भारत में कोविड-19 (Covid-19) की दूसरी लहर के बीच कोरोना वायरस के नए अवतार डबल म्यूटेंट (Coronavirus Double mutant) से लोगों के संक्रमित होने आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. इसे मद्देनजर रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के भारतीय वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ ग्लोबल कंसर्न' की लिस्ट में डाल दिया है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, SARS-CoV-2 वायरस का भारतीय वेरिएंट दुनिया के लिए चिंताजनक हो गया है. यह महाराष्ट्र में पाए गए डबस म्यूटेटेड कोरोना वायरस का ही वेरिएंट है. यह भारतीय वेरिएंट अब उसी कैटेगरी में रखा गया है, जिसमें ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाए गए कोरोना वेरिएंट को रखा गया है.
भारतीय वेरिएंट कैसे बना वैश्विक चिंता की वजह
भारत का Covid-19 वायरस वेरिएंट पहले डब्ल्यूएचओ की 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' की लिस्ट में शामिल था. 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' से 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में रखे जाने की कुछ वजहें हैं, जिनमें से एक को भी वायरस वेरिएंट पूरा करता है, तो इसे इस लिस्ट में डाल दिया जाता है. अगर वायरस का वेरिएंट आसानी से संक्रमण को बढ़ा रहा है, बीमारी की गंभीरता को बढ़ा रहा है, एंटीबॉडीज द्वारा निष्प्रभावी करने में विफल हो रहा है, दवाओं और इलाज के प्रभाव में कमी आ रही है, वैक्सीन के प्रभाव से बचने या वैक्सीन के प्रभाव में कमी को दर्शाता है, तो उस वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में रखा जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके आधार पर ही भारतीय वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' की लिस्ट में रखा है. भारत में पिछले एक महीने में कोरोना संक्रमितों की संख्या में बड़ा उछाल आया है, ये इसकी एक बड़ी वजह है.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, शुरुआती...
भारत में कोविड-19 (Covid-19) की दूसरी लहर के बीच कोरोना वायरस के नए अवतार डबल म्यूटेंट (Coronavirus Double mutant) से लोगों के संक्रमित होने आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. इसे मद्देनजर रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के भारतीय वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ ग्लोबल कंसर्न' की लिस्ट में डाल दिया है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, SARS-CoV-2 वायरस का भारतीय वेरिएंट दुनिया के लिए चिंताजनक हो गया है. यह महाराष्ट्र में पाए गए डबस म्यूटेटेड कोरोना वायरस का ही वेरिएंट है. यह भारतीय वेरिएंट अब उसी कैटेगरी में रखा गया है, जिसमें ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाए गए कोरोना वेरिएंट को रखा गया है.
भारतीय वेरिएंट कैसे बना वैश्विक चिंता की वजह
भारत का Covid-19 वायरस वेरिएंट पहले डब्ल्यूएचओ की 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' की लिस्ट में शामिल था. 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' से 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में रखे जाने की कुछ वजहें हैं, जिनमें से एक को भी वायरस वेरिएंट पूरा करता है, तो इसे इस लिस्ट में डाल दिया जाता है. अगर वायरस का वेरिएंट आसानी से संक्रमण को बढ़ा रहा है, बीमारी की गंभीरता को बढ़ा रहा है, एंटीबॉडीज द्वारा निष्प्रभावी करने में विफल हो रहा है, दवाओं और इलाज के प्रभाव में कमी आ रही है, वैक्सीन के प्रभाव से बचने या वैक्सीन के प्रभाव में कमी को दर्शाता है, तो उस वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में रखा जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके आधार पर ही भारतीय वेरिएंट को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' की लिस्ट में रखा है. भारत में पिछले एक महीने में कोरोना संक्रमितों की संख्या में बड़ा उछाल आया है, ये इसकी एक बड़ी वजह है.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, शुरुआती स्टडी दर्शाती है कि भारतीय वेरिएंट (B.1.617) अन्य वेरिएंट की तुलना में आसानी से फैल रहा है. डब्ल्यूएचओ की महामारी विशेषज्ञ मारिया वैन केरखोव का कहना है कि कोरोना वायरस का B.1.617 भारतीय वेरिएंट वैक्सीन लगने के बाद भी लोगों को संक्रमित कर रहा है. यह दिखाता है कि वायरस के भारतीय वेरिएंट में वैक्सीन के खिलाफ भी प्रतिरोधक क्षमता है. कोरोनारोधी वैक्सीन कोवैक्सीन के निर्माण में भागीदारी निभाने वाले आईसीएमआर ने अप्रैल में कहा था कि टीके का डोज ब्रिटेन, साउथ अफ्रीका और ब्राजील के वेरिएंट पर भी असर करता है.
B.1.617 वेरिएंट के भारत में कितने स्ट्रेन मौजूद
SARS-CoV-2 वायरस के भारतीय वेरिएंट के तीन अलग-अलग स्ट्रेन B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 अब तक सामने आ चुके हैं. इनमें से B.1.617.2 स्ट्रेन सबसे ज्यादा चिंता का कारण बन रहा है. दरअसल, इस स्ट्रेन की संक्रमित करने की क्षमता काफी ज्यादा है. अमेरिका की स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इन तीनों वेरिएंट को 'चिंताजनक वेरिएंट' की लिस्ट में रखा हुआ है. कोरोना वायरस के किसी स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' में रखना उसके खतरनाक स्ट्रेन होने की आशंका का दूसरा चरण है. इसके तीसरे चरण में वायरस के स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ हाई कॉन्सीक्वेंस' की कैटेगरी में रखा जाता है. इस कैटेगरी में उस वेरिएंट को रखा जाता है, जिस वायरस स्ट्रेन पर इलाज और वैक्सीन का असर नहीं होता है. इस स्ट्रेन को पूरी तरह से निष्प्रभावी नहीं किया जा सकता है.
डबल म्यूटेंट स्ट्रेन हो सकता है कोरोना की दूसरी लहर की वजह
डब्ल्यूएचओ की विशेषज्ञ मारिया बताती हैं कि अभी तक कोई सबूत नहीं मिले हैं, जो यह बताते हों कि SARS-CoV-2 वायरस के भारतीय वेरिएंट पर डायग्नोस्टिक या इलाज और वैक्सीन इसके खिलाफ काम नहीं कर रहे हैं. डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन भी इस विचार से सहमत दिखीं. उन्होंने लोगों से आगे आकर जो भी वैक्सीन उपलब्ध हो लगवाने का आग्रह किया. कोरोना वायरस का डबल म्यूटेंट स्ट्रेन बीते साल अक्टूबर में सामने आया था. एक स्टडी के अनुसार, जनवरी से मार्च के बीच में लिए गए 361 सैंपल में से 220 में डबल म्यूटेंट स्ट्रेन मिला था. कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि भारत में आई कोरोना की दूसरी लहर के पीछे डबल म्यूटेंट स्ट्रेन एक बड़ी वजह है. इसी वजह से कई देशों ने भारत से यात्रा कर आने वालों पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ये वेरिएंट 30 देशों में पाया गया है.
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