राहुल गांधी ने अमेठी के कांग्रेसियों को धर्मसंकट में डाल दिया
1 करोड़ ट्विटर फॉलोवर्स होने पर राहुल गांधी ने खुशी जताते हुए अमेठी जाने की बात की. अमेठी पहुंचकर उन्होंने कार्यकर्ताओं से स्मृति ईरानी के खिलाफ विपक्ष बनने को कहा. वाकई राहुल गांधी की बातों में बड़ा विरोधाभास है.
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2019 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के 48 दिन बाद राहुल गांधी अमेठी पहुंचे हैं. राहुल गांधी ने अमेठी में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की है. चुनाव हारने के बाद ये पहली बार है जब राहुल गांधी अमेठी आए हैं. अमेठी में कार्यकर्ताओं से मुखातिब राहुल गांधी ने कहा है कि अब वो अमेठी के एमपी नहीं हैं मगर जब भी अमेठी की जनता को उनकी जरूरत होगी वो उनकी मदद के लिए जरूर आएंगे. कार्यकर्ताओं के साथ हुई समीक्षा बैठक में बोलते हुए राहुल ने इस बात को भी साफ कर दिया कि अब वो अमेठी के सांसद नहीं हैं. मगर चूंकि अमेठी से उनका रिश्ता प्यार का है इसलिए वो अमेठी के लोगों की हर संभव मदद करेंगे. ध्यान रहे कि अपनी अमेठी यात्रा से पहले राहुल ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने अपने 1 करोड़ ट्विटर फॉलोवर्स को धन्यवाद दिया था साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि वो इस खुशी का जश्न अमेठी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों से मिलाकर मनाएंगे.
चुनाव हार कर पहली बार अमेठी पहुंचे राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं की बातों को बड़े ही ध्यान से सुना
राहुल के इस ट्वीट के बाद उम्मीद यही की जा रही थी कि शायद वो अमेठी जकार कांग्रेस कार्यकर्ताओं से ट्विटर के बारे में कुछ बात करेंगे उन्हें टेक्नोलॉजी पर लेक्चर देंगे मगर इसके विपरीत उन्होंने कुछ ऐसी बातें कह दी हैं जिनसे विरोधाभास की स्थिति हो गई है.
10 Million Twitter followers - thank you to each and every one of you! ????????
I will celebrate the milestone in Amethi, where I will be meeting our Congress workers & supporters today.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 10, 2019
बैठक के दौरान राहुल ने कार्यकर्ताओं से कहा कि मैं आपका सांसद नही हूं. मगर आपको मेरी जरूरत होगी तो मैं आपके लिए यहां हाजिर हूं. मैं केवल कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की बात नहीं कर रहा हूं, मैं अमेठी के हर एक व्यक्ति की बात कर रहा हूं. माता, पिता, बच्चों की बात कर रहा हूं. जब भी अमेठी को रात के समय, सुबह के समय चार बजे सुबह राहुल की जरूरत होगी राहुल यहां आकर हाजिर हो जाएगा.
अमेठी के निर्मला देवी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में कार्यकर्ताओं के साथ समीक्षा बैठक में राहुल गांधी ने बड़े ही मुखर होकर इस बात को कहा कि. 'आपने भी कोई न कोई गलती की है. मैं वायनाड का एमपी हूं, सच्चाई है मैं केरल का एमपी हूं. मगर मैं 15 साल आपका अमेठी का भी एमपी रहा हूं और पुराना रिश्ता है, प्यार का रिश्ता है राजनीतिक रिश्ता भी नहीं है.
कार्यकर्ताओं के साथ हुई बातचीत में राहुल ने ये भी कहा कि, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री, योगी जी चीफ मिनिस्टर और भाजपा की यहां सांसद हैं. हमें विपक्ष के काम में सबसे ज्यादा मजा आता है. अब आपको अमेठी में विपक्ष का काम करना है. जो जनता की जरूरतें हैं, उन जरूरतों को पूरा करना है. राहुल ने लोगों से ये भी कहा कि अर्थव्यवस्था और रोजगार की हालत आप जानते हो. भ्रष्टाचार कहां हो रहा है? कौन कर रहा है? आप जानते हो. मुद्दों की कोई कमी नहीं. मैं यहां पर आता रहूंगा. लेकिन मेरी वहां पर जरूरत है, क्योंकि वायनाड का मुझे विकास करना है. एमपी हूं वहां का, वहां मुझे टाइम देना पड़ेगा. मगर मैं यहां भी आपको टाइम दूंगा, ये मत सोचिए यहां नहीं आऊंगा.
क्षेत्र में कार्यकर्ताओं को किन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है इसे समझते राहुल गांधी गौरतलब है कि अमेठी में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी से 55,120 वोटों से हारे राहुल गांधी तीन बार अमेठी के सांसद रह चुके हैं. ये पहली बार है जब वो हार के बाद अमेठी की धरती पर आए हैं और कार्यकर्ताओं से मुखातिब हुए हैं. राहुल गांधी की इस अमेठी यात्रा की सबसे दिलचस्प बात ये है कि इसमें उन्होंने कार्यकर्त्ताओं से विपक्ष बनने के लिए कहा है. यानी अगर स्मृति ईरानी क्षेत्र में काम नहीं करती हैं तो कार्यकर्ताओं का नैतिक दायित्व उनसे सवाल करना होगा.
इस पूरे मामले या फिर राहुल गांधी की बातों का अवलोकन किया जाए तो कई सवाल हैं जो हमारे सामने आ जाते हैं. एक लम्बे समय तक राहुल खुद अमेठी के सांसद थे. उन्हें इस बात का पूरा अंदाजा है कि अमेठी और आस पास का युवा बेरोजगार है और पस्ताहाली की जिंदगी जीने पर मजबूर है. सवाल ये खड़ा होता है कि जब उन्हें अमेठी की स्थिति पता थी तो अपने 15 सालों के कार्यकाल में उन्होंने क्षेत्र की जनता के लिए क्या किया?
बात सीधी और एकदम साफ है. ये यात्रा राहुल गांधी ने अपने आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए की थी. ज्ञात हो कि 2019 के आम चुनावों में मिली हार का ठीकरा राहुल गांधी के सिर पर फोड़ा जा रहा है. हार के बाद राहुल अपना इस्तीफ़ा दे चुके हैं. 2019 चुनाव में मिली हार के बाद जैसा बदला-बदला अंदाज राहुल गांधी का है. साफ पता चलता है कि अपनी इस अमेठी यात्रा से राहुल उन लोगों को एक सन्देश देने का प्रयास कर रहे हैं, जिनकी आलोचना का आधार ही ये था कि राहुल गांधी में राजनीतिक समझ की कमी है और उन्हें राजनीतिक रूप से परिपक्व होने में अभी लम्बा वक़्त लगेगा.
राहुल की ये यात्रा देखकर ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति नहीं है कि चुनावों में हार से पस्त हुए राहुल ने शुरुआत तो अच्छी की. मगर उनसे कई मामलों में मूलभूत चूक हुई है. वो हर बार की तरह इस बार भी अपना होम वर्क करना भूल गए या फिर ये भी कि होम वर्क के लिए उन्होंने कागज कलम कुछ भी नहीं उठाया.
राहुल को याद रखना होगा कि हर चीज के लिए भाजपा या फिर पीएम मोदी को कोसने में कोई समझदारी नहीं है. उन्हें अमेठी की जनता ने खारिज ही इसलिए किया था क्योंकि कहीं न कहीं पिछले 15 सैलून में अमेठी की जनता को इस बात का भली प्रकार एहसास हो गया था कि राहुल ने इस सीट को हमेशा ही एक आसन सीट समझा और चूंकि सीट उन्हें आसानी से मिली थी इसलिए शायद उन्होंने कभी इसकी कद्र भी नहीं की.
आज भले ही राहुल इस बात को स्वीकार कर रहे हों कि जब भी वो अमेठी आते हैं उन्हें घर वाली अनुभूति होती है मगर अब तक जैसा सलूक उन्होंने अपने घर के साथ किया था वो कहीं न कहीं घर और घर में रहने वाले लोगों के प्रति उनका चाल चरित्र और चेहरा दर्शाता नजर आता है. अंत में हम अपनी बात को विराम देते हुए बस इतना ही कहेंगे कि ये अच्छी बात है कि राहुल ने जीत हार के इस खेल में कार्यकर्ताओं की भूमिका को समझा लेकिन अब वक्त वो आ गया है जब उन्हें एक एक बात बहुत ही सोच समझकर कहनी होगी.
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