कुछ लड़कियों की अक्सर यह शिकायत रहती है कि शादी के बाद उनके पति बदल गए. मतलब कल तक जो लड़का दुनिया का सबसे अच्छा इंसान था वह पति बनते की विलन बन गया. अरेंज मैरिज तो छोड़िए जो लड़कियां लव मैरिज करती हैं उनका भी यही रोना रहता है. जबकि उन्हें तो मनचाहा पति और ससुराल मिलता है. इस हिसाब से तो उन्हें बहुत खुश होना चाहिए मगर नहीं वे तब भी दुखी ही रहती हैं.
कुछ लड़कियों की हमेशा अपने पति से शिकायत ही रहती है. कुछ को हमेशा अपने पति में कमी ही दिखती है. असल में इसमें गलती पतियों की नहीं उन लड़कियों की होती है. आइए बताते हैं, कैसे?
जब पति ऑफिस जाएगा तो कहेंगी ये तो दिन भर ऑफिस में ही पड़े रहते हैं. हमसे तो कोई मतलब ही नहीं है. वहीं अगर वो घर में रहेगा तो कहेंगी कि दिन भर घर में ही बैठे रहना है. कभी ये बनाओ, वो बनाओ. कुछ कमाना धमाना नहीं है. खर्चा कैसे चलेगा, गुजारा कैसे होगा?
जब पति कहेगा कि चलो तुम्हें मायके छोड़ आता हूं तो कहेंगी क्या बात है मुझे मायके भेजने की बड़ी जल्दी है. हमें मायके भेजकर अकेले मौज करना चाहते हो. मतलब हमसे पक गए हो. जब पति कहेगा तो कि मायके मत जाओ तो कहेंगी कि ये तो हमें हमारे घर नहीं जाने देते. हमारे माता-पिता से नहीं मिलने देते. ये बहुत बुरे हैं.
जब पति महंगे रेस्ट्रों में खाना खिलाने ले जाएग तो कहेंगी इतनी खर्चीली जगह आने की क्या जरूरत थी, हम तो छोटे वाले में ही खुश थे. और अगर पति किसी छोटे रेस्ट्रों में ले जाएगा तो कहेंगी ये कहां गंदी जगह पर लेकर आ गए. ये नहीं कि किसी ढंग की जगह लेकर जाएं. इसी पर कहते हैं कि आज बाहर खाना खिलाउंगा.
जब पति कहेगा कि चलो तुम्हें मूवी दिखा लाता हूं तो उसी वक्त पत्नियों को सबुह...
कुछ लड़कियों की अक्सर यह शिकायत रहती है कि शादी के बाद उनके पति बदल गए. मतलब कल तक जो लड़का दुनिया का सबसे अच्छा इंसान था वह पति बनते की विलन बन गया. अरेंज मैरिज तो छोड़िए जो लड़कियां लव मैरिज करती हैं उनका भी यही रोना रहता है. जबकि उन्हें तो मनचाहा पति और ससुराल मिलता है. इस हिसाब से तो उन्हें बहुत खुश होना चाहिए मगर नहीं वे तब भी दुखी ही रहती हैं.
कुछ लड़कियों की हमेशा अपने पति से शिकायत ही रहती है. कुछ को हमेशा अपने पति में कमी ही दिखती है. असल में इसमें गलती पतियों की नहीं उन लड़कियों की होती है. आइए बताते हैं, कैसे?
जब पति ऑफिस जाएगा तो कहेंगी ये तो दिन भर ऑफिस में ही पड़े रहते हैं. हमसे तो कोई मतलब ही नहीं है. वहीं अगर वो घर में रहेगा तो कहेंगी कि दिन भर घर में ही बैठे रहना है. कभी ये बनाओ, वो बनाओ. कुछ कमाना धमाना नहीं है. खर्चा कैसे चलेगा, गुजारा कैसे होगा?
जब पति कहेगा कि चलो तुम्हें मायके छोड़ आता हूं तो कहेंगी क्या बात है मुझे मायके भेजने की बड़ी जल्दी है. हमें मायके भेजकर अकेले मौज करना चाहते हो. मतलब हमसे पक गए हो. जब पति कहेगा तो कि मायके मत जाओ तो कहेंगी कि ये तो हमें हमारे घर नहीं जाने देते. हमारे माता-पिता से नहीं मिलने देते. ये बहुत बुरे हैं.
जब पति महंगे रेस्ट्रों में खाना खिलाने ले जाएग तो कहेंगी इतनी खर्चीली जगह आने की क्या जरूरत थी, हम तो छोटे वाले में ही खुश थे. और अगर पति किसी छोटे रेस्ट्रों में ले जाएगा तो कहेंगी ये कहां गंदी जगह पर लेकर आ गए. ये नहीं कि किसी ढंग की जगह लेकर जाएं. इसी पर कहते हैं कि आज बाहर खाना खिलाउंगा.
जब पति कहेगा कि चलो तुम्हें मूवी दिखा लाता हूं तो उसी वक्त पत्नियों को सबुह से शाम तक के सारे काम याद आ जाते हैं. वे लगती हैं दिन भर के काम गिनाने. वहीं जब पति दोस्तों के साथ कहीं बाहर घूमने चला जाएगा तो कहेंगी कि अच्छा सारी अय्याशी दोस्तों के साथ ही कर लो, पत्नी तो चुभती है ना. पत्नी से तो कोई मतलब ही नहीं है.
जब पति घर के कामों में मदद कराएगा तो उसमें चार नुक्श निकाल देंगी. ये खराब कर दिया, वो खराब कर दिया. वो गिरा दिया. जब वो मदद नहीं कराएगा तो कहोगी कि सारा काम हम अकेले ही करें, इन्हें तो घर के कामों से कोई मतलब नहीं नहीं है.
पति कहेगा कि चलो तुम्हें शॉपिंग करा लाता हूं तो कहेंगी नहीं, अभी फालतू खर्चा करने की कोई जरूरत नहीं करना है. वहीं जब पति शॉपिंग के लिए मना करेगा तो कहेंगी ये तो बड़े कंजूस हैं हमें कभी कुछ नहीं दिलाते हैं. मेरे ऊपर खर्चा करना इन्हें फिजूलखर्ची लगती है.
असल में इन्हीं कारणों से कुछ पत्नियां कभी अपने पति से सैटिस्फाइड नहीं हो सकती हैं. मतलब चिट भी मेरी, पट भी मेरी. जबकि पत्नियों अपने पति के साथ रेल की पटरी की तरह समानान्तर चलना चाहिए. उनका साथ देना चाहिए और अपने रिश्ते को खूबसूरत बना लेना चाहिए.
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