दुनिया के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई घोर दागी (ऐसा नेता जो छोटे-मोटे विवादों से ऊपर उठ बड़े हंगामों की ओर रुख कर चुका है.) सबसे ताकतवर गद्दी पर बैठ गया हो. अब बाकी देशों की बात करें तो ऐसे नेता सिर्फ अपने देश की हद तक ही सीमित रहते हैं. भारत में भी तो ऐसा होता हुआ है, लेकिन अमेरिकी जनता के लिए पहली बार ऐसा सौभाग्यशाली गौरवशाली क्षण आया है! (वाक्य में छुपे व्यंग्य को समझिए साहब). मतलब, अमेरिकी जनता ने खुद ही ऐसा नेता चुन लिया जो देश ही नहीं दुनिया के लिए किसी आंधी से कम नहीं. जहां ओबामा को पहले ब्लैक अमेरिकी प्रेसिडेंट होने का गौरव हासिल हुआ वहीं, अब अमेरिका को अपना पहला नारंगी प्रेसिडेंट (टैनिंग की बात हो रही है, मैं रेसिस्ट बिलकुल नहीं हूं.) हासिल हुआ है.
पहले 24 घंटे में ही बवाल...
खैर, मुद्दे पर आते हैं और बात करते हैं ट्रंप के पहले दिन की. आते ही उन्होंने कोहराम मचा दिया. एक तरह व्हाइट हाउस की वेबसाइट से LGTB राइट्स और पर्यावरण संबंधित सारी बातों को हटा दिया गया है (जी हां, ऐसा वाकई में हुआ है अब पता नहीं पर्यावरण का क्या होगा.) वहीं, ओबामा केयर पर भी आते ही गाज गिरी. मीडिया पर भी इनॉगरेशन के फेक कवरेज का आरोप ट्रंप ने पहले 24 घंटे में ही लगा दिया है. पर जो सबसे खास बात है वो ये कि ट्रंप के प्रेसिडेंट बनते ही लाखों महिलाओं ने उनके खिलाफ प्रोटेस्ट किया है.
ये भी पढ़ें- ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी प्रेस का जंगी ऐलान..
हुआ कुछ ये कि वुमेन्स मार्च ऑर्रेनाइजेशन द्वारा संगठित की गई वॉशिंगटन रैली में करीब 5 लाख महिलाओं ने भाग लिया. ये ऑर्गेनाइजेशन जगह-जगह एंटी ट्रंप मार्च का आह्वाहन कर रहा है और कुल मिलाकर 7 महाद्वीपों में ये प्रोटेस्ट हो चुका है. लंदन में हुए मार्च...
दुनिया के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई घोर दागी (ऐसा नेता जो छोटे-मोटे विवादों से ऊपर उठ बड़े हंगामों की ओर रुख कर चुका है.) सबसे ताकतवर गद्दी पर बैठ गया हो. अब बाकी देशों की बात करें तो ऐसे नेता सिर्फ अपने देश की हद तक ही सीमित रहते हैं. भारत में भी तो ऐसा होता हुआ है, लेकिन अमेरिकी जनता के लिए पहली बार ऐसा सौभाग्यशाली गौरवशाली क्षण आया है! (वाक्य में छुपे व्यंग्य को समझिए साहब). मतलब, अमेरिकी जनता ने खुद ही ऐसा नेता चुन लिया जो देश ही नहीं दुनिया के लिए किसी आंधी से कम नहीं. जहां ओबामा को पहले ब्लैक अमेरिकी प्रेसिडेंट होने का गौरव हासिल हुआ वहीं, अब अमेरिका को अपना पहला नारंगी प्रेसिडेंट (टैनिंग की बात हो रही है, मैं रेसिस्ट बिलकुल नहीं हूं.) हासिल हुआ है.
पहले 24 घंटे में ही बवाल...
खैर, मुद्दे पर आते हैं और बात करते हैं ट्रंप के पहले दिन की. आते ही उन्होंने कोहराम मचा दिया. एक तरह व्हाइट हाउस की वेबसाइट से LGTB राइट्स और पर्यावरण संबंधित सारी बातों को हटा दिया गया है (जी हां, ऐसा वाकई में हुआ है अब पता नहीं पर्यावरण का क्या होगा.) वहीं, ओबामा केयर पर भी आते ही गाज गिरी. मीडिया पर भी इनॉगरेशन के फेक कवरेज का आरोप ट्रंप ने पहले 24 घंटे में ही लगा दिया है. पर जो सबसे खास बात है वो ये कि ट्रंप के प्रेसिडेंट बनते ही लाखों महिलाओं ने उनके खिलाफ प्रोटेस्ट किया है.
ये भी पढ़ें- ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी प्रेस का जंगी ऐलान..
हुआ कुछ ये कि वुमेन्स मार्च ऑर्रेनाइजेशन द्वारा संगठित की गई वॉशिंगटन रैली में करीब 5 लाख महिलाओं ने भाग लिया. ये ऑर्गेनाइजेशन जगह-जगह एंटी ट्रंप मार्च का आह्वाहन कर रहा है और कुल मिलाकर 7 महाद्वीपों में ये प्रोटेस्ट हो चुका है. लंदन में हुए मार्च में भी 1 लाख महिलाओं ने ट्रंप के खिलाफ मोर्चा निकाला.
उत्तरी ध्रुव से आई तस्वीर. गिने चुने जो लोग हैं वो भी ट्रंप के खिलाफ हैं |
खास बात ये है कि एन्टार्कटिका (उत्तरी ध्रुव) में भी ये मार्च हुआ. भई वाह! ट्रंप का जादू तो देखिए जहां कुल मिलाकर सील, पेंग्विन, पोलार बियर और व्हेल के अलावा कुछ गिने चुने लोग और वैज्ञानिक हैं वहां भी उस इंसान के का विरोध हुआ जिसे अब दुनिया की सबसे ताकतवर गद्दी मिल गई है. हालांकि, यहां
ट्रंप के सबसे विवादास्पद बयान...
जरा सोचिए इस वीडियो में जिस तरह से ट्रंप रिफ्यूजी, मुस्लिम और मेक्सिको के बारे में बात कर रहे हैं उसी रौद्र वक्ता के हाथ अब अमेरिका के न्यूक्लियर कोड्स होंगे और वही मिडिल ईस्ट में चल रहे कत्लेआम को लेकर नई रणनीति बनाएगा. साथ ही ट्रंप के इलेक्शन में पुतिन का नाम होने की भी बात की गई है. सोचिए जरा ये तो वही बात हो गई जैसे कि किम जोंग उन के छोटे भाई को अमेरिका का राष्ट्रपति बना दिया गया हो.
वैसे एक बार फिर मैं मुद्दा भटक गई हूं. तो मुद्दा ये है कि आखिर ट्रंप के खिलाफ महिलाएं आईं क्यों? तो वजह ये है कि ट्रंप का रुख हमेशा से महिलाओं को लेकर काफी बुरा रहा है. अपने एक बयान में उन्होंने ये भी कहा है कि जो महिला उन्हें पसंद नहीं है वो भद्दी, मोदी या काली होगी. महिलाओं के साथ कुछ भी किया जा सकता है ऐसा भी ट्रंप कह चुके हैं. अगले चार साल तो अब ट्रंप ही राजा हैं, लेकिन इस दौर में महिलाओं, रिफ्यूजी, मुस्लिमों को लेकर उनकी रणनीति नहीं बदलेगी.
महिलाओं पर अभद्र कमेंट करते हुए ट्रंप का लीक हुआ ऑडियो क्लिप...
एक फेसबुक पोस्ट से शुरू हुआ सब...
ये पूरा वाक्या जो दुनिया भर में दोहराया जा रहा है दरअसल एक फेसबुक पोस्ट से शुरू हुआ. हुआवी की दादी बन चुकी 60 साल की महिला थेरेसा शूक ने अपने फेसबुक अकाउंट पर सिर्फ 5 शब्द लिखे. इसमें लिखा था 'I Think we should march'(मुझे लगता है कि हमें रैली निकालनी चाहिए). बस फिर क्या था एक के बाद एक ये संदेश वायरल होने लगा और फिर देखते ही देखते दुनिया भर में फैल गया.
इन्होंने ही शुरुअात की थी इस वर्ल्ड वार की. |
ट्रंप के पहले 24 घंटों का रिपोर्ट कार्ड...
ट्रंप के पहले 24 घंटे काफी खराब रहे हैं. दुनिया भर में प्रेटोस्ट हुआ सो हुआ, लेकिन ट्रंप ने प्रेसिडेंट बनने से पहले किए कई वादे भी तोड़ दिए हैं. उनमें से एक आपने ऊपर दिए वीडियो में सुन ही लिया होगा. ट्रंप ने वादा किया था कि प्रेसिडेंट बनने के बाद पहले घंटे, पहले दिन में जो वो पहला पेपर साइन करेंगे उससे अंतर्राष्ट्रीय ठग और ड्रग डीलरों को काफी नुकसान होगा और उनका सफाया होगा. बहरहाल 24 घंटे बीत चुके हैं और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. ट्रंप ने कहा था कि वो बुरे लोगों (Bad one's) को अपने कार्यकाल के पहले दिन ही अमेरिका से बाहर निकाल देंगे. वो भी नही हुआ और ट्रंप सिर्फ खिसियाकर मीडिया को दोष देते रहे कि उनके इनॉगरेशन की फेक कवरेज की गई है.
ये एक लौता नहीं है. ट्रंप ने कैम्पेन के दौरान पहले दिन करने वाले कामों की बड़ी लंबी चौड़ी लिस्ट तैयार कर दी थी. इसमें NAFTA (नॉर्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एग्रिमेंट) की नई पॉलिसी बनाने से लेकर, ट्रांस पैसेफिक पार्टनरशिप को तोड़ने तक की बात कही गई थी. आपको बता दूं कि ट्रांस पैसेफिक पार्टनरशिप 12 देशों के बीच हुआ एक फ्री ट्रेड एग्रिमेंट है जिसमें वियतनाम और अमेरिका भी शामिल हैं.
हो सकता है कि शनिवार होने के कारण ट्रंप ने वीक एंड की छुट्टी ले ली हो और सोमवार से वो अपना पहला दिन मानें (ऐसा उन्होंने टाइम्स और लंदन को दिए अपने एक बयान में कहा भी है). तो इस हिसाब से ट्रंप का पहला दिन हुआ ही नहीं है, लेकिन हम किसी कातिलाना दिवस की उम्मीद नहीं करते. अगर ट्रंप अपने वादे तोड़ते हैं तो हो सकता है कई बेगुनाह बच जाएं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.