एक पत्नी पागल तो नहीं होगी जो पति के सामने फांसी लगाने का नाटक करेगी. वह पति को डराने के लिए फांसी का फंदा लगाएगी? कुछ लोग महिलाओं की तकलीफ को अक्सर नाटक और ड्रामे का ही नाम देते हैं. कानपुर के गुलमोहर विहार नौबस्ता इलाके में एक महिला ने फांसी लगाकर जान दे दी और वहां मौजूद उसका पति वीडियो बनाता रहा. अब वह कह रहा है कि वह नाटक कर रही थी. हम सभी के लिए तो यह महज एक खबर भर है, जिसे पढ़कर अफसोस जताना है, दो शब्द कहने और आगे निकल जाना है. वैसे भी किसी को क्या फर्क पड़ता है? हम किस युग में जी रहे हैं मैं यह पूछने वाली बात नहीं है, यह आपको भी पता है कि यहां अधिकतर लोगों को दूसरों की तकलीफ और परेशानी से कोई फर्क नहीं पड़ता है.
मुझे खबर सुनकर यकीन नहीं हुआ, फिर मैंने वीडियो देखी तो लगा कि हो सकता है कि मोबाइल से शूट करने वाला व्यक्ति कोई दूसरा होगा. वैसे भी पति तो वीडियो में दिख नहीं रहा है पर मैं गलत थी या फिर शायद यह यकीन नहीं करना चाह रही थी कि कोई अपने सामने किसी को फांसी लगाते हुए देख सकता है, यानी वो किसी को मरता हुआ देख सकता है और उसे बचाता भी नहीं है. पर सच यही है कि महिला की मौत का वीडियो शूट किया गया औऱ बकायदा उसके मायके भेजा गया.
अब सोचिए जब लड़की के माता-पिता ने अपनी बेटी को फांसी का फंदा लगाते हुए देखा होगा तो उनके दिल पर क्या बीती होगी. उनका जी चाह रहा होगा कि वे मोबाइल में घुसकर उसे ऐसा करने से रोक लें. अफसोस जबतक वे अपनी बेटी के पांस पहुंचे वह दुनिया छोड़कर जा चुकी था. फिर भी मां-बाप का दिल नहीं माना, वे बेटी को लेकर आखिरी उम्मीद में अस्पताल भागे जहां डॉक्टर ने उसे मरा हुआ घोषित कर दिया.
बात सिर्फ इतनी नहीं है-
वीडियो में भले दिख रहा है कि फांसी लगाकर सुसाइड करने वाली महिला है मगर सच यह कि उसे ऐसा करने पर मजबूर किसने किया. अपनी जिंदगी को खत्म करना किसी के लिए आसान नहीं है. ना ही ये परेशानियों से निपटने का सही रास्ता है. तो सवाल यह है कि आखिर किस हद तक महिला को ससुराल में...
एक पत्नी पागल तो नहीं होगी जो पति के सामने फांसी लगाने का नाटक करेगी. वह पति को डराने के लिए फांसी का फंदा लगाएगी? कुछ लोग महिलाओं की तकलीफ को अक्सर नाटक और ड्रामे का ही नाम देते हैं. कानपुर के गुलमोहर विहार नौबस्ता इलाके में एक महिला ने फांसी लगाकर जान दे दी और वहां मौजूद उसका पति वीडियो बनाता रहा. अब वह कह रहा है कि वह नाटक कर रही थी. हम सभी के लिए तो यह महज एक खबर भर है, जिसे पढ़कर अफसोस जताना है, दो शब्द कहने और आगे निकल जाना है. वैसे भी किसी को क्या फर्क पड़ता है? हम किस युग में जी रहे हैं मैं यह पूछने वाली बात नहीं है, यह आपको भी पता है कि यहां अधिकतर लोगों को दूसरों की तकलीफ और परेशानी से कोई फर्क नहीं पड़ता है.
मुझे खबर सुनकर यकीन नहीं हुआ, फिर मैंने वीडियो देखी तो लगा कि हो सकता है कि मोबाइल से शूट करने वाला व्यक्ति कोई दूसरा होगा. वैसे भी पति तो वीडियो में दिख नहीं रहा है पर मैं गलत थी या फिर शायद यह यकीन नहीं करना चाह रही थी कि कोई अपने सामने किसी को फांसी लगाते हुए देख सकता है, यानी वो किसी को मरता हुआ देख सकता है और उसे बचाता भी नहीं है. पर सच यही है कि महिला की मौत का वीडियो शूट किया गया औऱ बकायदा उसके मायके भेजा गया.
अब सोचिए जब लड़की के माता-पिता ने अपनी बेटी को फांसी का फंदा लगाते हुए देखा होगा तो उनके दिल पर क्या बीती होगी. उनका जी चाह रहा होगा कि वे मोबाइल में घुसकर उसे ऐसा करने से रोक लें. अफसोस जबतक वे अपनी बेटी के पांस पहुंचे वह दुनिया छोड़कर जा चुकी था. फिर भी मां-बाप का दिल नहीं माना, वे बेटी को लेकर आखिरी उम्मीद में अस्पताल भागे जहां डॉक्टर ने उसे मरा हुआ घोषित कर दिया.
बात सिर्फ इतनी नहीं है-
वीडियो में भले दिख रहा है कि फांसी लगाकर सुसाइड करने वाली महिला है मगर सच यह कि उसे ऐसा करने पर मजबूर किसने किया. अपनी जिंदगी को खत्म करना किसी के लिए आसान नहीं है. ना ही ये परेशानियों से निपटने का सही रास्ता है. तो सवाल यह है कि आखिर किस हद तक महिला को ससुराल में टॉर्चर किया गया होगा, किस हद तक वह मानसिक पीड़ा से गुजरी होगा जो उसने अपनी जिंदगी ही खत्म कर ली. वह भी पति के सामने, शायद उसे पता था कि पति को उसके जीने-मरने से फर्क नहीं पड़ता है.
ऊपर से वह वीडियो में पत्नी को उकसा रहा है कि "तुम ऐसा ही करोगी, तुम्हारी सोच ही ऐसी है..." रिपोर्टस् के अनुसार, शोभिता की शादी साल 2017 में संजीव गुप्ता से हुई थी. हर लड़की की तरह वह दुल्हन बनकर काफी सुंदर लग रही था. वह खूब सजी-धजी थी. आप नीचे दी गई जयमाला की यह तस्वीर देखिए...उसने नई जिंदगी के कितने सपने देखें होंगे मगर अफसोस की उसकी कहानी अधूरी रह गई.
आरोपी पति के अनुसार, "25 अक्टूबर को हमारे बीच झगड़ा हुआ था. इसके बाद ही वह पंखे में फांसी का फंदा बना रही थी. मैंने इसका वीडियो शूट करके उसके मायके भेज दिया और उनसे कहा कि अपनी बेटी की हरकतें देख लो. मगर उसने फांसी नहीं लगाई. कुछ समय बाद फिर से झगड़ा हुआ और वह दोबारा फांसी लगाने लगी, मुझे लगा वह धमकी दे रही है या नाटक कर रही है मगर थोड़ी देर में उसने दम तोड़ दिया."
अब पति की बातें सुनकर तो यही लगता है कि जैसे वह चाह रहा हो कि यह फांसी लगाकर जान दे दे. तभी तो इसने पत्नी को फांसी लगाने के लिए छोड़ दिया. कोई फांसी लगाने का नाटक करेगा और सच में फांसी लगाएगा तो ऐसा कौन सा इंसान है जिसे सच समझ में नहीं आएगा? जब वह तड़पी होगी तो उसे दिखा होगा, सवाल यह है कि आखिर पति ने अपनी पत्नी को बचाने की कोशिश नहीं की. पत्नी को आखिर ऐसी कौन सी पीड़ा थी, किस बात को लेकर झगड़ा हुआ जो पत्नी ने जान देने की सोची. यह जो भी है मगर पति-पत्नी का रिश्ता तो नहीं हो सकता...हो सकता है कि मामला जितना दिख रहा हो उससे कहीं बढ़कर हो.
लोग हर तरह की बातें करते हैं मगर यह कोई नहीं कहता है कि जिंदगी बस फेंकने के लिए नहीं है बल्कि जीने के लिए है. यहां लोग ना जीते हैं ना दूसरों को जीने देते हैं. दूसरों को मत जीने को कम से कम खुद तो जीयो...किसी को इस हद को प्रताड़ित मत करो कि वह अपनी जान दे दे...हम कितनी भी कोशिश कर लें मगर फांसी लगा कर जान देने वाली पत्नी की पीड़ा नहीं समझ सकते...आपको क्या लगता है क्या पति ने जानबूझकर पत्नी को मरने दिया या बात कुछ औऱ है???
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.