तारीख 20 जुलाई 2021, आज से करीब एक साल पहले जयपुर के टैगोर नगर में पिटबुल डॉग (Pitbull Dog) ने एक 11 साल के बच्चे को काटकर बुरी तरह जख्मी कर दिया था. उस वक्त जयपुर नगर निगम ने खतरनाक नस्ल के कुत्तों को घर में रखने के संबंध में कानून बनाने पर चिंता जताई थी. वहीं अधिकारियों को ऐसी नस्लों पर नजर रखने का आदेश भी दिया था.
नगर निगम का मानना था कि पिटबुल डॉग को घर में पालने के लिए कानून में बदलाव जरूरी है. खतरनाक कुत्तों के लिए एक गाइडलाइन बननी चाहिए. वहीं राजस्थान कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 'पिटबुल डॉग' को बैन करने का सुझाव दिया था. उनका कहना था कि पालतू जानवरों के मालिकों का सर्वे कराना चाहिए. कुछ विशेषज्ञों ने सलाह दी थी कि इस नस्ल के कुत्ते को घर में नहीं रखना चाहिए. अगर उस वक्त इन सभी बातों पर अच्छी तरह काम किया गया होता तो आज लखनऊ में पालतू कुत्ते पिटबुल के काटने से बुजुर्ग महिला की जान नहीं गई होती.
असल में लखनऊ के कैसरबाग थाना क्षेत्र के बंगाली टोला में पालतू पिटबुल डॉग ने 80 साल की सुशीला त्रिपाठी पर हमला कर दिया. वे एक रिटायर्ड टीचर थीं. उनका बेटा जिम ट्रेनर है, उसने घर की सुरक्षा के लिए दो कुत्तों को पाला है. जिसमें एक पिटबुल डॉग (ब्राउनी) और दूसरा लैब्राडोर है. जिस वक्त मां पर हमला हुआ वह घर पर नहीं था.
रोज की तरह बुजुर्ग महिला, छत पर पालतू कुत्तों को टहला रही थीं. तभी पिटबुल डॉग के गले से चैन खुल गई और उसने उनके ऊपर हमला कर दिया. कुत्ते ने उन्हें करीब 12 जगहों पर बुरी तरह काटा. वे अपने बचाव के लिए चिल्ला रही थीं, लेकिन उस वक्त घर पर कोई नहीं था. जब कामवाली बाई...
तारीख 20 जुलाई 2021, आज से करीब एक साल पहले जयपुर के टैगोर नगर में पिटबुल डॉग (Pitbull Dog) ने एक 11 साल के बच्चे को काटकर बुरी तरह जख्मी कर दिया था. उस वक्त जयपुर नगर निगम ने खतरनाक नस्ल के कुत्तों को घर में रखने के संबंध में कानून बनाने पर चिंता जताई थी. वहीं अधिकारियों को ऐसी नस्लों पर नजर रखने का आदेश भी दिया था.
नगर निगम का मानना था कि पिटबुल डॉग को घर में पालने के लिए कानून में बदलाव जरूरी है. खतरनाक कुत्तों के लिए एक गाइडलाइन बननी चाहिए. वहीं राजस्थान कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 'पिटबुल डॉग' को बैन करने का सुझाव दिया था. उनका कहना था कि पालतू जानवरों के मालिकों का सर्वे कराना चाहिए. कुछ विशेषज्ञों ने सलाह दी थी कि इस नस्ल के कुत्ते को घर में नहीं रखना चाहिए. अगर उस वक्त इन सभी बातों पर अच्छी तरह काम किया गया होता तो आज लखनऊ में पालतू कुत्ते पिटबुल के काटने से बुजुर्ग महिला की जान नहीं गई होती.
असल में लखनऊ के कैसरबाग थाना क्षेत्र के बंगाली टोला में पालतू पिटबुल डॉग ने 80 साल की सुशीला त्रिपाठी पर हमला कर दिया. वे एक रिटायर्ड टीचर थीं. उनका बेटा जिम ट्रेनर है, उसने घर की सुरक्षा के लिए दो कुत्तों को पाला है. जिसमें एक पिटबुल डॉग (ब्राउनी) और दूसरा लैब्राडोर है. जिस वक्त मां पर हमला हुआ वह घर पर नहीं था.
रोज की तरह बुजुर्ग महिला, छत पर पालतू कुत्तों को टहला रही थीं. तभी पिटबुल डॉग के गले से चैन खुल गई और उसने उनके ऊपर हमला कर दिया. कुत्ते ने उन्हें करीब 12 जगहों पर बुरी तरह काटा. वे अपने बचाव के लिए चिल्ला रही थीं, लेकिन उस वक्त घर पर कोई नहीं था. जब कामवाली बाई आई तो उसने देखा कि वे बुरी खून से लथपथ हैं. बाई ने तुंरत उनके बेटे को फोन किया. बेटा भागा-भागा घर आया औऱ मां को अस्पताल लेकर भागा, लेकिन जब तक देर हो चुकी थी. कुत्ते ने उनकी अंतड़ी बाहर निकाल दी थी, इतना खून बह चुका था कि वे बच नहीं पाईं.
इस खबर को जानने के बाद लोग पिटबुल डॉग को अपराधी बता रहे हैं. वे कह रहे हैं कि जिसे बेटे की तरह पाला, जिसे खाना खिलाया उसने ही आज मां की जान ले ली. तो क्या इसमें गलती कुत्ते की है? आजकल के जमाने में जब इंसान का भरोसा नहीं है तो फिर जानवर से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं, आखिर वह अपना स्वभाव कब तक बदलकर रहेगा. जो कुत्ता खुले में रहने का आदि है, जो शिकार के लिए जाना जाता है, जो कभी भी हिंसक हो सकता है उसे फ्लैट में बांधकर रखने की जरूरत क्या है?
लोगों को लगता है कि किसी भी जानवर को गाय की तरह पाला जा सकता है. उसके स्वभाव के बारे में जानना जरूरी नहीं समझते. किसी जानवर को पालने का मतलब बांधकर रखना और खाना देना नहीं होता.
एक हफ्ते पहले ही जयपुर में एक पिटबुल डॉग ने सात साल की बच्ची पर हमला बोल दिया और हाथ का मांस नोंचकर खा गया. जख्म इतना गहरा था कि बच्ची की हड्डियां दिखने लगीं थी. जिसे ठीक करने के लिए उसकी प्लास्टिक सर्जरी करानी पड़ी. लोग अपने स्टेटस और शो ऑफ करने के लिए खतरनाक नस्ल का कुत्ता पालने का शौक रखते हैं, जबकि वह कैद रहने वाला प्रजाति नहीं है.
पिटबुल को पालते वक्त बरती जाने वाली असावधानी
पिटबुल डॉग को सुरक्षा के लिहाज से पाला जा सकता है, लेकिन इसे 2 कमरों के फ्लैट में रखना खतरनाक हो सकता है. ये केयरिंग और बुद्धिमान होते हैं, लेकिन इनका स्वभाव काफी खतरनाक होता है. ये बिना किसी बात के भी अक्रामक हो सकते हैं. जिसे समझना आसान नहीं होता है.
पिटबुल की अक्रामकता रोकने के लिए इन्हें ट्रेन करना जरूरी है. इनका एनर्जी लेवल काफी अधिक होता है, इसलिए इनके लिए व्यायाम जरूरी है. इससे इनमें सकारात्म उर्जा का विकास होता है. इन्हें दौड़ना, भागना, खेलना काफी पसंद होता है. पालने वाले को इनके साथ समय बिताना जरूरी है.
हमारे यहां लोग कुत्ते खरीद कर घरों में बंद कर देते हैं. सुबह-शाम दो रोटी दे दी और जिम्मेदारी खत्म. कमरे में ऐसी चलाकर कुत्ते को रखने से कुछ नहीं होगा, अगर आपका पास समय नहीं रहेगा तो उसके अंदर चिड़चिड़ापन होगा. पिटबुल डॉग अपने परिवार और मलिक के प्रति सुरक्षा का भाव रखते हैं लेकिन यह अजनबी लोगों से बिल्कुल भी मिलनसार नहीं होते हैं. इसलिए कई बार ये उन पर हमला भी कर सकते हैं. इसलिए, पिटबुल आपके रिश्तेदारों और पड़ोसियों के लिए तो खतरनाक ही होगा. यह उसकी गलती नहीं, उसका नेचर है. तो अगर आप पिटबुल को घर लाने की सोच रहे हैं तो कुत्ते के साथ रोजाना दो घंटे बिताने का समय निकालें. पिटबुल के मन को समझें कि वह बदलते मौसम के साथ कैसा व्यवहार करता है. अगर उसे यह सब नहीं मिला तो वह कभी भी खतरनाक रूप धारण कर सकता है.
जानिए क्यों तैयार की गई थी पिटबुल प्रजाति
पिटबुल डॉग का पूरा नाम अमेरिकन पिटबुल टेरियर है. जो ओल्ड इंग्लिश बुल डॉग और टेरियर डॉग की क्रॉस ब्रीडिंग का नस्ल है. इसे यूनाइटेड केनेल क्लब और अमेरिकन डॉग ब्रीडर्स एसोसिएशन से मान्यता प्राप्त है. यूनाइटेड किंगडम में 19वीं शताब्दी के समय इसका इस्तेमाल डॉग फाइट के लिए किया जाता था, क्योंकि यह साहसी, मजबूत और फुर्तीला होता है. इसका खर्च दूसरे जानवरों की तुलना में कम होता था. हालांकि पशु कल्याण कानून आने के बाद सरकरा ने इस पर रोक लगा दी थी. इसके बाद 20वीं शताब्दी में पिटबुल डॉग के जरिए जूसरे जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए किया जाता था. इसके बाद इसे पुलिस कुत्ते के रूप में जाना गया. हालांकि लोगों ने अपने घरों की सुरक्षा के लिए पालना शुरु कर दिया.
भारत में खतरनाक प्रजाति के कुत्तों को बैन करने का कोई रूल नहीं
पिटबुल का स्वभाव की ऐसा है. वह कुछ लोगों को बहुत प्यारा लगता है तो कुछ लोगों को खतरनाक लगता है. फिलहाल 41 देशों ने इसे पालने पर बैन लगा दिया है, लेकिन भारत में इस पर कोई प्रतिबंध नहीं है. कई लोग तो बिना लाइसेंस लिए ही इसे फ्लैट में पालते हैं और किसी को खबर तक नहीं होती है. नजीता आपके सामने है. अब जो लोग पिटबुल को फॉर्म हाउस पर रखवाली के पालते हैं. उनके पास कुछ लोग होते हैं जो इसका ख्याल रखते हैं. इसके साथ खेलते हैं, लेकिन जो बंदा दिन भर ऑफिस में रहता है और लेट नाइट घर आता है...सोचिए अगर वह इन्हें पालेगा तो क्या हाल हो सकता है? इनका स्वभाव ऐसा है कि आप इन्हें दिनरात बांधकर चार दिवारी में नहीं रख सकते. पिटबुल अपने मालिक के बदलते व्यहार के कारण उनपर हमला कर सकता है. उसे अपने मालिक की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होती है. ना ही वह किसी और कुत्ते के साथ मेलजोल बढ़ाना चाहता है.
रिसर्च क्या कहती है
अमेरिकन वेटरनरी मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, लोग पिटबुल के स्वभाव को उसके मालिकों के साथ जोड़कर देखते हैं. यूनाइटेड केनेल क्लब का मानना है कि, पिटबुल नस्ल के कुत्ते बुजुर्गों और बच्चों के प्रति प्रेम जाहिर करने के लिए आतुर रहते हैं. हालांकि अधितकर पिटबुल आक्रामक होते हैं. ये काफी शक्तिशाली होते हैं, इसलिए इसके मालिक को सावधानीपूर्वक इसके अंदर सामाजिक गुण विकसित करना जरूरी है. पिटबुल की बदनाम छवि की वजह से उनके स्वभाव पर कई अध्ययन किए गए हैं. अमेरिकन टेम्परामेंट टेस्ट सोसाइटी (ATTS) ने अपने अध्ययन में माना है कि पिटबुल आक्रामक नहीं हैं.
हालांकि इसका इसका मतलब यह नहीं है कि पिटबुल एक औसत पालतू जानवर है. हर कोई इस बात को मानता है कि पिटबुल दूसरों कुत्तों की तुलना में किसी न किसी रूप में आक्रामक है. इसलिए इसे घर में पालने से पहले एक बार फिर से सोच लें.
पिटबुल के प्रति दुर्भावना रखने से कुछ नहीं होगा
जब हम पिटबुल की बात करते हैं तो हम इसकी आपराधिक गतिविधि से जोड़ते हैं. इसलिए इस कुत्ते की छवि हमारी नजरों में अधिकतर नकारात्मक है. पिटबुल कुत्ता बुरा नहीं है. उसके नेचर को छेड़कर हमने ही बुराई पाल ली है. किसी को अगर उसके नेचर के खिलाफ आप प्रताड़ित करेंगे तो वह आप पर हमला ही करेगा. उसके मन को समझना आसान नहीं है. उसका की भी मूड स्विंग होता है. मालिक को चोट पहुंचाने के बाद वह भी पछताता है. उसकी आंखों में आंसू ऐसे नहीं बहते.
वह जब हमला करता है तो अपना जबड़ा बंद कर लेता है. पिटबुल के बारे में निगेटिविटी मत फैलाइए. उसे अपराधी मत घोषित कीजिए. उनसे नहीं कहा कि मुझे घर में कैद कर दो. यह शहर उसके रहने के लिए सही नहीं है. अगर वह इंसान को काटता है तो यह उसका नेचर है और यही रहेगा. आज के जमाने में जब इंसान जानवर बन गया है तो आप जानवर को इंसान बनाने पर क्यों तुले हैं, उसे जानवर ही रहने दीजिए. ऐसी ना जाने कितनी कहानियां हमने पढ़ी और सुनी हैं कि, कुत्ते ने मालिक को बचाने के लिए अपनी जान दे दी, तो पिटबुल के नाम पर कुत्ते प्रजाति पर कलंक मत लगाइए...
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