एक प्रक्रिया है जिसमें हम अपने डिजिटल उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर या टैबलेट का उपयोग करने की मात्रा को कम करते हैं या समायोजित करते हैं. इसका उद्देश्य है अपने जीवन में अधिक स्थिरता, मानसिक शांति और उच्चतम गुणवत्ता की अनुभूति करना. निःसंदेह उपकरण हमारे दैनिक कार्यों को आसान बनाते हैं, लेकिन इनके अधिक उपयोग से हमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं. डिजिटल डिटॉक्स इन समस्याओं से बचने का एक तरीका है. आजकल डिजिटल टेक्नोलॉज बच्चों से लेकर बूढ़ों तक का सबसे ज्यादा समय लेता है. आलम ये है कि स्क्रीन को देखे बिना इस डिजिटल दुनिया में रहना असंभव लगता है. ऐसे में हम इसे पूरी तरह से बंद नहीं कर सकते. तब यहां पर डिजिटल डिटॉक्स अहम रोल निभाता है. इसका यह मतलब नहीं है कि जब कभी लगा कि अब ब्रेक लेना है, तो कुछ समय या दिन के लिए डिजिटल डिटॉक्स कर लें. हर दिन ऐसा करना मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए अच्छा होता है. ऐसा करने के लिए निरंतरता और प्रतिबद्धता बहुत जरूरी है.
डिजिटल उपकरणों के अधिक उपयोग करने से हमारे निजी, सामाजिक और पारस्परिक संबंध प्रभावित हो रहे हैं. डिजिटल डिटॉक्स करने से हम अपने परिवार और मित्रों के साथ अधिक सक्रिय रूप से संवाद करने का समय निकाल सकते हैं और आपसी संबंधों को मजबूत कर सकते हैं. यह वास्तविक दुनिया में बातचीत की गहराई और मानवीय संबंधों की महत्ता को पुनः स्थापित कर सकता है. जब इस प्रक्रिया को अपनाते हैं, अधिक शारीरिक गतिविधियों के लिए समय निकलता है जिससे ना केवल सेहत सुधरती है बल्कि शारीरिक दक्षता और तंदरुस्ती भी बढ़ती है.
परंतु सवाल है एडिक्शन...
डिजिटल उपकरणों का उपयोग हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो गया है.डिजिटल डिटॉक्स एक प्रक्रिया है जिसमें हम अपने डिजिटल उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, कंप्यूटर या टैबलेट का उपयोग करने की मात्रा को कम करते हैं या समायोजित करते हैं. इसका उद्देश्य है अपने जीवन में अधिक स्थिरता, मानसिक शांति और उच्चतम गुणवत्ता की अनुभूति करना. निःसंदेह उपकरण हमारे दैनिक कार्यों को आसान बनाते हैं, लेकिन इनके अधिक उपयोग से हमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं. डिजिटल डिटॉक्स इन समस्याओं से बचने का एक तरीका है. आजकल डिजिटल टेक्नोलॉज बच्चों से लेकर बूढ़ों तक का सबसे ज्यादा समय लेता है. आलम ये है कि स्क्रीन को देखे बिना इस डिजिटल दुनिया में रहना असंभव लगता है. ऐसे में हम इसे पूरी तरह से बंद नहीं कर सकते. तब यहां पर डिजिटल डिटॉक्स अहम रोल निभाता है. इसका यह मतलब नहीं है कि जब कभी लगा कि अब ब्रेक लेना है, तो कुछ समय या दिन के लिए डिजिटल डिटॉक्स कर लें. हर दिन ऐसा करना मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए अच्छा होता है. ऐसा करने के लिए निरंतरता और प्रतिबद्धता बहुत जरूरी है.
डिजिटल उपकरणों के अधिक उपयोग करने से हमारे निजी, सामाजिक और पारस्परिक संबंध प्रभावित हो रहे हैं. डिजिटल डिटॉक्स करने से हम अपने परिवार और मित्रों के साथ अधिक सक्रिय रूप से संवाद करने का समय निकाल सकते हैं और आपसी संबंधों को मजबूत कर सकते हैं. यह वास्तविक दुनिया में बातचीत की गहराई और मानवीय संबंधों की महत्ता को पुनः स्थापित कर सकता है. जब इस प्रक्रिया को अपनाते हैं, अधिक शारीरिक गतिविधियों के लिए समय निकलता है जिससे ना केवल सेहत सुधरती है बल्कि शारीरिक दक्षता और तंदरुस्ती भी बढ़ती है.
परंतु सवाल है एडिक्शन की हद तक जा चुके हम लोग करेंगे कैसे ? पहला कदम होगा कि हम गैजेट्स के लिए समय निर्धारण करें सीमाबद्धता तकनीक, मसलन विभिन्न ऍप्स के लिए आवश्यकतानुसार नियंत्रण सेटिंग्स, अपनाते हुए. रोजाना थोड़ा समय आराम करते हुए बिताएं जिस दौरान हमें डिजिटल मुक्त भी रहना है. घर में स्क्रीन फ्री जोन को डिफाइन कर लें. मसलन डाइनिंग टेबल पर, बेडरूम में. अपनों से बात करते समय अपने फोन को दूर रख दें. ऐसा करने से डिजिटल डिटॉक्स होने के साथ-साथ आपस के रिश्ते भी मजबूत होंगे.
सौ बातों की एक बात है डिजिटल डिटॉक्स के बारे में सिर्फ बोलने,बात करने से बेहतर है रियलिस्टिक गोल बनाना. चूंकि इस डिजिटल दुनिया में कई लोगों के लिए हर दिन कई घंटे स्क्रीन से दूर रहना संभव नहीं है, टेलर मेड गोल बनाये जाने की महत्ता है और उन्हें पूरा भी किया जा सकता है. कोशिश होनी चाहिए कि हमारे फोन और लैपटॉप में ऐसे ही ऐप्स हों जो काम के हैं और उन ऍप्स के नोटिफिकेशन तो बंद ही रखें जो जरूरी नहीं है. अक्सर हम दूसरों को डिजिटल डिटॉक्स का महत्व समझाने में लग जाते हैं लेकिन जरूरत है पहले खुद अपनाएं और दूसरों के लिए रोल मॉडल बनें.
डिजिटल डिटॉक्स के लिए परिवार का सपोर्ट भी चाहिए होता है. सबसे आसान और आम तरीका है कि परिवार का हर सदस्य एक गोल बना लें जैसे कि सब एक ही समय पर 1-2 घंटे के लिए स्क्रीन से खुद को दूर रखेंगे. उस समय वह सभी परिवार के साथ खेलना, बातें करना, किताब पढ़ना जैसी एक्टिविटी कर सकता हैं. एक महत्वपूर्ण कदम होगा कि डिजिटल उपकरणों को विकल्पांतरित करते हुए सामान्य जीवन की अन्य गतिविधियों के साथ बदलें.
उदाहरण के लिए, हम पुस्तकों को पढ़ने, योग करने, गाना गाने या दोस्तों के संग में समय बिताने के लिए समय निकाल सकते हैं. दरअसल लाइफ का स्वीट कंटेंट बगैर Keeping calm in the Digital World है ही नहीं. कहावत भी है Healthy mind lives in a Healthy Body. जिस प्रकार बॉडी को हेल्दी रखने के लिए बॉडी डिटॉक्स की जरूरत है, उसी प्रकार हेल्दी माइंड के लिए माइंड डिटॉक्स की महत्ता है जो बगैर डिजिटल डिटॉक्स के संभव ही नहीं है.
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