प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन का उद्घाटन कर नोएडा और दक्षिण दिल्ली के बीच यात्रा करने वाले लोगों को एक बड़ी सौगात दी. अभी इस लाइन में केवल 12.64 किलोमीटर (बोटैनिकल गार्डन से कालकाजी मंदिर) पर ही मेट्रो दौड़ेगी, जो मार्च 2018 में बढ़कर 38.23 किलोमीटर (बोटैनिकल गार्डन से जनकपुरी पश्चिम) हो जाएगी. 2002 से 2017 के अपने सफ़र में दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क 231 किलोमीटर तक फैल गया है. वर्ष 2018 में अतिरिक्त 120 किलोमीटर दिल्ली मेट्रो में जुड़ जाएँगे.
एक तरफ़ जहाँ मेट्रो दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जीवन रेखा बन गई है, वहीं दिल्ली में मेट्रो की शुरूवात होने के पूर्व से मौजूद, भारतीय रेल की रिंग रेलवे को सभी ने भुला दिया है. कई दिल्ली वाले इस बात से अंजान होंगे की रिंग रेलवे दिल्ली के चुनिंदा स्थानों से गुजरने वाला, रिंग रोड के लगभग साथ चलने वाला 35 किलोमीटर लंबा गोल रेलवे नेटवर्क है. इसका निर्माण 1975 में मूलतः माल गाड़ियों की आवाजाही के लिए किया गया था ताकि यात्रियों से भरे नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त बोझा न पड़े. 1982 के एशियन खेलों के समय रिंग रेलवे में सुधार किया गया और हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से यात्री सेवा का आरंभ कर 24 ट्रेनों की शुरुआत की गई थी.
1980 के दशक में रिंग रेलवे शायद लोगों में लोकप्रिय हो, पर आज के समय यातायात की इस व्यवस्था को सभी ने भुला दिया है. आज भारतीय रेल, रिंग रेलवे पर दिन में 10 ट्रेन चलाती है, पर अधिकतर समय यह ट्रेनें खाली ही रहती है. इसका मुख्य कारण है इन ट्रेनों का देरी से चलना, स्टेशनों का मेट्रो और बसों के नेटवर्क से दूर होना, स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी और मेट्रो/ बसों की तरह हमेशा न उपलब्ध होना. रिंग रेलवे में प्रयोग आने वाले ट्रैक को माल...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली मेट्रो की मजेंटा लाइन का उद्घाटन कर नोएडा और दक्षिण दिल्ली के बीच यात्रा करने वाले लोगों को एक बड़ी सौगात दी. अभी इस लाइन में केवल 12.64 किलोमीटर (बोटैनिकल गार्डन से कालकाजी मंदिर) पर ही मेट्रो दौड़ेगी, जो मार्च 2018 में बढ़कर 38.23 किलोमीटर (बोटैनिकल गार्डन से जनकपुरी पश्चिम) हो जाएगी. 2002 से 2017 के अपने सफ़र में दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क 231 किलोमीटर तक फैल गया है. वर्ष 2018 में अतिरिक्त 120 किलोमीटर दिल्ली मेट्रो में जुड़ जाएँगे.
एक तरफ़ जहाँ मेट्रो दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की जीवन रेखा बन गई है, वहीं दिल्ली में मेट्रो की शुरूवात होने के पूर्व से मौजूद, भारतीय रेल की रिंग रेलवे को सभी ने भुला दिया है. कई दिल्ली वाले इस बात से अंजान होंगे की रिंग रेलवे दिल्ली के चुनिंदा स्थानों से गुजरने वाला, रिंग रोड के लगभग साथ चलने वाला 35 किलोमीटर लंबा गोल रेलवे नेटवर्क है. इसका निर्माण 1975 में मूलतः माल गाड़ियों की आवाजाही के लिए किया गया था ताकि यात्रियों से भरे नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त बोझा न पड़े. 1982 के एशियन खेलों के समय रिंग रेलवे में सुधार किया गया और हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से यात्री सेवा का आरंभ कर 24 ट्रेनों की शुरुआत की गई थी.
1980 के दशक में रिंग रेलवे शायद लोगों में लोकप्रिय हो, पर आज के समय यातायात की इस व्यवस्था को सभी ने भुला दिया है. आज भारतीय रेल, रिंग रेलवे पर दिन में 10 ट्रेन चलाती है, पर अधिकतर समय यह ट्रेनें खाली ही रहती है. इसका मुख्य कारण है इन ट्रेनों का देरी से चलना, स्टेशनों का मेट्रो और बसों के नेटवर्क से दूर होना, स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी और मेट्रो/ बसों की तरह हमेशा न उपलब्ध होना. रिंग रेलवे में प्रयोग आने वाले ट्रैक को माल गाड़ियाँ भी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल करती है, जिसके कारण रिंग रेलवे हमेशा देरी से चलती है.
कई रेल मंत्री आए और चले गए, रिंग रेलवे के सुधार की कई योजनाएँ बनी पर धरातल पर कुछ बदलाव नहीं आया. न तो स्टेशनों से अवैध झुग्गी झोपडियाँ हटी, न अतिक्रमण हटा, न असामाजिक तत्व हटे और न ही प्रस्तावित नई रेल लाइन बिछी. भारत सरकार और दिल्ली सरकार में कई राजनीतिक दलों ने राज कर लिया पर किसी ने भी रिंग रेलवे का सुधार नहीं किया. प्रदूषण, ट्रैफिक की समस्या पर सभी राजनीतिक दल बातें तो बड़ी-बड़ी करते है पर यदि बिजली से चलने वाली रिंग रेलवे पर इन्होने काम किया होता तो इन दोनों परेशानियों से दिल्ली वासियों को बड़ी राहत मिल सकती थी.
यदि रिंग रेलवे को मेट्रो और बस सेवा के साथ जोड़ दिया जाए तो स्वयम ही यह व्यवस्था काम करने लगेगी. कुछ मेहनत दिल्ली के नागरिकों को भी करनी पड़ेगी, उन्हे अपने मुख्य मंत्री और भारत के रेल मंत्री को याद दिलाना होगा की रिंग रेलवे को सुधारने की ज़िम्मेदारी उनके विभागों की है.
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