शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब हम अपने आस पास आधार से जुड़ी ख़बरें न सुनते हों. कह सकते हैं कि देश में किसी चीज की चर्चा हो या न हो, आधार हमेशा चर्चा में रहेगा. सरकार की महत्वाकांशी योजना "आधार" फिर एक बार लोगों की जुबान पर है. खबर है कि अब यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IDAI) ने आधार सेंटर पर आधार में डिटेल्स अपडेट कराने की दरों में बदलाव किया है. आधार अपडेशन की सर्विस को अब 18 फीसदी जीएसटी के दायरे में रखा गया है. एक ट्वीट के माध्यम से यूआईडीएआई ने इसकी जानकारी दी है. ध्यान रहे कि आधार सेंटर पर आधार अपडेट कराने की फीस 25 रुपए है जिसपर सरकार द्वारा 18% का जीएसटी लिया जाएगा. यानी अब आपको आधार अपडेट कराने के लिए 25 की जगह 30 रुपए देने होंगे.
शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब आधार से जुड़ी ख़बरें लोगों के बीच चर्चा का विषय न हों
वहीं आधार को लेकर चल रही गड़बड़ियों पर यूआईडीएआई पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में ज्यादा सख्त नजर आ रही है. ये बात हम नहीं कह रहे, बल्कि खुद यूआईडीएआई की तरफ से आया एक ट्वीट बता रहा है कि अब आधार को लेकर किसी भी धांधली को सरकार द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
ट्वीट के अनुसार, अगर किसी भी सेंटर पर निर्धारित फीस से जायद फीस ली जाती है तो नागरिक अतिरिक्त फीस न दें, हमें इसकी सूचना दें. हम भ्रष्टाचार बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगे. यूआईडीएआई का मत है कि अगर किसी से ज्यादा पैसे के लिए कहा जाता है तो वह हमें सीधे रिपोर्ट करें. वह हमें पर्सनल मैसेज करें. मैसेज में आधार सेंटर का पूरा पता, एनरोलमेंट ऐजेंट का नाम इसके अलावा अपनी ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर दें. हम शिकायत के आधार पर कार्रवाई करेंगे.
हो सकता है कि पहली नजर में देश के किसी भी आम नागरिक को ये यूआईडीएआई की एक अच्छी पहल लगे. हो सकता है कि सरकार का पक्ष लेते हुए व्यक्ति ये कहे कि सरकार, आधार के महत्त्व और उसकी गंभीरता को दिखाने के अलावा महंगाई के मद्देनजर आधार पर अतिरिक्त पैसे ले रही है. समर्थन के कारण कुछ ही हो सकते हैं. मगर ये बात कितनी गंभीर है इसे केवल और केवल हमारा विवेक ही हमें समझा सकता है. आइये कुछ अहम बिन्दुओं से समझने का प्रयास करते हैं कि ऐसा करते हुए "भ्रष्टाचार" कम करने की बैट करने वाली वाली IDAI कैसे खुद "भ्रष्टाचार" का एक बड़ा अड्डा बनती जा रही है.
आधार को लेकर बढ़ती धांधली से सरकार खासी परेशान है
25 से 30 के बीच में होगी खूब धांधली
हिंदुस्तान की जनता बड़ी भोली है. देश की जनता को आप कोई भी पट्टी पढ़ा दीजिये वो आपकी बात मान ही लेगी. बात की शुरुआत 25 रुपए के 30 रुपए होने से शुरू करते हैं. आधार अपडेशन का अतिरिक्त व्यय 5 रुपए है. अब इसे जानकारी का आभाव कहें या कुछ और कि जैसे ही व्यक्ति सेंटर पर जाता है वहां सुविधाओं के नाम पर उसे लूटने के लिए लोग बैठे हैं. हो सकता है हम 5 रुपए को एक छोटी रकम मान कर नजरंदाज कर दें मगर जब हम इसे देश में लोगों की संख्या के आधार पर द्देखेंगे तो मिलेगा कि ये एक बहुत बड़ी रकम है.
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि यदि आपके शहर में आधार के 100 सेंटर है और अगर उनमें 2 काउंटर भी हो तो ये संख्या 200 हुई. मान लीजिये दिन भर में उन सेंटर्स में प्रत्येक में औसतन 80 लोग आ रहे हों और उनसे आधार के लिए 100 रुपए लिए जा रहे हों तो ये अमाउंट 8000 रुपए हुआ.
अब कल्पना करिए कि यदि व्यक्ति एक दिन में दो भी आधार बनवा रहा या अपना बना हुआ आधार अपडेट करा रहा है तो पैसों की संख्या कितनी होगी. याद रखिये ये एक औसत है अब आप इस अमाउंट को हफ्ते, महीने तीन महीने साल भर के लिए जोड़ने घटाने के लिए पूर्णतः स्वतंत्र हैं. जैसा कि यूआईडीएआई कह रहा है कि "किसी भी किस्म के "भ्रष्टाचार" को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तो कहा जा सकता है कि अपने आप में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार तो यही पंक्ति है.
तो क्या एक ट्वीट के जरिये लोग जागरूक हो जाएंगे.
जैसा कि हम बता चुके हैं आम हिन्दुस्तानी बड़ा भोला होता है और वो आज भी कहीं लिखी बातों से ज्यादा उन बातों पर यकीन करता है जो उसने सुनी हों. जिस देश में लोग आज भी गरीबी रेखा के नीचे है. जहां आज भी साक्षकता दर अपने सबसे निम्न स्थान पर है. जहां आज भी लोग सोशल मीडिया सरीखी चीजों से दूर हैं वहां एक ट्वीट के जरिये यूआईडीएआई द्वारा अपनी बात कहने को एक भद्दे मजाक से ज्यादा कुछ नहीं कहा जाएगा. कहा जा सकता है कि आधार द्वारा जीएसटी की दर बढ़ाने से परेशानी घटने के बजाए बढ़ेगी.
सही जानकारी के आभाव में लोग आधार के लिए ज्यादा पैसे दे रहे हैं
आधार कि विश्वसनीयता संदेह के घेरे पर
आधार पर आए रोज़ आ रही ख़बरों के बाद ये कहना गलत नहीं है कि आम भारतीयों के बीच आज भी आधार की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में हैं. इस बात को यदि और अधिक समझना हो तो हम इसे बीते हुए गुजरात के सूरत में घटित एक घटना से आसानी से समझ सकते हैं. खबर थी कि गुजरात में सरकारी राशन दुकानदारों द्वारा अवैध तरीके से आम नागरिकों का आधार डाटा चोरी करने के बाद राशन चोरी किया गया था. पुलिस के अनुसार, दो दुकान मालिक एक जाली सॉफ्टवेयर की मदद से जरूरमंदों के हक का राशन चोरी कर रहे थे. ये भी कोई पहली बार नहीं था कि आधार का डाटा चोरी हुआ है बात अभी कुछ दिनों पहले की है. खबर थी कि 500 रुपए में आधार का डाटा चोरी करके बेचा जा रहा है और यदि व्यक्ति 300 रुपए और दे तो उसे ये डाटा प्रिंट होकर भी मिल जाएगा.
अमेरिका तक ने माना है कि भारत का आधार है बेकार
बीते दिनों मेन स्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक अमेरिका में सुरक्षा मामलों के जानकार और अमेरिकी व्हिसल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने भारत के आधार सिस्टम पर अविश्वास जताया था. एडवर्ड का तर्क था कि सरकारें ऐसे डेटा सिर्फ इसलिए लेती हैं ताकि वो उसका गलत इस्तेमाल कर सकें. गौरतलब है कि स्नोडेन ने ये बातें मशहूर सीबीएस जर्नलिस्ट जैक विटेकर के एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कही.
आधार पर सरकार भले ही कितनी भी सफाई दे दे मगर अब भी इसमें ढेरों नाकामियां हैं
ज्ञात हो कि जैक विटेकर ने बज़फीड के एक लेख को साझा किया था जो भारत में आधार सिक्योरिटी की हैंकिंग पर था. आपको बताते चलें कि विटेकर ने अपने ट्वीट में लिखा थाकि, 'भारत के पास एक नेशनल आईडी डेटाबेस है, जिसमें 100 करोड़ से ज्यादा नागरिकों की निजी जानकारियां हैं. रिपोर्ट है कि इसकी सुरक्षा हैक हो गई है. इस डेटा को एक्सेस किया जा रहा है साथ ही इसकी खरीद और फरोख्त भी धड़ल्ले से जारी है.
तो क्या भ्रष्टाचार के एक बड़े नेक्सस का केंद्र है आधार सिस्टम
उपरोक्त बातों से एक बात तो साफ है कि आज इस देश में आम जनता को सहूलियत देने की दृष्टि से लांच किया गया आधार, भ्रष्टाचार का एक ऐसा नेक्सस बन गया है जिसपर यदि वक़्त रहते लगाम नहीं कसी गयी तो आने वाले वक़्त में स्थिति बेहद गंभीर हो जाएगी और जब तक हम इस बात का एहसास करेंगे तब तक हमारे पास संभालने के लिए कुछ बचेगा नहीं.
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