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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 30 दिसम्बर, 2018 04:58 PM
आईचौक
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हर साल कुछ न कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो अनोखी और अजीब होती हैं. 2018 में भारतीय राजनीति ऐसी कई घटनाओं की चश्मदीद बनी जो पहले शायद ही कभी देखने और सुनने को मिली हों. एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष लाइव टीवी पर संसद में आंख मारते देखे गये तो भारतीय राजनीति में नई लहर पैदा करने वाले आप नेता अरविंद केजरीवाल उन सभी नेताओं से माफी मांगते रहे जिनके लिए वो कहा करते थे - सब मिले हुए हैं जी.

2018 की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट के चार जजों को जनता की अदालत में देखा जाना और उनकी 'लोकतंत्र बचाओ' अपील आने वाले कई साल तक यूं ही याद रहेगी.

संसद में आंखों का खेल

2018 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव को लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूर किया था. करीब 11 घंटे की लंबी बहस के बाद अविश्वास गिर तो गया, लेकिन उस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं हुईं जो बरसों याद रहेंगी. अविश्वास प्रस्ताव पर कुल 451 वोट पड़े. इस वोटिंग में विपक्ष के 126 के मुकाबले मोदी सरकार को 325 वोट मिले.

बहस के दौरान राहुल गांधी ने जोरदार भाषण दिया और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट के पास जाकर गले मिले. राहुल गांधी अचानक ऐसे पेश आएंगे किसी ने सोचा न था - और उस वक्त मोदी का चेहरा भी यही बयान दे रहा था. प्रधानमंत्री से गले मिलने के बाद राहुल गांधी सदन में अपनी सीट पर बैठे और साथी नेताओं की तरफ देखते हुए आंख मारी - ये सब टीवी पर लाइव पूरी दुनिया देख रही थी.

rahul gandhiसंसद में आंखों का खेल...

जब प्रधानमंत्री मोदी की बारी आयी तो वो बोले, 'आंखों की बात करने वालों की आंखों की हरकतें... आज पूरा देश देख रहा है... कैसे आंख खोली जा रही है कैसे बंद की जा रही है... ये आंखों का खेल... आज आंख में आंख डाल कर सत्य को कुचला गया है...'

केजरीवाल का माफीनामा

जिस तरह आम लोग होली पर लोगों से गले मिल कर गिले शिकवे दूर करते हैं, आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने उन सभी नेताओं से माफी मांग ली जिन पर कभी बड़े इल्जाम लगाये थे.

राजनीति में एंट्री से पहले से ही अरविंद केजरीवाल संसद में बैठे नेताओें को डकैत, हत्यारे और बलात्कारी बताते रहे. एक बार दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में सीबीआई की टीम जांच-पड़ताल करने पहुंची तो अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी को 'कायर' और 'मनोरोगी' तक कह डाला था. ये सब तो चल गया लेकिन कुछ मामलों में केजरीवाल को लेने के देने पड़ गये - क्योंकि अरुण जेटली सहित कई नेताओं ने कोर्ट में मानहानि का मुकदमा कर डाला. अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले तो शिरोमणि अकाली दल के महासचिव बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगी, जिन्हें कभी वो सबसे बड़ा भ्रष्ट बताते रहे और जेल भेजने की बात करते रहे. फिर एक एक करके केजरीवाल ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, बीजेपी नेता नितिन गडकरी और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से भी माफी मांग डाली.

लोकपाल की बातें तो अरविंद केजरीवाल के जबान से वैसे ही गायब लगती हैं जैसे प्रधानमंत्री मोदी के मुंह से नोटबंदी की चर्चा, फिर भी केजरीवाल का ये सियासी यू टर्न हर किसी के लिए चौंकाने वाला रहा.

कर्नाटक में येदियुरप्पा की वो नाटकीय पारी

त्रिपुरा में भगवा फहराने के बाद बीजेपी कर्नाटक में भी सरकार बनाने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन वो टूट गयी. चुनाव नतीजे आये तो मालूम हुआ बीजेपी न अकेले दम पर सरकार बना सकती थी और न ही ऐसा कोई नजर आ रहा था जो उसे समर्थन देता. कांग्रेस नेतृत्व ने एचडी कुमारस्वामी को नेता मान लिया और जेडीएस के साथ समझौता हो गया. बीजेपी के सामने रास्ते बंद नजर आने लगे.

yeddyurappa, modiकर्नाटक में बीजेपी को गोवा-मणिपुर जैसी कामयाबी नहीं मिली

बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा चुनावी शिकस्त के बावजूद हार मानने को तैयार न थे. कुछ ही सही, अपने 'अच्छे दिनों' का फायदा उठाते हुए येदियुरप्पा ने राजभवन में दस्तक दी - और सरकार बनाने का न्योता लेकर लौटे. वैसे तो येदियुरप्पा नतीजे आने से पहले से ही खुद को अगला मुख्यमंत्री बताने लगे थे, शपथ की तारीख तक का ऐलान कर डाला था - और शपथग्रहण भी होकर रहा.

येदियुरप्पा को सरकार बनाने के खिलाफ कांग्रेस ने आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया - और देर रात तक सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए कुछ शर्तें लागू कर दी. राज्यपाल की ओर से येदियुरप्पा को 15 दिन की मोहलत मिली हुई थी.

विधानसभा में येदियुरप्पा ने खुदे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह प्रोजेक्ट करने की कोशिश की, जी भर इमोशनल अत्याचार भी किया - लेकिन आखिर में इस्तीफा देकर मैदान छोड़ना पड़ा. तब कहीं जाकर जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ पाये.

जजों की प्रेस कांफ्रेंस

न्यायपालिका के इतिहास में जजों की प्रेस कांफ्रेंस 2018 की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक रही. सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने प्रेस कांफ्रेंस कर ज्युडिशियरी का अंदरूनी झगड़ा सार्वजनिक करते हुए लोकतंत्र बचाने की हाथ जोड़ कर अपील की. चार जजों का नेतृत्व जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने किया, जिनका साथ दिया जस्टिस रंजन गोगोई (मौजूदा चीफ जस्टिस), जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस बी. मदन लोकुर ने.

judges press conferenceदेश के इतिहास में पहली बार...

मीडिया के जरिये जजों ने लोगों को ये बताने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. चारों के निशाने पर तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रहे. बाद में एक कार्यक्रम में जस्टिस चेलमेश्वर ने यहां तक कहा कि अगर वरिष्ठता के हिसाब से रंजन गोगोई को चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया तो समझा जाना चाहिये कि लोकतंत्र खतरे में है. बाद में केंद्र सरकार ने जस्टिस गोगोई को चीफ जस्टिस बना दिया और लोकतंत्र पर खतरा टल गया.

विपक्षी दलों के सांसदों ने तब के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ संसद में महाभियोग लाने की कोशिश भी की. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग लाने का भी ये पहला केस रहा.

CBI बनाम CBI

न्यायपालिका के बाद अगर इस देश में किसी पर सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है तो वो है - सीबीआई. एक दिन, अचानक आधी रात को सीबीआई की आपसी लड़ाई सबके सामने आ गयी.

रातोंरात केंद्र सरकार ने सीवीसी की सलाह पर सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को को छुट्टी पर भेज दिया और उसी वक्त अंतरिम डायरेक्टर की नियुक्ति कर दी.

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सीवीसी को दोनों अफसरों के एक दूसरे के खिलाफ आरोपों की जांच करने को कहा गया. अब कोर्ट के फैसले का इंतजार है.

दलितों और सवर्णों का प्रदर्शन

ऐसा मौका कम ही देखा होगा जब एक ही मुद्दे पर दो पक्ष अलग अलग, एक ही तरीके से विरोध प्रदर्शन करें और दोनों ही देश की राजनीति पर लगभग एक जैसा असर डालें - एससी-एसटी एक्ट पर पहले दलितों और फिर सवर्णों का भारत बंद बराबर असरदार दिखा.

20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST Act पर फैसला दिया जिसमें दलितों के खिलाफ अपराधों के मामले में जमानत और अग्रिम जमानत का प्रावधान किया गया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ साथ सत्ताधारी एनडीए के दलित सांसदों ने भी भारी विरोध जताया.

दलितों के भारत बंद के दौरान भारी हिंसा हुई जिसमें यूपी में दो और मध्य प्रदेश में छह लोगों सहित नौ की मौत हो गयी. दलितों को विरोध से दबाव में आयी मोदी सरकार ने संसद के जरिये एक्ट को उसके मूल स्वरूप में कर दिया. सवर्ण समुदाय सरकार के इस कदम के विरोध में सड़क पर उतर आया - और एक बार फिर से भारत बंद हुआ. बंद की दोनों घटनाओं में काफी लोग जख्मी भी हुए.

लोहा लेते किसान

2018 में पूरे साल किसानों का आंदोलन चलता रहा. जंतर मंतर पर तमिलनाडु के किसानों ने अजीब अजीब तरीके अपना कर लोगों खासकर सत्ता पक्ष का ध्यान खींचने की कोशिश की. दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ऐसा जत्था पहुंचा कि लगा दिल्ली में घुसे तो सब कुछ ठप कर देंगे. प्रशासनिक अमले ने आधी रात को किसानों को एंट्री देकर मामला सुलझाया.

farmers protestपुलिसवालों से दो-दो हाथ करता एक किसान

साल बीतते बीतते किसानों ने अपना कमाल ऐसा दिखाया कि हिन्दी बेल्ट के तीन राज्यों में कमल खिल ही नहीं पाया. कांग्रेस के कर्जमाफी दांव के चलते बीजेपी को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता गंवानी पड़ी.

चुनाव नतीजों से एक बात तो साफ हो गयी - 2019 में किसानों की समस्या मुद्दों की फेहरिस्त से बाहर तो न हो सकेगी. अगर ऐसा कुछ हुआ तो हुक्मरान अपना हुक्का-पानी बंद ही समझें.

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