रजनी, नाम साधारण सा है मगर इस महिला ने अपने दुपट्टे से पति का गला घोंट कर उसे जान से मार डाला, क्योंकि वह शराब पीकर इसे मारता था. मामला नौगांवा सादात थानाक्षेत्र के बागड़पुर इम्मा गांव का है. इस सच्ची घटना को सुनकर मुझे तो आलिया भट्ट की फिल्म डार्लिंग्स की याद आ गई.
इस महिला ने भी डार्लिंग्स की बदरुन्निसा की तरह अपने पति विजयपाल सिंह के साथ क्रूर व्यवहार किया है. जब फिल्म रिलीज हुई थी तो इसका विरोध भी हुआ था. विरोध करने वालों का कहना था कि फिल्म पुरुषों के प्रति हिंसा को बढ़ावा देती है.
अब रजनी ने अपने पति को मारकर कौन सा बहादुरी वाला काम किया है. अगर पति उसे परेशान कर रहा था तो कानून का सहारा लेना चाहिए था. अब उसे मारकर रजनी ने कौन सी समझदारी दिखी दी है, अब रहेगी तो यह जेल में ही...रजनी ने एक बार भी नहीं सोचा कि उसके इस कदम का बच्चों की जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा.
रजनी घरेलू हिंसा का शिकार थी, उसकी कहानी काफी हद तक डार्लिंग्स फिल्म की बदरु से मिलती जुलती है. जिस तरह हमजा शराब पीकर अपनी पत्नी बदरू को प्रताड़ित करता है उसी तरह विजयपाल सिंह भी दारु पीकर रजनी को मारता-पीटता था. फिल्म में बदरू को तो अपनी गलती का एहसास हो गया था. उसे समझ आ गया था कि हमजा के साथ गलत करके वह उसकी तरह बनती जा रही है. आखिर में बदरु समझ भी गई थी कि वह अपने पति साथ गलत कर रही है. इसलिए तो उसने हमजा को जान से नहीं मारा. मगर रजनी को इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि वह पति को जान से मारकर कितना बड़ा गुनाह कर रही है.
रजनी ने पुलिस को बताया है कि वह रोज-रोज की गाली गलौज, पिटाई, और झगड़े से तंग आ गई थी....
रजनी, नाम साधारण सा है मगर इस महिला ने अपने दुपट्टे से पति का गला घोंट कर उसे जान से मार डाला, क्योंकि वह शराब पीकर इसे मारता था. मामला नौगांवा सादात थानाक्षेत्र के बागड़पुर इम्मा गांव का है. इस सच्ची घटना को सुनकर मुझे तो आलिया भट्ट की फिल्म डार्लिंग्स की याद आ गई.
इस महिला ने भी डार्लिंग्स की बदरुन्निसा की तरह अपने पति विजयपाल सिंह के साथ क्रूर व्यवहार किया है. जब फिल्म रिलीज हुई थी तो इसका विरोध भी हुआ था. विरोध करने वालों का कहना था कि फिल्म पुरुषों के प्रति हिंसा को बढ़ावा देती है.
अब रजनी ने अपने पति को मारकर कौन सा बहादुरी वाला काम किया है. अगर पति उसे परेशान कर रहा था तो कानून का सहारा लेना चाहिए था. अब उसे मारकर रजनी ने कौन सी समझदारी दिखी दी है, अब रहेगी तो यह जेल में ही...रजनी ने एक बार भी नहीं सोचा कि उसके इस कदम का बच्चों की जिंदगी पर क्या असर पड़ेगा.
रजनी घरेलू हिंसा का शिकार थी, उसकी कहानी काफी हद तक डार्लिंग्स फिल्म की बदरु से मिलती जुलती है. जिस तरह हमजा शराब पीकर अपनी पत्नी बदरू को प्रताड़ित करता है उसी तरह विजयपाल सिंह भी दारु पीकर रजनी को मारता-पीटता था. फिल्म में बदरू को तो अपनी गलती का एहसास हो गया था. उसे समझ आ गया था कि हमजा के साथ गलत करके वह उसकी तरह बनती जा रही है. आखिर में बदरु समझ भी गई थी कि वह अपने पति साथ गलत कर रही है. इसलिए तो उसने हमजा को जान से नहीं मारा. मगर रजनी को इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि वह पति को जान से मारकर कितना बड़ा गुनाह कर रही है.
रजनी ने पुलिस को बताया है कि वह रोज-रोज की गाली गलौज, पिटाई, और झगड़े से तंग आ गई थी. इसलिए वह नाराज होकर अपने दोनों बच्चों के साथ मायके चली गई. इसके बाद पति-पत्नी दोनों में आपसी समझौता हुआ और वह एक हफ्ते बाद दोबारा पति के पास लौट आई. मगर इंसान की आदत कहां बदलती है?
विजयपाल सिंह शराबी था. वह शराब के बिना नहीं रह सकता था. जब वह होश में आता तो पत्नी से माफी मांगता और नशे में आते ही उसके साथ घरेलू हिंसा करता. आरोपी पत्नी का कहना था कि वह मार खा कर तंग हो गई थी. विजयपाल ने 9 लाख रूपए में जमीन बेच दी और रजनी को एक रूपए तक नहीं दिए. उसने बच्चों की परवरिश के बारे में भी नहीं सोचा और सारा पैसा अपने चाचा के अकाउंट में डाल दिया.
नौ सितंबर की रात घटना हुई विजयपाल शराब के नशे में धुत था. दोनों पति-पत्नी में झगड़ा हुआ. वह रजनी को मारने का आदि हो चुका था. अगली सुबह 10 सितंबर को विजयपाल का शव बिस्तर पर मिला. इस बीच रजनी डार्लिंग्स की बदरु की तरह पुलिस को गुमराह करती रही. वह लगातार अपना बयान बदल रही थी. जब शव का पोस्टमार्टम हुआ तो गला घोंटकर हत्या की बात सामने आई. पुलिस ने कड़ाई की तो रजनी ने सारा सच कबूल लिया. अब रजनी जेल में है...
इस तरह आखिरकार रजनी की जिंदगी बर्बाद हो गई. इस सच्ची घटना से सबक मिलता है कि अगर आप घरेलू हिंसा की शिकार हैं तो पति से बदला लेने की मत सोचिए. अपने लिए न्याय की गुहार लगाइए. हम तो यही कहेंगे कि दुनिया की किसी भी लड़की को डार्लिंग्स की बदरु बनने की जरूरत नहीं है, वरना उसका भी वही हाल होगा जो रजनी का असल जीवन में हुआ है...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.