देश में दूध के दाम साल 2022 के बाद से औसतन हर महीने 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं. 31 दिसंबर 2021 में जहां रिटेल एक लीटर दूध का दाम 49.90 था, तो वहीं 31 दिसंबर 2022 में यह दाम बढ़कर 55.40 तक पहुंच गया. भारत न केवल अपनी जरूरत के लिए दूध पैदा करता है, बल्कि बाकी दुनिया की जरूरतों को भी पूरा करता है. भारत वैश्विक दूध उत्पादन में 25 प्रतिशत का योगदान करता है.
दूध के दाम क्यों बढ़ रहे है?
यदि बात करें दूध की लागत (खर्चे) की तो उसमें सबसे बड़ा हिस्सा आता है, पशु के चारे का जो लागत का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा अपने में समा लेता है और बाकि सभी खर्चे बचे 25 प्रतिशत में आ जाते हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 12 महीनों में पशु चारे की कीमतों में 28 से 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा चुकी है, जो सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है दूध के दामों में बढ़ोतरी का.
भविष्य की चिंता?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश को इस साल घी और मक्खन आयात करना पड़ सकता है. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण पिछले साल देश भर में पशुओं में फैली लम्पी स्किन डिसीस को बताया जा रहा है. साल 2021-22 में 221 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ, जो पिछले साल से 6.25 प्रतिशत यानी 208 मिलियन टन था. लेकिन पिछले साल पशुओं में बीमारी के कारण यह आंकड़ा घटा है. वहीं घरेलू मांग 8-10 प्रतिशत से बड़ी है. यही कारण है भारत को इस वर्ष घी और मक्खन आयात करना पड़ सकता है.
लेकिन एक सवाल आपके मन में लगातार उठ रहा होगा की आखिर हमें केवल मक्खन और घी जैसे फैट्स ही क्यों आयात करने की जरूरत है, आखिर दूध क्यों नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के पास अपनी जरूरत के हिसाब से स्किम्ड मिल्क है यानी सूखा दूध है.
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