'सच्चाई वो दीया है जो पहाड़ की चोटी पे जला दो तो रौशनी तो बहुत कम दूर तक करता है, मगर दिखता बहुत दूर से है'. ये हमारे नहीं, बल्कि सलीम खान के शब्द हैं, जो उन्होंने अपने बेटे सलमान खान के बचाव में ट्विटर पर कहे हैं. दरअसल, सलमान फिर विवादों में हैं. सवाल किया जा रहा है कि उन्हें क्या सोचकर ओलंपिक का गुडविल एम्बेसेडर बनाया गया है.
कुछ खिलाड़ी सलमान खान को एंबेसडर चुने जाने का विरेध कर रहे हैं तो कई इस फैसले के साथ हैं |
क्या है मामला, क्यों हुआ विवाद-
सलमान को ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने पर सबसे पहले पहलवान योगेश्वर दत्त ने सवाल उठाए थे. उसके बाद मिल्खा सिंह ने भी सलमान का विरोध करते हुए कहा कि 'ओलंपिक के लिए गुडविल एंबेसडर कोई खिलाड़ी होना चाहिए न कि बॉलीवुड का कोई व्यक्ति.
मिल्खा सिंह की बात का जवाब सलमान के पिता सलीम खान ने ट्वीट करके दिया, उन्होंने कहा कि- 'भले ही सलमान ने कभी किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया हो लेकिन वे एक बेहतरीन तैराक, साइकलिस्ट और वेट लिफ्टर हैं'. सलीम ने तंज किया कि 'मिल्खा जी यह बॉलीवुड नहीं, बल्कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री है जो दुनिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्री है और यह वही इंडस्ट्री है जिसने आपको गुमनामी के अंधेरे से बाहर निकाला था.'
इस बात पर मिल्खा सिंह का कहना था कि- 'ये अच्छी बात है कि बॉलीवुड ने मिल्खा सिंह पर फिल्म बनाई. लेकिन फिल्म में अपनी कहानी दिखाने का मैंने केवल एक रुपया लिया, और निर्माताओं ने फिल्म से करोड़ों कमाए. फिल्म बनाकर उन्होंने मिल्खा सिंह पर अहसान नहीं किया है.'
सलमान खान के पक्ष में सलीम खान के इस जवाब पर देश का सबसे...
'सच्चाई वो दीया है जो पहाड़ की चोटी पे जला दो तो रौशनी तो बहुत कम दूर तक करता है, मगर दिखता बहुत दूर से है'. ये हमारे नहीं, बल्कि सलीम खान के शब्द हैं, जो उन्होंने अपने बेटे सलमान खान के बचाव में ट्विटर पर कहे हैं. दरअसल, सलमान फिर विवादों में हैं. सवाल किया जा रहा है कि उन्हें क्या सोचकर ओलंपिक का गुडविल एम्बेसेडर बनाया गया है.
कुछ खिलाड़ी सलमान खान को एंबेसडर चुने जाने का विरेध कर रहे हैं तो कई इस फैसले के साथ हैं |
क्या है मामला, क्यों हुआ विवाद-
सलमान को ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने पर सबसे पहले पहलवान योगेश्वर दत्त ने सवाल उठाए थे. उसके बाद मिल्खा सिंह ने भी सलमान का विरोध करते हुए कहा कि 'ओलंपिक के लिए गुडविल एंबेसडर कोई खिलाड़ी होना चाहिए न कि बॉलीवुड का कोई व्यक्ति.
मिल्खा सिंह की बात का जवाब सलमान के पिता सलीम खान ने ट्वीट करके दिया, उन्होंने कहा कि- 'भले ही सलमान ने कभी किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लिया हो लेकिन वे एक बेहतरीन तैराक, साइकलिस्ट और वेट लिफ्टर हैं'. सलीम ने तंज किया कि 'मिल्खा जी यह बॉलीवुड नहीं, बल्कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री है जो दुनिया की सबसे बड़ी इंडस्ट्री है और यह वही इंडस्ट्री है जिसने आपको गुमनामी के अंधेरे से बाहर निकाला था.'
इस बात पर मिल्खा सिंह का कहना था कि- 'ये अच्छी बात है कि बॉलीवुड ने मिल्खा सिंह पर फिल्म बनाई. लेकिन फिल्म में अपनी कहानी दिखाने का मैंने केवल एक रुपया लिया, और निर्माताओं ने फिल्म से करोड़ों कमाए. फिल्म बनाकर उन्होंने मिल्खा सिंह पर अहसान नहीं किया है.'
सलमान खान के पक्ष में सलीम खान के इस जवाब पर देश का सबसे जागरूक तबका यानी हमारे ट्विटर भाई बहन इस मामले में सलीम खान पर टूट पड़े.
अपने बेटे सलमान का पक्ष लेने और मिल्खा सिंह पर टिप्पणी करने पर सलीम खान को ट्विटर पर ट्रोल किया गया |
ऐसा लग रहा है जैसे पहली बार देश के हित में चलाए जा रहे किसी कैंपेन में किसी फिल्मी सितारे को लेकर गुनाह कर दिया गया है. भारत में क्रिकेट को छोड़कर हॉकी समेत बाकी खेलों की स्थिति किसी से छिपी हुई नहीं है. कभी बेहतरी के हालात बनते भी हैं तो हम ही मुग्दर लेकर अच्छे से दिख रहे अवसरों पर टूट पड़ते हैं.
क्यों न मिले सलमान को ये मौका-
मार्केटिंग या पब्लिसिटी का पुराना और सफल फंडा है, कुछ बेचना है या ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच पहुंचाना है तो उसे किसी प्रभावशाली व्यक्ति के हाथ थमा दो. यहां पर बात ओलंपिक खेलों से जुड़ी है. सलमान रियो जा रही भारतीय ओलंपिक टीम के आगे राष्ट्रीय झंडा लेकर नहीं चलेंगे. उनकी जिम्मेदारी सिर्फ इतनी है कि वे इन खेलों की तैयारी में लगे खिलाडि़यों की पब्लिसिटी करें और उनके लिए समर्थन जुटाएं.
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सलमान देश के सबसे चहेते फिल्मी सितारों में से एक हैं. वो यूथ आइकन हैं, और पिछले 30 सालों से युवा दिलों की धड़कन हैं. वो युवाओं को किस तरह प्रेरित करते हैं. सलमान खान की बॉडी बिल्डिंग इसी प्रेरणा का हिस्सा रही हैं. अब वे मैरीकॉम और हॉकी कप्तान सरदारा सिंह के साथ टीवी पर दिखाई दे रहे हैं, और लोगों से उन्हें सपोर्ट करने की अपील कर रहे हैं. तो इसमें बुरा क्या है?
सलमान खान अगर ओलंपिक में भाग लेने जा रहे खिलाडियों का मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाते हैं, तो इसमें ग़लत क्या है |
किसी भी खेल में जब देश कोई पदक जीतता है तो केवल वो खिलाड़ी या उस खेल को पसंद करने वाले लोग ही खुश होते हों ऐसा नहीं है, बल्कि देश गर्व महसूस करता है. खिलाड़ियों की जीत पर पूरा देश अगर खुश हो सकता है तो खेलों के प्रचार प्रसार में भूमिका क्यों नहीं निभा सकता. वो चेहरा सलमान क्यों नहीं हो सकता. रियल हीरो तो खिलाड़ी ही होंगे, जो मैडल लेकर आएंगे.
प्रो-कबड्डी के लिए फिल्मी सितारे आगे आए और लोगों की दिलचस्पी इस खेल की तरफ खुद-ब-खुद बढ़ गई. |
सलमान खान के चुनाव को गलत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उनके होने से दर्शकों को टीवी तक लाने में काफी मदद मिलेगी. खिलाड़ी जो खेलता है और जीतता है तो उससे खेल को फायदा तो होता ही है, साथ ही अगर कोई सेलिब्रिटी साथ हो तो उस ओर लोगों की दिलचस्पी बढ़ जाती है. इसके उदाहरण हैं आईपीएल और प्रो कबड्डी, जिसमें सितारों की भूमिका सराहने योगय रही है, जिनके होने से कबड्डी जैसे खेल में भी लोगों की रुचि बढ़ गई.
कबड्डी के खेल में सितारों का काम नहीं था, लेकिन इनके होने से खिलाड़ियों के हौसले बढ़ गए और लोगों की दिलचस्पी भी |
ये तो अच्छा हुआ कि सलमान खान ने ओलंपिक एंबेसडर बनने के लिए आईओए से कोई पैसा नहीं लिया, वरना तो ये बहस कहीं और ही चली जाती. जबकि जितना समय सलमान इस काम के लिए देंगे उतने समय में वो कई सौ करोड़ रूपये कमा सकते हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सलमान को इससे कोई फायदा नहीं होगा. भारतीय ओलंपिक टीम के बहाने ही सही, उन्हें देश का प्रतिनिधित्व मिल रहा है. और इसके लिए उन्हें किसी फिल्मी सीन की जरूरत नहीं है.
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