देश और दुनिया में गुजरात का गिर बब्बर शेरों के लिए जाना जाता है. लेकिन जंगल के इन बादशाहों का दखल इन दिनों शहर और आसपास की बस्ती में भी काफी बढ़ गया है. कुछ ही दिनों पहले एक साथ 9 शेर जूनागढ़ शहर के बाहरी इलाकों में देखे गए थे. फिर रविवार को जब शहर के लोग गीरनार घूमने गए तब शाम के वक्त यहां एक साथ पांच शेर देखने को मिले.
गनीमत ये रही कि समय पर वनविभाग कर्मी पहुंच गए ओर उन्होंने शेरों को जंगल की ओर भगा दिया. हाल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार ऐसी क्या वजह है कि शेर इंसानी इलाकों में बार बार दिख रहे हैं. दरअसल, जानकारों की मानें तो पहले शेर दो जिलों यानी जूनागढ़ के शासन-गीर और अमरेली के कुछ इलाकों में ही देखने को मिलते थे. जूनागढ़ ओर अमरेली जो कि 400 वर्ग किलोमीटर में है, वहां से शेर अब धीरे धीरे भावनगर ओर गिर-सोमनाथ में भी मिलने लगे हैं. इन इलाकों में 2000 गांव हैं. इसमें करीब 1200 ऐसे गांव हैं जहां अब शेर साल में एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार हर महीने देखने को मिलने लगे हैं.
शेरों के संरक्षण के लिए काम करने वाले विशेषज्ञों की मानें तो हर शेर के परिवार में 3 से लेकर 9 सदस्य तक रहते हैं. ऐसे में इन्हें शिकार के लिए पांच से छह किलोमीटर तक की जरूरत होती है. इस हिसाब से गिर के जंगली इलाकों में ज्यादा से ज्यादा 250 शेर रह सकते हैं. लेकिन 2015 में हुई शेरों की गिनती के मुताबिक गिर के जंगल में फिलहाल 513 शेर हैं.
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शेर कि बढ़ती तादाद जहां geographical problem है वहीं शेरों के भी बड़ी समस्या है. धीरे धीरे जंगल में शेर के शिकार के लायक जानवर कम होते जा रहे हैं. विशेषज्ञों कि मानें तो एक शेर को शिकार करने के लिये 9 बार प्रयास करने पड़ते हैं, तब जाकर...
देश और दुनिया में गुजरात का गिर बब्बर शेरों के लिए जाना जाता है. लेकिन जंगल के इन बादशाहों का दखल इन दिनों शहर और आसपास की बस्ती में भी काफी बढ़ गया है. कुछ ही दिनों पहले एक साथ 9 शेर जूनागढ़ शहर के बाहरी इलाकों में देखे गए थे. फिर रविवार को जब शहर के लोग गीरनार घूमने गए तब शाम के वक्त यहां एक साथ पांच शेर देखने को मिले.
गनीमत ये रही कि समय पर वनविभाग कर्मी पहुंच गए ओर उन्होंने शेरों को जंगल की ओर भगा दिया. हाल में ऐसे कई मामले सामने आए हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार ऐसी क्या वजह है कि शेर इंसानी इलाकों में बार बार दिख रहे हैं. दरअसल, जानकारों की मानें तो पहले शेर दो जिलों यानी जूनागढ़ के शासन-गीर और अमरेली के कुछ इलाकों में ही देखने को मिलते थे. जूनागढ़ ओर अमरेली जो कि 400 वर्ग किलोमीटर में है, वहां से शेर अब धीरे धीरे भावनगर ओर गिर-सोमनाथ में भी मिलने लगे हैं. इन इलाकों में 2000 गांव हैं. इसमें करीब 1200 ऐसे गांव हैं जहां अब शेर साल में एक या दो बार नहीं बल्कि कई बार हर महीने देखने को मिलने लगे हैं.
शेरों के संरक्षण के लिए काम करने वाले विशेषज्ञों की मानें तो हर शेर के परिवार में 3 से लेकर 9 सदस्य तक रहते हैं. ऐसे में इन्हें शिकार के लिए पांच से छह किलोमीटर तक की जरूरत होती है. इस हिसाब से गिर के जंगली इलाकों में ज्यादा से ज्यादा 250 शेर रह सकते हैं. लेकिन 2015 में हुई शेरों की गिनती के मुताबिक गिर के जंगल में फिलहाल 513 शेर हैं.
यह भी पढ़ें- दो शिकारियों से शेर ने लिया 'बदला'! वीडियो हुआ वायरल
शेर कि बढ़ती तादाद जहां geographical problem है वहीं शेरों के भी बड़ी समस्या है. धीरे धीरे जंगल में शेर के शिकार के लायक जानवर कम होते जा रहे हैं. विशेषज्ञों कि मानें तो एक शेर को शिकार करने के लिये 9 बार प्रयास करने पड़ते हैं, तब जाकर उन्हें कामयाबी मिलती है. लेकिन शिकार की कमी के चलते शेर अब शिकार की खोज में जंगली इलाकों से आगे बढ़ने लगे हैं.
जंगल के राजा का इंसानों से क्यों बढ़ रहा है टकराव.. |
शेर कई बार गांव में आकर खड़े मवेशियों को अपना शिकार बनाते हैं. इंसान भी शेर की इस हरकत के लिये जिम्मेदार हैं. दरअसल, अमरेली, भावनगर जेसे जंगल के इलाकों में लोग शेर का शो भी करते हैं. इसमें मवेशी को शिकार के लिये शेर के इलाकों में छोड़ दिया जाता है. फिर उसके शिकार के तरीकों को दिखाकर मनोरंजन और पैसे कमाए जाते हैं. माना जा रहा है कि ऐसे शो के चलते भी शेर के शिकार करने के पैटर्न में बदलाव आया है. यही कारण है कि शेर आसान शिकार की खोज में गांव तक पहुंच जाते हैं.
देखिए, ये वीडियो जिसमें जूनागढ़ की सड़कों पर घूमते नजर आए थे 9 शेर..
गिर का वन दुनिया का ऐसा अकेला अभ्यारण्य है जहां शेर ओर इंसान एक साथ रहते हैं. यहां शेर कभी इन्सानो पर हमला करते नही दिखाई दिए. लेकिन अब शेर के बर्ताव में बदलाव देखने को मिल रहा है. शेर वनक्षेत्र के बाहर आने लगे हैं और इंसानों से उनका टकराव भी होने लगा है. पिछले तीन महीनों में शेरों ने 6 इंसानों पर हमला किया. इनमें 3 लोगों के शरीर के कुछ ही टुकड़े मिल पाए जबकि 3 लोग हमले में बुरी तरह घायल हुऐ थे.
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इस घटना के बाद वनविभाग ने एक के बाद एक कुल 16 आदमखोर बन चुके शेरों को पिंजरे में बंद किया था. बाद में सबूत ओर फॉरेंसिक जांच के आधार पर वनविभाग ने 3 शेरों पर ट्रायल चलाकर हत्या के लिये जिम्मेदार माना और उन्हें आजीवन कारवास में डाल दिया गया.
पूरे देश में एशियााई शेर सिर्फ गिर के अभ्यारण्य में देखने को मिलते हैं. इसी वजह से ये मांग भी उठी कि शेरों को दूसरे राजयों में भेजना चाहिए ताकि अगर कोई बीमारी या कुदरती आपदा आती है तो शेर पूरी तरह मिट ना जाएं.
शेरों को दूसरे राज्य में माईग्रेट करने के मुद्दे पर गुजरात सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के बीच में कानूनी जंग भी चल रही है. मध्य प्रदेश गुजरात से ऐशियाई शेरों की मांग कर रहा है जबकि गुजरात सरकार मध्यप्रदेश को शेर देने के पक्ष में नही है. इस कानूनी लड़ाई का हल जब निकलेगा तब निकलेगा लेकिन गिर में शेरों की तादाद बढ़ती ही जा रही है.
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