Fake pregnancy यानी गर्भावस्था का नाटक करना. ये शब्द आजकल काफी सुनने में आता है. और इससे ये भी साबित होता है कि महिलाएं असल में ऐसा कर रही हैं. लेकिन प्रेगनेंसी को लेकर झूठ बोलने के पीछे कई वजह हो सकती हैं.
कुछ समय पहले न्यूयॉर्क की एक महिला की तस्वीर वायरल हो गई थी जिसमें उसने कहा था कि सिनेमा हॉल में इस तरह प्रेगनेंसी का नाटक किया जा सकता है. इससे वहां मिलने वाले महंगे पॉपकॉर्न के बजाए खुद का सामान लेकर जाया जा सकता है. महिला ने थर्माकोल से बने गोल आकार का बाउल को अपने कपड़ों के नीचे रख लिया था.
लेकिन हर कहानी इतनी फनी भी नहीं होती. भारत में भी एक महिला ने प्रेगनेंसी का नाटक किया और पूरे 9 महीने तक उसे जिया भी. लेकिन ऐसा करने के पीछे जो वजह थी वो कहीं न कहीं भावुक कर देती है.
एक झूठी कहानी जिसका अंत मायूस करता है
चेन्नई की रहने वाली गायत्री अपनी मां और पति के साथ 15 दिसंबर को सरकारी अस्पताल में भर्ती होने के लिए जाती है. क्योंकि 17 दिसंबर को उसकी ड्यू डेट थी. लेकिन अचानक वो अस्पताल से गायब हो जाती है. पति उसे हर जगह ढूंढता है लेकिन उसका कोई पता नहीं चलता. पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है. पुलिस काम पर लग जाती है, उसके गायब होने के पीछे के कारणों पर विचार होने लगता है कि कहीं उसे किडनैप तो नहीं किया गया या फिर कहीं किसी के साथ उसका अफेयर तो नहीं. फिर गायत्री खुद अपनी मां को फोन करके बताती है कि किसी ने उसका अपहरण कर लिया है. और अपहरणकर्ताओं ने उससे उसके पैदा हुए बच्चे को भी छीन लिया और उसे तिरुतन्नी लेकर गए हैं.
लेकिन तभी मामले में ट्विस्ट आया. पुलिस को अस्पताल के सीसीटीवी से पता चला कि गायत्री का किसी...
Fake pregnancy यानी गर्भावस्था का नाटक करना. ये शब्द आजकल काफी सुनने में आता है. और इससे ये भी साबित होता है कि महिलाएं असल में ऐसा कर रही हैं. लेकिन प्रेगनेंसी को लेकर झूठ बोलने के पीछे कई वजह हो सकती हैं.
कुछ समय पहले न्यूयॉर्क की एक महिला की तस्वीर वायरल हो गई थी जिसमें उसने कहा था कि सिनेमा हॉल में इस तरह प्रेगनेंसी का नाटक किया जा सकता है. इससे वहां मिलने वाले महंगे पॉपकॉर्न के बजाए खुद का सामान लेकर जाया जा सकता है. महिला ने थर्माकोल से बने गोल आकार का बाउल को अपने कपड़ों के नीचे रख लिया था.
लेकिन हर कहानी इतनी फनी भी नहीं होती. भारत में भी एक महिला ने प्रेगनेंसी का नाटक किया और पूरे 9 महीने तक उसे जिया भी. लेकिन ऐसा करने के पीछे जो वजह थी वो कहीं न कहीं भावुक कर देती है.
एक झूठी कहानी जिसका अंत मायूस करता है
चेन्नई की रहने वाली गायत्री अपनी मां और पति के साथ 15 दिसंबर को सरकारी अस्पताल में भर्ती होने के लिए जाती है. क्योंकि 17 दिसंबर को उसकी ड्यू डेट थी. लेकिन अचानक वो अस्पताल से गायब हो जाती है. पति उसे हर जगह ढूंढता है लेकिन उसका कोई पता नहीं चलता. पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है. पुलिस काम पर लग जाती है, उसके गायब होने के पीछे के कारणों पर विचार होने लगता है कि कहीं उसे किडनैप तो नहीं किया गया या फिर कहीं किसी के साथ उसका अफेयर तो नहीं. फिर गायत्री खुद अपनी मां को फोन करके बताती है कि किसी ने उसका अपहरण कर लिया है. और अपहरणकर्ताओं ने उससे उसके पैदा हुए बच्चे को भी छीन लिया और उसे तिरुतन्नी लेकर गए हैं.
लेकिन तभी मामले में ट्विस्ट आया. पुलिस को अस्पताल के सीसीटीवी से पता चला कि गायत्री का किसी ने अपहरण नहीं किया बल्कि वो तो खुद ही अस्पताल से चली गई थी, और तब उसके पास कोई बच्चा नहीं था. पुलिस ने पड़ताल की तो महिला ने सब सच बता दिया कि वो गर्भवती थी ही नहीं.
जब से गायत्री ने अपने परिवार को बताया था कि वो गर्भवती है, तब से परिवारवाले और उसका पति उसका बहुत ख्याल रखने लगे थे. गायत्री परिवार वालों के साथ रेगुलर चेकअप के लिए अस्पताल भी जाती थी लेकिन उन्हें रिसेप्शन पर ही छोड़ देती थी. वो इस दौरान कभी डॉक्टर से मिली भी नहीं, लेकिन आकर यही बताती थी कि सब ठीक है. परिवार ने तो उसकी गोद भराई की रस्म भी की थी.
गायत्री ने अपनी इस झूठी कहानी का अंत पहले ही दिन सोच लिया था- वो किडनैपिंग का नाटक करेगी और यही बताएगी कि बच्चे को भी किडनैप कर लिया गया. लेकिन उसने ये कल्पना नहीं की थी कि सीसीटीवी से उसकी असलियत यूं सबके सामने आ जाएगी.
इस झूठी कहानी की वजह समाज का चेहरा दिखाती है
असल में गायत्री की शादी को 7 साल हो चुके हैं लेकिन वो अभी तक मां नहीं बन सकी. उसे डर था कि मां न बन पाने की वजह से उसका पति उसे छोड़कर चला जाएगा. वो अपनी शादी तोड़ना नहीं चाहती थी. और इसीलिए उसने गर्भावस्था का झूठा नाटक किया.
क्या आप इस महिला की मनोस्थिति को समझ पाएंगे? एक महिला का पति अगर उसे छोड़कर चला जाए तो उसपर क्या बीतती है वो कोई कल्पना नहीं कर सकता. ये बेसहारा होने का डर ही है जो एक महिला को अपनी शादी बनाए रखने के लिए विवश करता है. और इसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार रहती है. हमारे समाज में ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जहां पत्नियों को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया गया कि वो मां नहीं बन सकतीं. बच्चा पाने के लिए कई बार लोग दूसरी शादी भी कर लेते हैं. हालांकि बच्चे के लिए समर्थ लोग अब आईवीएफ या फिर सेरोगेसी की तरफ रुख करने लगे हैं लेकिन हर किसी के लिए ये करना भी संभव नहीं होता. वो महिलाएं जो मां नहीं बन सकतीं, उनके प्रति परिवारवालों के साथ-साथ पति का व्यवहार भी बदलने लगता है. जो महिला बच्चा पैदा नहीं कर सकती ये समाज उन महिलाओं को पूर्ण नहीं मानता, उन्हें अपशगुनी कहता है और उससे दूरी भी बना लेता है.
हो न हो, गायत्री के मन में भी समाज का यही डर घर कर गया था. किस तरह उसने हर एक दिन अपने इस झूठ को छिपाया होगा- पति से परिवारवालों से. कितने झूठ गढ़े होंगे उसने उस एक सच को बनाए रखने के लिए कि वो हमेशा अपने पति की पत्नी बनी रहे. जो हुआ उसे गलत तो कहा जा सकता है लेकिन क्यों हुआ, उसकी वजह तो हमारा समाज ही है.
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