Marriage Strike इन दिनों ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है. कई पुरुष ट्विटर पर शादी न करने की बात कर रहे हैं. वहीं पुरुषों का एक वर्ग ट्विटर पर #MarriageStrike का हैशटैग चला रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि वैवाहिक बलात्कार (marital rape) कानून लाने के नाम पर उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट में जबसे वैवाहिक बलात्कार (marital rape) को अपराध घोषित करने की बहस चल रही है उसके बाद से ही सोशल मीडिया पर अनेक तरह के विचारों की बाढ़ आ गई है. एक तरफ तो तर्क दिया जा रहा है कि ऐसा कानून आना उन महिलाओं की रक्षा करेगा, जिनके पति बिना उनकी मर्जी के उनसे शारीरिक संबंध बनाते हैं. और इस तरह उन्हें यातना देते हैं.
रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक बनाने के मुद्दे पर विचार कर रहा है. जिसके लिए राज्यों से सुझाव भी मांगे गए हैं. शादी के बाद पति अगर अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे मैरिटल रेप माना जा सकता है, इसी बात को लेकर पुरुषों में रोष हैं, उनका कहना है कि महिलाएं इसका फायदा उठा सकती हैं. जिसके लिए वे फेमिनिस्ट को लेकर अलग-अलग कोट्स लिखकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं और #MarriageStrike को ट्रेंड करा रहे हैं.
दरअसल, मैरिटल रेप याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने एक अहम टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा कि अगर पति अपनी पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाता है तो वह कानून का सहारा ले सकती है. सुनवाई के समय बेंच ने कहा कि क्या एक पत्नी को निचले पायदान पर रखा जा सकता है. क्या वह एक सेक्स वर्कर की तुलना में कम...
Marriage Strike इन दिनों ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है. कई पुरुष ट्विटर पर शादी न करने की बात कर रहे हैं. वहीं पुरुषों का एक वर्ग ट्विटर पर #MarriageStrike का हैशटैग चला रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि वैवाहिक बलात्कार (marital rape) कानून लाने के नाम पर उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है.
दिल्ली हाईकोर्ट में जबसे वैवाहिक बलात्कार (marital rape) को अपराध घोषित करने की बहस चल रही है उसके बाद से ही सोशल मीडिया पर अनेक तरह के विचारों की बाढ़ आ गई है. एक तरफ तो तर्क दिया जा रहा है कि ऐसा कानून आना उन महिलाओं की रक्षा करेगा, जिनके पति बिना उनकी मर्जी के उनसे शारीरिक संबंध बनाते हैं. और इस तरह उन्हें यातना देते हैं.
रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक बनाने के मुद्दे पर विचार कर रहा है. जिसके लिए राज्यों से सुझाव भी मांगे गए हैं. शादी के बाद पति अगर अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे मैरिटल रेप माना जा सकता है, इसी बात को लेकर पुरुषों में रोष हैं, उनका कहना है कि महिलाएं इसका फायदा उठा सकती हैं. जिसके लिए वे फेमिनिस्ट को लेकर अलग-अलग कोट्स लिखकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं और #MarriageStrike को ट्रेंड करा रहे हैं.
दरअसल, मैरिटल रेप याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट की बेंच ने एक अहम टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा कि अगर पति अपनी पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाता है तो वह कानून का सहारा ले सकती है. सुनवाई के समय बेंच ने कहा कि क्या एक पत्नी को निचले पायदान पर रखा जा सकता है. क्या वह एक सेक्स वर्कर की तुलना में कम सशक्त हो सकती है?
कोर्ट ने कहा कि 'जब दूसरों को बिना सहमति के संबंध बनाने पर बलात्कार का मामला दर्ज कराने का अधिकार है तो फिर एक विवाहित महिला को कैसे सेक्स से इंकार करने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है?' जस्टिस शकधर ने कहा था कि जब सेक्स वर्कर सेक्स के लिए ना कर सकती हैं तो एक पत्नी क्यों नहीं?
इसी के बाद ट्विटर पर कुछ भारतीय पुरुष तर्क दे रहे हैं कि अगर वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किया जाता है, तो कानून का इस्तेमाल उनकी पत्नियां पुरुषों के खिलाफ करेंगी. हालांकि बलात्कार तो एक बलात्कार ही है, चाहें शादी से पहले हो या शादी के बाद.
असल में उच्च न्यायालय का कहना है कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के सम्मान में अंतर नहीं किया जा सकता. कोई महिला विवाहित हो या ना हो, उसे असहमति से बनाए जाने वाले यौन संबंध को ‘ना’ कहने का अधिकार है. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि, 'अगर हम यह कहें कि किसी महिला के साथ उसका पति जबरन यौन संबंध बनाता है तो वह महिला भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (बलात्कार) का सहारा नहीं ले सकती, यह ठीक नहीं है.'
कुछ पुरुषों को परेशानी क्यों है?
असल में कुछ पुरुषों का कहना है कि पति ने अपनी पत्नी के साथ सेक्स कर लिया को अपराध कर लिया लेकिन अगर वही पत्नी किसी और के साथ सेक्स करती है तो अपराध नहीं है. पुरुषों का यह भी कहना है कि मैरिटल रेप के कानून से महिलाओं को झूठे मुकदमें दर्ज करने का मौका मिल जाएगा. देश का कानून सबके लिए एक समान है.
दहेज के मामलों में महिलाओं को पहले से ही अधिकार मिला हुआ है. महिलाओं ने पहले से ही दबदबा बना रखा है. अब वैवाहिक बलात्कार कानून आने से पुरुषों को और नुकसान होगा. पुरुषों ने मैरिटल रेप कानून का विरोध जताने के लिए #MarriageStrike का पोस्ट करना शुरू कर दिया. इनका कहना है कि इतना भेदभाव वाले कानून में शादी न करना ही बेहतर है.
अपनी इस बात की पुष्टि के लिए पुरुष 2014 की एक रिपोर्ट पोस्ट कर रहे हैं जिसमें यह कहा गया है कि अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 के बीच दर्ज किए गए सभी बलात्कार के मामलों में से 53.2% झूठे निकले. वैसे अगर मैरिटल रेप कानून लागू हो जाता है तो कई सारी वो महिलाएं बच जाएंगी जिनके पति उनके साथ जबरदस्ती संबंध बनाते हैं.
इस कानून का लागू होना क्यों जरूरी है?
वैसे इस ट्रेंड को चलाने वाले पुरुषों की मानसिकता देखकर कुछ महिलाओं ने कहा है कि ऐसे लोग शादी न करें तो ही बेहतर है. ऐसे लोग लड़कियों से दूर ही रहें तो बढ़िया हैं. इनकी मानसिकता देखकर समझ में आ गया है कि इस कानून का लागू होना कितना जरूरी है. इन्होंने खुद इस बात को सिद्ध किया है. कोई पति अपनी पत्नी को अगर प्यार करता है तो वह जबरदस्ती क्यों करेगा.
जबरदस्ती संबंध बनाना भला प्यार कैसे हो सकता है?
असल में यह पुरुष वादी सोच है जो इस कानून के लिए ये खुद को तैयार नहीं कर पा रहे क्योंकि बेडरूम में इनकी मर्जी जो नहीं चलेगी. इनकी मर्दानगी को ठेस पहुंच रही है क्योंकि अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल ये अपनी पत्नी पर जबरदस्ती करके ही तो करते हैं. उन पुरुषों ने तो विरोध नहीं किया जो महिलाओं की इज्जत करते हैं. जो अपनी पत्नी को प्यार करते हैं. इस कानून को डर तो उन्हें ही होगा जिनकी मानसिकता गलत है. अगर कोई महिला उनके साथ जबरदस्ती करे तो उन्हें भी कानून का सहारा लेना चाहिए, लेकिन कितनी प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जो अपने पति से जबरदस्ती सेक्स करती हैं. अगर वे ऐसा करती हैं तो वे भी दोषी हैं.
शादी एक पवित्र रिश्ता
असल में हमारे देश में शादी को एक पवित्र रिश्ता माना जाता है. जिसमें पति-पत्नी का समान अधिकार है, लेकिन शादी की पहली रात को ही कई पति अपनी ही पत्नी के साथ जबरदस्ती करते हैं. पत्नी की मर्जी हो या न हो, वह शादी के पहली रात को भले ही संबंध बनाने के लिए तैयार न हो लेकिन पति इसे अपना अधिकार समझते हैं, वे पत्नी की बिना मर्जी के ही उसके साथ यौन संबंध बनाते हैं.
सेक्स और जबरदस्ती के अंतर को बड़ी आसानी से समझा जा सकता है लेकिन इसे अनदेखा कर दिया जाता है. पुरुषों का कहना है कि यह फेमिनिस्टों का सबसे बड़ा आंदोलन है तो महिलाओं का कहना है कि पुरुषों को अपनी पित्रात्मक सोच से बाहर निकलने की जरूरत है, यह 2022 है. इसी बात पर अब सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है...
कुछ पुरुषों के ट्टीट आप भी देखिए, सभी विरोध में नहीं हैं...
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