आतिश तासीर का OCI कार्ड रद्द किए जाने पर मां तवलीन सिंह ने संभाला मोर्चा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन्हें 'India's Divider In Chief' कहने वाले ब्रिटिश लेखक और पत्रकार आतिश अली तासीर (Aatish Taseer) का ओवरसीज़ सिटीज़न ऑफ इंडिया का दर्जा भारत सरकार ने रद्द कर दिया है जिसपर फिलहाल बहस हो रही है.
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आजकल एक ब्रिटिश लेखक और पत्रकार सुर्खियों में बने हुए हैं. नाम है आतिश अली तासीर (Aatish Taseer). आतिश अमेरिका के The newyork times से जुड़े हुए हैं. सुर्खियों में तब आए थे जब आम चुनाव से ठीक पहले Times Magazine में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए उन्हें 'India's Divider In Chief' कहा था. तब इस लेख और लेखक दोनों पर विवाद हुआ था. अब भारत सरकार ने आतिश अली तासीर का Overseas Citizen Card (OCI Card) रद्द कर दिया है. जिसपर आतिश का कहना है कि उनका OCI दर्जा एक साजिश के तहत खत्म किया गया है. आतिश विदेश में हैं, लेकिन उनकी मां और वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है.
OCI यानी ओवरसीज़ सिटीज़न ऑफ इंडिया का दर्जा. ओसीआई कार्ड भारतीय मूल के विदेशी लोगों को भारत आने, यहां रहने और काम करने का अधिकार देता है. हालांकि, उन्हें वोट देने और संवैधानिक पद प्राप्त करने जैसे कुछ अन्य अधिकार नहीं होते.
आतिश का कहना है कि भारत सरकार ने उन्हें मोदी के खिलाफ लेख लिखने की सजा नागरिकता रद्द करके दी है
भारत के गृह मंत्रालय का कहना था कि उस लेख की वजह से ओसीई दर्जा खत्म नहीं किया गया बल्कि 'आतिश ने ये बात छिपाई थी कि उनके पिता पाकिस्तानी मूल के थे. तासीर को उनके पीआईओ/ओसीआई कार्ड के संबंध में जवाब/आपत्तियां दर्ज करने का मौका दिया गया लेकिन वो ऐसा करने में असफल रहे.'
लेकिन आतीश का कहना है कि उन्हें अपना जवाब देने के लिए पर्याप्त समय ही नहीं दिया गया. अब इस बात को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है. ट्विटर पर गृह मंत्रालय और आतिश के बीच बहस हो रही है.
आतिश तासीर और उनके पाकिस्तानी पिता पर सवाल क्यों?
दरअसल आतिश अली तासीर के पिता सलमान तासीर पाकिस्तान के जाने माने नेता थे. सलमान तासीर भारत में ही जन्मे थे, उनकी मां ब्रिटिश थीं, लेकिन विभाजन के बाद वो पाकिस्तानी हो गए. 2011 में सलमान को उन्हीं के अंगरक्षक ने पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के खिलाफ बोलने पर गोली मार दी थी. लेकिन तासीर की मां भारत की एक जानी-मानी पत्रकार तवलीन सिंह हैं, भारत में ही रहती हैं.
आतिश और उनके पिता के बीच रिश्ता थोड़ा complicated है. आतिश सलमान के बेटे तो हैं लेकिन तवलीन और सलमान की शादी नहीं हुई थी. 21 साल के होने तक आतिश कभी अपने पिता से मिले भी नहीं थे. आतिश का जन्म ब्रिटेन में हुआ, और उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है. लेकिन 2 साल की उम्र से वो मां के साथ भारत में ही रहे और यहीं बड़े हुए. दिल्ली में मां के साथ ही रहते थे.
इसलिए आतिश भारत सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि सरकार ने उन्हें मोदी के खिलाफ लेख लिखने की सजा नागरिकता रद्द करके दी है.
तवलीन सिंह ने भारत में रहकर ही आतिश की परवरिश की है
बेटे के खिलाफ विरोधियों के मुंह पर मां के थप्पड़
मोदी के खिलाफ लेख आने के बाद संबित पात्रा ने आतिश को पाकिस्तानी कह दिया था. और अब एक बार फिर आतिश बीजेपी समर्थकों के निशाने पर हैं. सोशल मीडिया पर खूब बहस हो रही है. लेकिन आतिश पर निजी कमेंट्स किए जाने लगे तो इस बहस में मां तवलीन भी उतर आईं और एक मां होने के नाते अपने बेटे के बचाव में जमकर बोलीं. उनका एक-एक जवाब एक-एक थप्पड़ की तरह लग रहा है जो बेटे के बचाव में एक मां उठा रही है.
तारिक फतेह ने आतिश के लिए ट्विटर पर कहा कि - हिंदुओं के प्रति आपका गुस्सा चौंकाने वाला है और ये न तो आपके अच्छे लेखन और न ही आपके माता-पिता के साथ न्याय नहीं है, जिनकी हम सभी प्रशंसा करते हैं. कृपया शांत हो जाएं. बुल्ले शाह को पढ़ें.
Hi @AatishTaseer, your raw exhibition of anger towards Hindus is shocking and does no justice to either your fine writing or your mom and dad who we all admire. Please calm down. Read a bit of Bulle Shah. https://t.co/KUoSxnK27B
— Tarek Fatah (@TarekFatah) November 8, 2019
इसपर तवलीन ने कहा- तारेक साहब, सिर्फ हिंदुओं के खिलाफ नहीं बल्कि उन सबके खिलाफ जो इसे इस्लाम के एक घटिया संस्करण में बदलने के लिए सनातन धर्म के शानदार विचार को खारिज करते हैं. बुल्ले शाह को पढ़ने की सलाह देने से पहले आतिश की हालिया किताब The twice born पढ़ें.
Not against Hindus Tarek Saheb against those who reject the magnificent idea of the Sanatan Dharma to turn it into a shoddy version of Islam. Please read Aatish’s latest book ‘The Twice Born’ before advising him to read Bulle Shah which he was virtually brought up reading. https://t.co/R5ulqLRe3S
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) November 8, 2019
इस बहस पर भाजपा के विदेश मंत्रालय के हेड विजय चौथाईवाले ने ट्विटर पर आतिश को rabid islamist यानी पागल इस्लामी तक कह दिया. उनका कहना था कि मां तो बेटे का पक्ष लेगी ही.
Mother is always protective about her son @AatishTaseer . I can understand inhibition of @tavleen_singh to admit that her son is nothing less than rabid Islamist. https://t.co/SFzVlnyhSE
— Dr Vijay Chauthaiwale (@vijai63) November 6, 2019
हिंदू हिंदुत्व और बीजेपी से होती हुई बहस गौमूत्र तक पहुंच गई थी. संजय दीक्षित का कहना था कि - जूनागढ़ एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के विज्ञानिकों को गाय के मूत्र में 388 तत्वों के साथ सोना भी मिला है जिसमें औषधीय गुण हैं. आप जल्दी ही गौहत्यारों को गायों की पूजा करते हुए देखेंगे. तवलीन और आतिश को गौमूत्र गिफ्ट करना चाहिए.
इसपर आतिश की मां तवलीन का जवाब था- अगर ये सच है तो फिर भारत दुनिया का सबसे अमीर देश बन जाएगा.हमारे यहां इतनी बेघर और उपेक्षित गाएं हैं जिनकी कीमत तो अब सोने के बराबर है. तो गौमूत्र तो आपको भी गिफ्ट देना चाहिए.
If this is true then India will soon be the richest country in the world. We have enough abandoned, uncared for cows who will now be worth their weight in gold. Gift#GoMutra to you too. https://t.co/crFBd2DVQT
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) November 8, 2019
आतिश और उनके पिता के बीच इस उल्झे हुए रिश्ते पर किसी ने उन्हें जिन्नाह का उदाहरण दिया. कहा कि- 'जिन्नाह के पोते जन्म से भारतीय नागरिक हैं. उनकी मां पाकिस्तानी नागरिक नहीं थीं. वो हमेशा से भारतीय थीं.' इसपर तवलीन का कहना था- ये याद दिलाने के लिए शुक्रिया. आतिश की मां भी हमेशा से ही एक भारतीय नागरिक ही रही है. और आतिश के यहां रहने पर कभी भी सवाल नहीं उठाए गए, जब तक कि उन्होंने वो लेख नहीं लिखा था. और जो गृहमंत्री को पसंद नहीं आया था.
Thank you for this reminder. Aatish’s mother has also always been an Indian citizen. And, his right to live here was never questioned until he wrote an article that the Home Minister did not like. https://t.co/bybRQp0mIj
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) November 8, 2019
तवलीन अक्सर मोदी के पक्ष में ही लिखती आई हैं. इसलिए सोशल मीडिया पर ये सवाल भी उठ रहा है कि मां और बेटे दोनों की सोच में फर्क है. मां पक्ष में और बेटा विपक्ष में लखते हैं. लेकिन दो इंसान अलग-अलग विचारधारा के हो सकते हैं. मां-बेटा ही क्यों न हों. लेकिन जब बात बेटे के अधिकार की हो तो एक मां बेटे के साथ ही खड़ी दिखाई देती है. तवलीन साफ तौर पर ट्विटर पर लिखती हैं कि यहां कोई विक्टिम नहीं बन रहा लेकिन हां, वो अपने और अपने बेटे के अधिकार के लिए खड़ी होंगी.
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