स्त्री की रचना करने वाला ईश्वर भी आज दुखी होगा कि ये किस जहां में मैंने महिलाओं को भेज दिया. ये दुनिया महिलाओं के रहने लायक नहीं रही है. कहा जाता है कि शादी के बाजद एक स्त्री सबसे ज्यादा सुरक्षित अपने पति के पास रहती है लेकिन खबरें ऐसी आ रही हैं कि रिश्तों पर से भरोसा ही उठ जाए.
सोचिए जरा, महिलाओं को प्रताड़ित करने के आखिर कितने तरीके हैं? सुना आपने? पत्नियों की अदला-बदली (wife swapping) की जा रही है. मतलब अपनी पत्नी को किसी और से संबंध बनाने के लिए पति खुद ही मजबूर कर रहा है. वह अपनी पत्नी को पराए पुरुषों के पास खुद ही भेज रहा है. कभी-कभी उसकी पत्नी को एक साथ 3-3 लोगों के साथ भी रात गुजारनी पड़ती है.
उफ्फ सोचकर ही किसी भी सामान्य इंसान का सर चकरा जाए....इस जहां में आखिर हो क्या रहा है? ये किस युग में जी रहे हैं हम? क्या मॉडर्न लोगों की सोच ऐसी होती है? वो जमाना गया जब पति परमेश्वर होते थे, इस जमाने के दलाल पति तो राक्षस ही बन गए हैं.
एक लड़की शादी के बाद पति को अपना सबकुछ मान लेती है. अगर पति अच्छा है तो पत्नी हजार तकलीफें सहकर भी उसका साथ देती है. दूसरों के सामने वह खुद को ऐसे दिखाती है जैसे वह कितना खुश है. पत्नी के चेहरे पर मुस्कुराहट देख पति भी चैन की सांस लेता है. लोग हर तरफ उस जोड़े की तारीफ करते हैं. हमारे यहां तो वैसे भी लड़किया शादी के बाद पराई हो जोती हैं और पति का घर-संसार उनकी गृहस्थी बन जाती है. शायद ही कोई पत्नी शादी के बाद अपने पति का घर छोड़कर मायके में बसना चाहती है.
सोचिए जिस पति की बाहों में एक पत्नी खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करती है वही उसका सौदा करने लगे तो? उसका विश्वास चकनाचूर हो जाएगा. मानो उसकी...
स्त्री की रचना करने वाला ईश्वर भी आज दुखी होगा कि ये किस जहां में मैंने महिलाओं को भेज दिया. ये दुनिया महिलाओं के रहने लायक नहीं रही है. कहा जाता है कि शादी के बाजद एक स्त्री सबसे ज्यादा सुरक्षित अपने पति के पास रहती है लेकिन खबरें ऐसी आ रही हैं कि रिश्तों पर से भरोसा ही उठ जाए.
सोचिए जरा, महिलाओं को प्रताड़ित करने के आखिर कितने तरीके हैं? सुना आपने? पत्नियों की अदला-बदली (wife swapping) की जा रही है. मतलब अपनी पत्नी को किसी और से संबंध बनाने के लिए पति खुद ही मजबूर कर रहा है. वह अपनी पत्नी को पराए पुरुषों के पास खुद ही भेज रहा है. कभी-कभी उसकी पत्नी को एक साथ 3-3 लोगों के साथ भी रात गुजारनी पड़ती है.
उफ्फ सोचकर ही किसी भी सामान्य इंसान का सर चकरा जाए....इस जहां में आखिर हो क्या रहा है? ये किस युग में जी रहे हैं हम? क्या मॉडर्न लोगों की सोच ऐसी होती है? वो जमाना गया जब पति परमेश्वर होते थे, इस जमाने के दलाल पति तो राक्षस ही बन गए हैं.
एक लड़की शादी के बाद पति को अपना सबकुछ मान लेती है. अगर पति अच्छा है तो पत्नी हजार तकलीफें सहकर भी उसका साथ देती है. दूसरों के सामने वह खुद को ऐसे दिखाती है जैसे वह कितना खुश है. पत्नी के चेहरे पर मुस्कुराहट देख पति भी चैन की सांस लेता है. लोग हर तरफ उस जोड़े की तारीफ करते हैं. हमारे यहां तो वैसे भी लड़किया शादी के बाद पराई हो जोती हैं और पति का घर-संसार उनकी गृहस्थी बन जाती है. शायद ही कोई पत्नी शादी के बाद अपने पति का घर छोड़कर मायके में बसना चाहती है.
सोचिए जिस पति की बाहों में एक पत्नी खुद को सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करती है वही उसका सौदा करने लगे तो? उसका विश्वास चकनाचूर हो जाएगा. मानो उसकी ख्वाबों की दुनिया को अचानक से कोई तूफान अपने साथ उड़ा ले गया...उसे गुस्सा तो आता होगा...वह रोती होगी...अंदर ही अंदर कुढ़ती होगी लेकिन किसी से कुछ न कह पाने की बेबसी उसे अंदर ही अंदर जलाती होगी.
ऊपर से उसकी सोसाइटी ऐसी है कि उसे खुश रहने का दिखावा करना पड़ता होगा. वह किससे क्या कहे यह लाज उसे दबने पर मजबूर करते होंगे, क्योंकि महिलाएं अपनी गृहस्थी को बचाने के लिए आखिरी दम तक कोशिश ही करती रहती हैं. वाइफ स्वैपिंग (wife swapping) के लिए पति ही उसका दलाल बन जाता है.
असल में केरल के कोट्टायम में वाइफ स्वैपिंग रैकेट का पता चला है. जिसके बाद तकलीफ और गुस्सा दोनों आ रहा है. सात ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो पत्नियों की अदला-बदली का काम करते थे. इसके अलावा 25 बाकी आरोपियों पर नजर रखी जा रही है. इस मामले में बड़े नेटवर्क का हाथ माना जा रहा है. हो सकता है कि कुछ दिनों में कई हाई प्रोफाइल लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं. करीब 1000 कपल्स पत्नियों की अदला-बदली करने में शामिल हैं.
पीड़ित महिला की कहानी
इस रैकेट का पता तब चला जब एक सदस्य की पत्नि ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. महिला के पति ने उसे दूसरे मर्दों के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर मजबूर किया. महिला के अप्राकृति सेक्स किया गया. इस ग्रुप के सदस्य जब भी मिलते पत्नियों को एक्चेंज करते. कई बार एक पत्नी को तीन पुरुष के साथ जाना पड़ता था. इतना ही नहीं सिंगल लोगों को दूसरे सदस्यों की पत्नियों को शेयर करने के लिए मोटी रकम देनी पड़ती थी. इस रैकेट के लिए लोग फेसबुक पर अपनी फेक अकाउंट बनाकर जुड़े हुए थे. जिन्हें प्राइवेट ग्रुप में जोड़ा गया था. हो सकता है कि ये लोग किसी दूसरे ग्रुप से भी जुड़ें हों.
वाइफ स्वैपिंग क्या है?
पहले लोग मानते थे कि वाइफ स्वैपिंग विदेशी कल्चर है लेकिन अब यह कई शहरों में फैल चुका है. हाई प्रोफाइल वाले लोगों को इसमें कोई बुराई नजर नीहं आती है. वे इसे सिर्फ सेक्स प्लेजर के रूप में देखते हैं. महिलाओं की आखिर हैसियत ही क्या है? वे तो शादी ही इसलिए करती हैं ताकि दूसरे के घर का काम कर सके, पति को सुख दे सकें और बच्चे पैदा कर सकें. ये बड़े लोग किसी पार्टी में आते तो अपनी पत्नियों के साथ हैं लेकिन घर किसी और की पत्नी के साथ जाते हैं. उन्हें इस बात के लिए कोई गिल्ट नहीं होता.
पहलेल बडे होटल में सेक्रेट पार्टी की जाती है फिर एक बाऊल में सभी पुरुष अपने कार की चाबी डाल देते हैं. बाद में पत्नियों को वह चाबी उठानी पड़ती है. अब जिस पत्नी को जिस पुरुष के कार की चाबी मिलती है उसे उसके साथ जाना पड़ता है. अब पत्नी की मर्जी ना हो तो भी उसे पति की वजह से जबरन इन सब में शामिल होना पड़ता है, कई पत्नियों को तो पहली बार धोखे से पति साथ ले जाते हैं. इस पर कई फिल्में बन चुकी हैं.
नेवी अफसरों की पत्नियों की अदला-बदली का मामला
इसके पहले भी 2013 में केरल में नेवी अफसरों की पत्नियों की अदला-बदली के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. यह घटना साल 2012 की है जब एक लेफ्टिनेंट की पत्नी ने पति और सीनियर अफसर पर सेक्सुअल-मेंटल हैरेसमेंट और वाइफ स्वैपिंग के गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि बाद में कोई पुख्ता सबूत न मिलने की वजह से मालमा शांत पड़ गया. असल में अपने-अपने पति को बचाने के लिए महिलाएं किसी और के खिलाफ मुंह नहीं खोलती हैं. यह हाई प्रोफाइल लोगों का बहुत ही घिनौना सच है.
क्या चाहती हैं महिलाएं?
महिलाएं अपने और अपने परिवार की खुशी चाहती हैं. वे खुद से पहले अपने बच्चों और पति की सलामती की दुआ मांगती हैं. क्यो कोई महिला यह चाहेगी कि उसका जबरन रेप कर उसे मां बनाया जाए? क्या कोई महिला यह चाहेगी कि उसका पति शराब के नशे में उसपर हाथ उठाए? क्या कोई महिला यह चाहेगी कि उसका पति उसे टॉर्चर करके किसी और पुरुष के पास रात बिताने के लिए भेजे? नहीं..नहीं...नहीं...महिलाएं यह सब नहीं चाहतीं. वे चाहती हैं अपने लिए सुरक्षित जहगें, वे चाहती हैं अपने लिए आजादी, थोड़ा प्यार और सम्मान.
कई बार लोगों को लगता है कि पैसे वाले से शादी करके वे अपनी बेटी के जीवन का उद्दार कर रहे हैं लेकिन काश वे धन-दौलत की जगह उस लड़के को देखते जिससे वे अपनी बेटी को हमेशा के लिए सौपने वाले होते हैं. कई बार साधारण घर की लड़की की शादी खूब हाई-फाई और पैसे वाले के घर कर दी जाती है. ऊपर से से वह लड़की कपड़े और गहनों से लदी दिखती है लेकिन उसकी असली जिंदगी नर्क बन चुकी होती है. मुझे उन लड़कियों पर भी गुस्सा आता है जो पति की मोह और घर-संसार की माया में अपने ऊफर हो रहे हिंसा के खिलाफ आवाज नहीं उठाती हैं और अपनी दुनिया को नर्क बना लेती हैं. ऐसे कैसे कोई आपको हाथ लगा देगा, ऐसे कैसे कोई आपको पीट देगा, ऐसे कैसे आपका पति आपका दल्ला बन जाएगा.
पति तो ऐसा नहीं कर सकता...सब पति ऐसा करते भी नहीं है. जो ऐसी हरकत करते हैं वे राक्षस की प्रजाति के हैं जो किसी और ही दुनिया में जीते हैं. बात सिर्फ केरल की ही नहीं है. हो सकता है कि पत्नियों की अदला-बदली का यह खेल कई और शहरों में भी हो रहा हो. जिसकी जानकारी हमें नहीं है. महिलाओं को बस यह समझने की जरूरत है कि तुम इंसान हो किसी के हाथों का खिलौना नहीं जो अपने ईशारे पर नचाता रहे. अगली बार अगर कोई तुम्हें कोई हाथ लगाए तो अकेले में बैठकर रोना मत बल्कि उसी वक्त उसका हाथ तोड़कर उसके हाथ में पकड़ा देना. चाहें वह पति हो या तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड या फिर कोई अजनबी...
पत्नियों की दलाली करने वाले पुरुष तुम पति के नाम पर कलंक हो...तुमसे अच्छा तो वह गरीब इंसान है जो लाख दुख सहकर भी अपनी पत्नी को अर्धांगिनी मानता है और उसका सम्मान करता है. घिन आती है पत्नियों की दलाली करने वाले तुम्हारी करतूत पर... जहां महिलाओं की इतनी बुरी गत है, जहां ना बेटियां सुरक्षित नहीं हैं है वहां ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है...कहीं छोटी बच्चियों की जबरन मां बनाया जा रहा तो कहीं पत्नी को दूसरे पुरुष के पास भेजा रहा है. सच में यह दुनया खत्म ही हो जाए तो बेहतर है.
नोट: यहां बात सिर्फ उन पुरुषों की गई है जो पत्नियों का उत्पीड़न करते हैं. इसलिए सारे पति/पुरुष दिल पर न लें.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.