महिलाओं को छेड़ने के कई तरीके हैं जिनसे आज हर कोई वाकिफ है. पीछा करना, अश्लील इशारे और कमेंट्स करना, सीटी मारना, गाने गाना, आंख मारना, बगल से निकलते हुए छूना, निजी अंगों पर हाथ फिराना या छाती पर मुक्का मारना कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे करीब करीब हर एक लड़की का सामना हुआ ही होगा. पर उन्हें छेड़ने वालों ने शायद दोबारा कभी उस वाकये को याद नहीं किया होगा, कि उसने किस तरीके से लड़की को छेड़ा था, या उस लड़की ने किस तरह से रिएक्ट किया था.
असल में दोनों के लिए ये रोज की ही बात है. अब महिलाएं और उन्हें छेड़ने वाले पुरुष दोनों ही पक्ष इस बात के आदी हो चुके हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि पुरुष शरारत करके भूल जाते हैं, जबकि महिलाएं हर अश्लील इशारे, कमेंट और हर गलत हरकत को अपने जेहन में लेकर जीती हैं. वो भूलती नहीं.
महिलाओं के मन में न जाने कितनी ही बार ये बात आती है कि काश पुरुष भी उस फीलिंग को समझ पाते जिसे एक महिला तब महसूस करती है जब कोई उसे छेड़ता है. अमेरिकी आर्टिस्ट टेरा लोपेज़ ने भी ऐसा सोचा और उसपर काम किया. क्योंकि ईव टीजिंग या छेड़खानी हमारे ही देश में नहीं होती, सारी दुनिया की महिलाएं परेशान हैं.
टेरा लोपेज़ ने एक ऐसा आर्ट पीस Rituals of Mine तैयार किया, जिसे ऑडियो एग्जिबिशन कहा जा सकता है. इसमें वो लोगों को एक डार्क रूम में आमंत्रित करती हैं. उन्हें हेडफोन्स दिए जाते हैं जिसके जरिए उन्हें वो सारी फब्तियां और अश्लील बातें सुनवाई जाती हैं जिसे लड़के अक्सर महिलाओं के लिए कहते हैं. ये ऑडियो असली ही होते हैं.
हेडफोन लगाकर आप भी सुनने की कोशिश करें-
सोचिए जब पुरुष खुद वो सारी बातें सुनते...
महिलाओं को छेड़ने के कई तरीके हैं जिनसे आज हर कोई वाकिफ है. पीछा करना, अश्लील इशारे और कमेंट्स करना, सीटी मारना, गाने गाना, आंख मारना, बगल से निकलते हुए छूना, निजी अंगों पर हाथ फिराना या छाती पर मुक्का मारना कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे करीब करीब हर एक लड़की का सामना हुआ ही होगा. पर उन्हें छेड़ने वालों ने शायद दोबारा कभी उस वाकये को याद नहीं किया होगा, कि उसने किस तरीके से लड़की को छेड़ा था, या उस लड़की ने किस तरह से रिएक्ट किया था.
असल में दोनों के लिए ये रोज की ही बात है. अब महिलाएं और उन्हें छेड़ने वाले पुरुष दोनों ही पक्ष इस बात के आदी हो चुके हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि पुरुष शरारत करके भूल जाते हैं, जबकि महिलाएं हर अश्लील इशारे, कमेंट और हर गलत हरकत को अपने जेहन में लेकर जीती हैं. वो भूलती नहीं.
महिलाओं के मन में न जाने कितनी ही बार ये बात आती है कि काश पुरुष भी उस फीलिंग को समझ पाते जिसे एक महिला तब महसूस करती है जब कोई उसे छेड़ता है. अमेरिकी आर्टिस्ट टेरा लोपेज़ ने भी ऐसा सोचा और उसपर काम किया. क्योंकि ईव टीजिंग या छेड़खानी हमारे ही देश में नहीं होती, सारी दुनिया की महिलाएं परेशान हैं.
टेरा लोपेज़ ने एक ऐसा आर्ट पीस Rituals of Mine तैयार किया, जिसे ऑडियो एग्जिबिशन कहा जा सकता है. इसमें वो लोगों को एक डार्क रूम में आमंत्रित करती हैं. उन्हें हेडफोन्स दिए जाते हैं जिसके जरिए उन्हें वो सारी फब्तियां और अश्लील बातें सुनवाई जाती हैं जिसे लड़के अक्सर महिलाओं के लिए कहते हैं. ये ऑडियो असली ही होते हैं.
हेडफोन लगाकर आप भी सुनने की कोशिश करें-
सोचिए जब पुरुष खुद वो सारी बातें सुनते होंगे तो कैसा अनुभव करते होंगे. छेड़खानी करने वाले परुष तो शर्मिदा होंते ही होंगे साथ ही वो पुरुष जिन्होंने कभी छेड़खानी न की होगी, वो ये बातें सुनकर न सिर्फ ऐसे लोगों पर गुस्सा होंगे बल्कि महिलाओं के धैर्य और सहनशीलता को भी समझ पाएंगे.
इस ऑडियो एग्जिबिशन का मकसद भी यही है कि लोग इसे सुनें और खुद मं बदलाव लाएं जिससे हमारा समाज महिलाओं के लिए बेहतर हो सके. ये एग्जिबिशन एक एडुकेशनल टूल की तरह है जिससे पुरुषों पर उंगली न उठाए बिना उन्हें सड़क पर हो रहे शोषण के बारे में जागरूक किया जा सकता है.
लोपेज का कहना है 'मुझे आशा है कि पुरुष ये सुनकर ये समझेंगे कि हम उनपर अटैक नहीं कर रहे. हम बस उन्हें ये बताना चाहते हैं कि हमें कैसा महसूस होता है.'
इस तरह के ऑडियो एग्जिबिशन की जरूरत भारत में तो बहुत ज्यादा है, जहां छेड़खानी यौन शोषण बेहद आम बात है या यूं कहें कि नॉर्मल है. यहां महिलाओं को छेड़कर भूल जाने वाले पुरुषों को भी ये याद दिलाना बहुत जरूरी है कि उनके मुंह से निकले हुए ये शब्द किस तरह महिलाओं के आत्म विश्वास को छलनी कर देते हैं.
आंकड़े जो भी कहें लेकिन हम जानते हैं कि कोई भी लड़की या महिला ऐसी होगी ही नहीं जो अपने जीवन में कभी भी छेड़खानी की शिकार न हुई हो. इसलिए इस तरह की पहल तो होनी ही चाहिए...भारत में भी. ये मेरा दावा है कि अगर लोफरों को वो बातें सुनवाई जाएंगी तो शर्म से जमीन में ही गड़ जाएंगे और दोबारा शायद कभी किसी को नहीं छेड़ेंगे. और मजा तो तब आए जब उनको ये सब सुनाने के साथ-साथ दिखाया भी जाए.
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