जिंदगी किसे प्यारी नहीं होती. हर कोई अपने आप से प्यार करता है. लेकिन रूस में एक ऐसी महिला भी हैं, जिनका जिंदगी से मन भर चुका है. वह जीते-जीते थक चुकी हैं और अब मरना चाहती हैं, लेकिन मौत तो जैसे उनके घर का का रास्ता ही भूल गई हो. उनकी उम्र 129 साल हो चुकी है, लेकिन अभी भी वह सही सलामत हैं. वह अपने काम खुद ही कर लेती हैं. वह घूमती-फिरती हैं और यहां तक कि कभी-कभी खाना भी बना लेती हैं. माना जा रहा है कि रूस के चेचेन्या की रहने वाली कोकू इस्ताम्बुलोवा नाम की ये महिला दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला हैं. हालांकि, उनके जन्म का कोई प्रमाण अभी मौजूद नहीं है, जिसके चलते उनकी उम्र को वेरिफाई करना नामुमकिन है.
आंखों के सामने मर गए सारे, बस एक दिन रहीं खुश
इस बुजुर्ग महिला का सबसे बड़ा दुख तो यही है कि उनकी आंखों के सामने ही उनके माता-पिता से लेकर बच्चों तक की मौत हो चुकी है, लेकिन मौत उनके दर पर आने का नाम ही नहीं ले रही है. वह कहती हैं कि ये जिंदगी उनके लिए भगवान की तरफ से दी गई सजा है. वह कहती हैं कि अपनी पूरी जिंदगी में वह सिर्फ उस दिन खुश हुई थीं, जब वह स्टालिन द्वारा देश से निकाले जाने के बाद वापस अपने देश लौटी थीं और अपने हाथों से बनाए गए घर में उन्होंने अपना पहला कदम रखा था. आपको बता दें कि करीब 75 साल पहले दूसरे विश्व युद्ध के दौरान स्टालिन ने चेचेन्या में रहने वाले लोगों को देश से निकाल कर कजाकिस्तान भेज दिया था. 13 साल बाद वह वापस अपनी मातृभूमि लौटीं. वह बताती हैं कि देश से निकाले जाने से दौरान जानवर ढोने वाली ट्रेनों से लोगों से भेजा जा रहा था और उस दौरान ट्रेन में मरने वाले लोगों को चलती ट्रेन से ही फेंक दिया जाता था, जिन्हें जंगली जानवर और कुत्ते खा जाते थे. कोकू के माता-पिता और ससुराल वालों को भी ट्रेन से फेंक दिया गया था.
जिंदगी किसे प्यारी नहीं होती. हर कोई अपने आप से प्यार करता है. लेकिन रूस में एक ऐसी महिला भी हैं, जिनका जिंदगी से मन भर चुका है. वह जीते-जीते थक चुकी हैं और अब मरना चाहती हैं, लेकिन मौत तो जैसे उनके घर का का रास्ता ही भूल गई हो. उनकी उम्र 129 साल हो चुकी है, लेकिन अभी भी वह सही सलामत हैं. वह अपने काम खुद ही कर लेती हैं. वह घूमती-फिरती हैं और यहां तक कि कभी-कभी खाना भी बना लेती हैं. माना जा रहा है कि रूस के चेचेन्या की रहने वाली कोकू इस्ताम्बुलोवा नाम की ये महिला दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला हैं. हालांकि, उनके जन्म का कोई प्रमाण अभी मौजूद नहीं है, जिसके चलते उनकी उम्र को वेरिफाई करना नामुमकिन है.
आंखों के सामने मर गए सारे, बस एक दिन रहीं खुश
इस बुजुर्ग महिला का सबसे बड़ा दुख तो यही है कि उनकी आंखों के सामने ही उनके माता-पिता से लेकर बच्चों तक की मौत हो चुकी है, लेकिन मौत उनके दर पर आने का नाम ही नहीं ले रही है. वह कहती हैं कि ये जिंदगी उनके लिए भगवान की तरफ से दी गई सजा है. वह कहती हैं कि अपनी पूरी जिंदगी में वह सिर्फ उस दिन खुश हुई थीं, जब वह स्टालिन द्वारा देश से निकाले जाने के बाद वापस अपने देश लौटी थीं और अपने हाथों से बनाए गए घर में उन्होंने अपना पहला कदम रखा था. आपको बता दें कि करीब 75 साल पहले दूसरे विश्व युद्ध के दौरान स्टालिन ने चेचेन्या में रहने वाले लोगों को देश से निकाल कर कजाकिस्तान भेज दिया था. 13 साल बाद वह वापस अपनी मातृभूमि लौटीं. वह बताती हैं कि देश से निकाले जाने से दौरान जानवर ढोने वाली ट्रेनों से लोगों से भेजा जा रहा था और उस दौरान ट्रेन में मरने वाले लोगों को चलती ट्रेन से ही फेंक दिया जाता था, जिन्हें जंगली जानवर और कुत्ते खा जाते थे. कोकू के माता-पिता और ससुराल वालों को भी ट्रेन से फेंक दिया गया था.
दुनिया की सबसे बूढ़ी महिला!
इस वक्त इस खिताब पर औपचारिक रूप से चियो मियाको का अधिकार, जो जापान में 2 मई 1901 को पैदा हुर्इ थीं. उनकी उम्र 117 साल के करीब है. उनसे पहले यह खिताब फ्रांस की जीन कालमेंट के पास था, जो 1875 में जन्मी थीं. 1997 में 122 साल की उम्र में उनकी मौत हुई. कोकू इस्ताम्बुलोवा ही सबसे बूढ़ी महिला हैं, इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है, क्योंकि युद्ध के दौरान उनके सारे रिकॉर्ड खो गए थे. हालांकि, उनके मौजूदा पासपोर्ट और पेंशन कार्ड के अनुसार उनका जन्म 1 जून 1889 माना जा रहा है, जिसके अनुसार देखा जाए तो वह दुनिया की सबसे बूढ़ी महिला हैं.
आखिर क्या है इनकी सेहत का राज?
लंबी जिंदगी पाने के लिए लोगों को आपने खूब एक्सरसाइज करते और पौष्टिक आहार लेते देखा होगा. लेकिन 129 साल की कोकू कहती हैं कि वह सिर्फ अपने गार्डन में खुदाई किया करती थीं. इसके अलावा उन्होंने और कुछ भी नहीं किया, लेकिन उनकी जिंदगी बहुत अधिक लंबी हो गई है. अगर खाने-पीने की बात करें तो अब वह पहले की तुलना में कम खाती हैं, लेकिन उन्हें दूध पीना बहुत पसंद है और खूब दूध पीती भी हैं. वह शाकाहारी हैं, जो बचपन से ही गाय और मुर्गी पालती थीं और गार्डन में खुदाई करती थीं. फिलहाल वह अपनी 17 साल की नातिन मेडिना के साथ रहती हैं. मेडिना बताती हैं अभी भी सिर्फ उनकी आंखें ही कमजोर हैं, बाकी सब सही है.
129 साल की कोकू हर दिन कई बार रोती हैं. और रोएं भी क्यों नहीं, उनकी आंखों ने अपने बच्चों को मरते हुए जो देखा है. उन्हें अपनी जिंदगी सजा लगती है और उनकी बात एक तरह से सही भी है. इतनी उम्र हो जाने के बावजूद मौत उनके आस-पास भी नहीं फटक रही और हर दिन उन्हें अपनों की याद भी सताती है. भले ही औपचारिक तौर पर भी अब सबसे बूढ़ी महिला होने का खिताब कोकू को मिल जाए, भले ही पूरी दुनिया उन्हें जानने लग जाए, लेकिन उन्हें इस जिंदगी से अधिक खुशी वो मौत देगी, जो उनके घर का रास्ता भूल चुकी है.
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