राहुल गांधी का लुक नया, लेकिन...
यूपी और उत्तराखंड में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने फिर राजनीति में एन्ट्री की है. राहुल का लुक तो नया है... लेकिन बाकी सब पुराना है.
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यूपी में हार के बाद राहुल गांधी ने फिर राजनीति में एन्ट्री की है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बदले हुए दिखाई दे रहे हैं. जहां राहुल पूरे यूपी चुनाव के दौरान बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ नजर आए थे. वहीं अब वो क्लीन शेव में दिख रहे हैं. लेकिन, राजनीति के दांव-पेच बिलकुल वही हैं.
हार के बाद उन्हें राजनीतिक गलियारों में दिखाई नहीं दे रहे थे. ऐसे में कुछ लोगों ने ये भी कहा कि वो छुट्टी पर गए हैं. लेकिन समय-समय पर सामने आने पर उन्होंने ये साफ कर दिया कि वो कोई छुट्टी पर नहीं थे.
यूपी और उत्तराखंड में करारी हार के बाद राहुल पर कई सवाल उठाए गए थे. सोशल मीडिया पर किसी ने उनको कांग्रेस के ही विलेन बताया तो किसी ने उनकी क्षमता पर भी सवाल उठाए. कहीं ये बात भी फैली कि कांग्रेस में कई बदलाव होंगे. लेकिन कांग्रेस कुछ भी बदलाव करने के मूड में नहीं लग रही है. उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण से तो यही लग रहा है. भले ही उन्होंने लुक बदल लिया हो... लेकिन, उनकी बातों में कोई बदलाव नहीं आया है.
फिर मोदी पर अटैक
पिछले चुनावों में राहुल ने जो भाषण दिए थे वहां पीएम मोदी और उनकी नीतियों पर सवाल उठाए थे. हार के बाद भी उनके भाषण में कोई बदलाव नहीं आया है. एक कार्यक्रम के दौरान जब उन्होंने माइक संभाला तो लोगों को लगा कि इस बार राहुल गांधी कोई नया भ्रमास्त्र लेकर आएंगे. लेकिन उनके पिटारे में कुछ नया नहीं था.
मुद्दे भी वही पुराने जिनको जनता नकार चुकी है. हुल ने केंद्र सरकार और देश के अलग अलग राज्यों में बीजेपी की सरकारों पर निशाना साधने की कोशिश की. उन्होंने फिर से वही पुराना मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश की जनता डराने वालों और नफरत फैलाने वालों को सबक सिखाएगी.
Chahe kisi ke bhi pass satta ho,woh desh mein nafrat phelane ki,darane ki koshish karega to desh baat manne ke liye tayar nahi hoga:R Gandhi pic.twitter.com/dQe6wy8BQj
— ANI (@ANI_news) April 17, 2017
राहुल गांधी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि देश में किसी की भी सरकार हो. किसी की भी सत्ता हो, अगर वो देश में नफरत फैलाने की, डराने की कोशिश करेंगे तो देश की जनता उनकी बात मानने के लिए तैयार नहीं होगी. उनके इतना कहने से यूपी चुनाव के दौरान उनके भाषण की याद आ गई.
जहां उन्होंने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मोदी जगह-जगह घूमकर नफरत की राजनीति कर रहे हैं. इस बार भी उन्होंने पीएम का नाम न लेते हुए नफरत की राजनीति वाला कार्ड फिर से खेला है. लेकिन, उन्हें पता होना चाहिए कि उस वक्त भी उनके इतना कहने पर भी यूपी में बीजेपी की सरकार आई है. राहुल का फिर ये कहना लगता नहीं है कि इतना प्रभावशाली होगा.
लोकसभा चुनाव फिर आने वाले हैं. ऐसे में राहुल गांधी को पूरी प्लानिंग के साथ आना था. पुराने मुद्दों को जो जनता नकार चुकी है उसे ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए. कांग्रेस सपोटर्स तो सोच रहे थे कि जिस तरह राहुल ने अचानक हीरो की तरह एन्ट्री मारी है... उनकी बातों में भी कुछ नयापन नजर आएगा. लेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं आया, हां लुक जरूर बदला.
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