प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिनको उड़ाना है मजाक उड़ायें. मुझे यहां हिंदू संस्कार नजर आ रहा है. जहां एक बेटा अपनी मां के पैरों में झुका है. जो अपनी मां के पैरों को धो कर उस पानी को अपने माथे से लगा रहा है. जो अपनी मां के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर खुश हो रहा है. जो अपनी मां की पूजा कर रहा है.
और, ये पूजा अकेले इस शख्स को नहीं बल्कि दुनिया के हर बच्चे को करनी चाहिए. खास कर जो मजाक उड़ा रहे हैं उनको समझना चाहिए कि आखिर मां-बाप कितने जतन से पालते हैं उन्हें. लेकिन एक वक्त के बाद वही मां-बाप कपड़ों की तरह आउट-डेटेड हो जाते हैं, उन्हीं बच्चों की नजरों में जिसे चलना, हंसना-रोना, खाना-पढ़ना सब उसी आउट-डेटेड मां-बाप ने सीखाया होता है. ठीक न. अगर दुनिया का हर बेटा इस बेटे जैसा हो जाए तो ओल्ड-एज होम बनाने की जरूरत ही न पड़े.
ओल्ड एज होम से याद आया कि अभी 15 जून को ही world elder abuse awareness day मनाया गया. जानते हैं, ये दिन क्यों मनाया जाता है? ताकि बुजुर्गों के प्रति आदर और संवेदना का भाव जगाया जा सके. उनके तिरस्कार और अपमान को रोका जा सके. ये संदेश दिया जा सके कि इन्हीं बुजुर्गों की वजह से एक युवा पीढ़ी दुनिया में आई है. बुजुर्ग होने का मतलब कूड़ा-कचरा हो जाना नहीं है. तो जब प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां के चरणों में बैठे हैं, तो अपने आसपास के बुजुर्गों को देखिए. और अपना मन टटोलिए कि कहीं भूलवश आपसे कोई चूक तो नहीं हो रही है.
एक मुद्दा जो हमेशा निकल कर आता है कि मोदी जी अपनी मां से भी मिलने जाते हैं तो कैमरा लेकर चलते हैं. पहली बात अगर लेकर चलते भी हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है. हम सब क्या अपने...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिनको उड़ाना है मजाक उड़ायें. मुझे यहां हिंदू संस्कार नजर आ रहा है. जहां एक बेटा अपनी मां के पैरों में झुका है. जो अपनी मां के पैरों को धो कर उस पानी को अपने माथे से लगा रहा है. जो अपनी मां के 100वें वर्ष में प्रवेश करने पर खुश हो रहा है. जो अपनी मां की पूजा कर रहा है.
और, ये पूजा अकेले इस शख्स को नहीं बल्कि दुनिया के हर बच्चे को करनी चाहिए. खास कर जो मजाक उड़ा रहे हैं उनको समझना चाहिए कि आखिर मां-बाप कितने जतन से पालते हैं उन्हें. लेकिन एक वक्त के बाद वही मां-बाप कपड़ों की तरह आउट-डेटेड हो जाते हैं, उन्हीं बच्चों की नजरों में जिसे चलना, हंसना-रोना, खाना-पढ़ना सब उसी आउट-डेटेड मां-बाप ने सीखाया होता है. ठीक न. अगर दुनिया का हर बेटा इस बेटे जैसा हो जाए तो ओल्ड-एज होम बनाने की जरूरत ही न पड़े.
ओल्ड एज होम से याद आया कि अभी 15 जून को ही world elder abuse awareness day मनाया गया. जानते हैं, ये दिन क्यों मनाया जाता है? ताकि बुजुर्गों के प्रति आदर और संवेदना का भाव जगाया जा सके. उनके तिरस्कार और अपमान को रोका जा सके. ये संदेश दिया जा सके कि इन्हीं बुजुर्गों की वजह से एक युवा पीढ़ी दुनिया में आई है. बुजुर्ग होने का मतलब कूड़ा-कचरा हो जाना नहीं है. तो जब प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां के चरणों में बैठे हैं, तो अपने आसपास के बुजुर्गों को देखिए. और अपना मन टटोलिए कि कहीं भूलवश आपसे कोई चूक तो नहीं हो रही है.
एक मुद्दा जो हमेशा निकल कर आता है कि मोदी जी अपनी मां से भी मिलने जाते हैं तो कैमरा लेकर चलते हैं. पहली बात अगर लेकर चलते भी हैं तो इसमें कुछ गलत नहीं है. हम सब क्या अपने स्पेशल मोमेंट्स की फोटो क्लिक नहीं करते. क्या हम उन्हें गाहे-बगाहे सोशल मीडिया पर नहीं डालते. क्या प्रधानमंत्री होने का मतलब नॉर्मल इंसान वाली हरकत नहीं करना होता है? उनकी मां सौ साल की होने जा रही हैं, उनकी और कितनी जिंदगी बाकी है तो क्या उनको हक नहीं है कि अपनी मां के साथ बिताए मोमेंट्स को कैमरे में कैद करके अपने साथ रख लें? और यदि ये तस्वीरें आम जनता तक पहुंच रहीं हैं तो क्या इसका संदेश नहीं समझा जा सकता?
तो, आप जो ये माथापच्ची कर रहे हैं, फेंकू कैमरा ले कर चलता है, मां को भी अपने मतलब के लिए यूज कर रहा है, पब्लिसिटी स्टंट है, ये सब लिखने से पहले सोचिए न जरा. क्या सच में उनको जरूरत है इस तरह के टुच्चे स्टंट की. और, एक बात अगर पब्लिक डोमेन में ये वीडियो आ भी रही है, तो अच्छे संस्कार क्या होते हैं, यही दिख रहा है और ये दिखाना भी चाहिए. कोई नशा करता हुआ या किसी को गाली देता हुआ वीडियो नहीं है. किसी पब में शराब का ग्लास थामे तस्वीरें नहीं है प्रधानमंत्री मोदी की. इस को देखकर सीख और संस्कार को समझा जा सकता है. समझें न!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.