'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने एक शोध किया है.' इतना बताने पर शायद ही कोई इस बात पर ध्यान दे. अब इसके बाद अगर ये कहा जाए कि थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने अपने चश्मे से भारत को उस नजर से देखा है जिसमें हम भारतीय उसे धुंधले दिखाई दे रहे हैं तो शायद हमारी कही ये बात आपका ध्यान खींचे. थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की एक स्टडी के मुताबिक दुनिया भर में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश हमारा भारत है. स्टडी के मुताबिक, भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुक्षित देशों की सूची में पहले स्थान पर रखा गया है. इसके बाद जिस बात ने सबसे ज्यादा शर्मसार किया है वो ये कि महिलाओं के साथ अपराध के मामले में भारत ने अफगानिस्तान, सीरिया, सऊदी अरब, पाकिस्तान जैसे देश को भी पीछे कर दिया है. जबकि इस स्टडी में अमेरिका पश्चिमी देशों में एक मात्र ऐसा देश है जो टॉप 10 में शामिल है.
अगर स्टडी पर कोई भी व्यक्ति पहली बार नजर डालें तो वो हैरत में आ जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि सात वर्ष पहले इसी स्टडी में भारत को सातवें पायदान पर रखा गया था. 2011 में हुए इस सर्वे पर अगर आज नजर डालें तो मिलता है कि तब अफगानिस्तान, कॉन्गो, पाकिस्तान, भारत और सोमालिया महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश माने गए थे. लेकिन इस वर्ष महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के मामले में भारत दूसरे देशों से काफी आगे निकल गया है जिसके कारण आम भारतीय विश्व पटल पर शर्मसार हुए हैं.
यानी अगर 'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन' की तरह से जारी इस स्टडी को देखें तो देखने वाले व्यक्ति को मिलेगा कि भारत औरतों के लिहाज से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. यही वो देश है जहां सबसे...
'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने एक शोध किया है.' इतना बताने पर शायद ही कोई इस बात पर ध्यान दे. अब इसके बाद अगर ये कहा जाए कि थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने अपने चश्मे से भारत को उस नजर से देखा है जिसमें हम भारतीय उसे धुंधले दिखाई दे रहे हैं तो शायद हमारी कही ये बात आपका ध्यान खींचे. थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की एक स्टडी के मुताबिक दुनिया भर में महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश हमारा भारत है. स्टडी के मुताबिक, भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुक्षित देशों की सूची में पहले स्थान पर रखा गया है. इसके बाद जिस बात ने सबसे ज्यादा शर्मसार किया है वो ये कि महिलाओं के साथ अपराध के मामले में भारत ने अफगानिस्तान, सीरिया, सऊदी अरब, पाकिस्तान जैसे देश को भी पीछे कर दिया है. जबकि इस स्टडी में अमेरिका पश्चिमी देशों में एक मात्र ऐसा देश है जो टॉप 10 में शामिल है.
अगर स्टडी पर कोई भी व्यक्ति पहली बार नजर डालें तो वो हैरत में आ जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि सात वर्ष पहले इसी स्टडी में भारत को सातवें पायदान पर रखा गया था. 2011 में हुए इस सर्वे पर अगर आज नजर डालें तो मिलता है कि तब अफगानिस्तान, कॉन्गो, पाकिस्तान, भारत और सोमालिया महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देश माने गए थे. लेकिन इस वर्ष महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों के मामले में भारत दूसरे देशों से काफी आगे निकल गया है जिसके कारण आम भारतीय विश्व पटल पर शर्मसार हुए हैं.
यानी अगर 'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन' की तरह से जारी इस स्टडी को देखें तो देखने वाले व्यक्ति को मिलेगा कि भारत औरतों के लिहाज से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. यही वो देश है जहां सबसे ज्यादा महिलाओं को दबाया जा रहा है साथ ही उनके साथ ऐसा बहुत कुछ किया जा रहा है जिसके देखकर या सुनकर कठोर से कठोर ह्रदय वाला व्यक्ति पिघल जाए.
भारत जैसे देश पर ये एक गंभीर आरोप है. जब इस ताजा रिपोर्ट का अवलोकन किया गया तो जो बातें निकल कर आईं वो विचलित करने वाली थीं. स्टडी को 548 'एक्सपर्ट्स' से राय मशवरा करके हमारे सामने पेश किया गया है. कहना गलत नहीं है कि इन '548' एक्सपर्ट्स की बेहद निजी राय ने सिर्फ और सिर्फ भारत की छवि को धूमिल किया है और हमें हकीकत से कोसों दूर रखा. आइये नजर डालते हैं ऐसे कुछ बिन्दुओं पर जिनके चलते भारत तो क्या दुनिया का कोई भी व्यक्ति हो उसके सामने इस स्टडी की क्रेडिबिलिटी संदेह के घेरों में रहेगी.
जिन लोगों से शोध कराया वो आम लोग नहीं थे
इस स्टडी के लिए 'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन' ने 548 लोगों का चुनाव किया. 'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन' की वेबसाइट पर नजर डालें तो मिलता है कि इसके लिए जिन लोगों का चयन किया गया वो आम लोग नहीं थे बल्कि 548 लोगों का वो समूह था जिसमें डेवलपमेंट प्रोफेशनल, शिक्षाविद, स्वास्थ्य कर्मी, पॉलिसी मेकर, एनजीओ, पत्रकार, सामाजिक टिप्पणीकार शामिल थे. जबकि होना ये चाहिए था कि इसके लिए 'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन' आम लोगों की एक निश्चित संख्या का चयन करता और उनसे सवालों के जवाब लेता और उसके बाद एक निष्पक्ष रिपोर्ट बनाता.
548 लोगों ने पेश की अपनी निजी राय
जब शोध का आधार वर्ग विशेष हो तो कहना गलत नहीं है कि उन्होंने जो निष्कर्ष निकाले वो पूर्णतः पूर्वाग्रह से ग्रसित थे. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि चूंकि 2012 में यहां एक चर्चित बलात्कार हो चुका है और उससे जुड़ी ख़बरें पढ़कर कोई ये कहे कि भारत में हर मिनट रेप होते हैं तो ऐसा कहने वाला व्यक्ति कहीं न कहीं भारत को लेकर बायस होगा और सच्चाई से कोसों दूर होगा. इसी तरह कोई एसिड अटैक की बात करे और कहे कि भारत तो ऐसा देश हैं जहां जरा जरा सी बात पर लोगों विशेषकर महिलाओं पर एसिड से हमला कर दिया जाता है तो कहने या फिर बताने वाले का नजरिया ये बात खुद साफ कर देता है कि वो राय बना चुका है. ऐसे में अब जब कोई किसी विषय पर राय कायम कर लेगा तो परिणाम वही होंगे जो इस स्टडी में आ रहे हैं.
आखिर किन मानकों पर भारत को किया गया बदनाम
इस शोध के लिए 'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन' ने 6 क्षेत्रों हेल्थ केयर, डिस्क्रिमिनेशन, कल्चरल ट्रेडिशंस, सेक्सुअल वायलेंस, नॉन सेक्सुअल वायलेंस, ह्युमन ट्राफिकिंग का चयन किया है. इन 6 क्षेत्रों में 548 'एक्सपर्ट्स' ने भारत को हेल्थ केयर के मामले में चौथे स्थान पर रखा है. डिस्क्रिमिनेशन के मामले में भारत तीसरे नंबर, कल्चरल ट्रेडिशंस में पहले नंबर,सेक्सुअल वायलेंस में पहले नंबर, नॉन सेक्सुअल वायलेंस में तीसरे नंबर और ह्युमन ट्राफिकिंग में भी पहले नंबर पर 1.
दिक्कत भारत के नंबर 1 होने पर नहीं है, दिक्कत का आधार क्रेडिबिलिटी है
हम बिल्कुल भी इस बात का समर्थन नहीं कर रहे हैं कि भारत में महिलाओं के लिए सब अच्छा हो रहा है या फिर भारत महिलाओं के लिहाज से बेहद सुरक्षित है और उसे 548 लोगों की राय पर बेवजह बदनाम किया जा रहा है. निश्चित तौर पर भारत में अपराध होते हैं मगर इसका मतलब ये नहीं है कि 548 लोग मिलकर सवा सौ करोड़ लोगों के बारे में फैसला सुनाएं.
बहरहाल, उपरोक्त बातों से साफ है कि 'थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन' की ये स्टडी और इस स्टडी में विश्व मानचित्र में भारत की छवि धूमिल करना कुछ सौ लोगों का अपना ओपिनियन हो सकता है जिसे स्टडी की संज्ञा देना अपने आप में मूर्खता है. अंत में इतना ही कि भले ही ये कुछ लोगों की राय हो मगर इसपर भारत की सरकार को गंभीर हो जाना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि इस राय से भारत का नाम खराब हो रहा है जो किसी भी भारतीय को आहत करने के लिए काफी है.
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