अमर सिंह से ज्यादा बीजेपी को उनकी जरूरत है
अगर 2019 में केंद्र में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी को कुछ सीट कम पड़ जाएंगी तो अमर सिंह जैसे लोगों की जरुरत काफी बढ़ जाएगी क्योंकि वो जोड़-तोड़ में माहिर माने जाते हैं.
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भारतीय पॉलिटिक्स में जोड़-तोड़ के माहिर माने जाने वाले राजनेता अमर सिंह के बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं. जहां तक अमर सिंह का सवाल है, अपनी स्थिति को देखते हुए उन्हें बीजेपी में शामिल होने का फायदा ही नजर आ रहा है. हालांकि अभी तक बीजेपी में शामिल होने का कोई न्योता उन्हें नहीं मिला है. बीजेपी में जाने की अटकलें इसलिए भी तेज हैं क्योंकि अमर सिंह हाल के दिनों में दो बार उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल चुके हैं. यहां पर एक चीज बताना जरुरी है कि योगी आदित्यनाथ और अमर सिंह दोनों राजपूत जाति से आते हैं. उनके बीजेपी में जाने की चर्चा और गरमा गयी जब 29 जुलाई को वो प्रधानमंत्री मोदी के एक प्रोग्राम में लखनऊ में मौजूद थे.
अमर सिंह के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं
इस इन्वेस्टमेंट से संबंधित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण के दौरान अमर सिंह का नाम लिया. दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हमेशा प्रधानमंत्री को बड़े कारोबारियों से रिश्ते होने के कारण टारगेट करते रहते हैं. वे हमेशा से प्रधानमंत्री पर ये आरोप लगाते आए हैं कि मोदी बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रहे हैं. हाल में राफेल डील को लेकर राहुल गांधी ने मोदी पर निशाना साधा था. लखनऊ में जब प्रधानमंत्री राजनीति और उद्योग जगत के रिश्तों पर बोल रहे थे, उसी दौरान उन्होंने कहा कि 'अमर सिंह बैठे हुए हैं. सारी हिस्ट्री निकाल देंगे.' प्रधानमंत्री मोदी असल में इस बात पर जोर दे रहे थे कि उद्योगपतियों को अपमानित करना गलत है, देश निर्माण में उनकी बहुत बड़ी भूमिका है.
अब सवाल ये उठता है कि बीजेपी, अमर सिंह को अपनी पार्टी में एंट्री देती है कि नहीं. हाल के दिनों में उन्होंने नरेंद्र मोदी और बीजेपी पार्टी के लिए कसीदे गढ़े हैं. अक्टूबर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव पर बोलते हुए उन्होंने कहा था कि अगर चुनाव में मौका मिला तो बीजेपी का प्रचार करुंगा. उन्होंने ये भी कहा था कि देश मे मोदी जी के टक्कर में कोई नेता नहीं है. दिसंबर 2017 में अमर सिंह ने कहा था कि मोदी न तो कोई चुनाव हारे हैं, और न ही अब कोई चुनाव हारेंगे. उन्हें हराने का दम देश के किसी नेता में नहीं है. जब मार्च 2018 में सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों के नेताओं को डिनर पार्टी दी थी उस समय अमर सिंह ने कहा था कि मोदी के खिलाफ एकजुट विपक्ष की संभावना नामुमकिन है.
बीजेपी के कुछ नेताओं से अमर सिंह के दोस्ताना सम्बन्ध हैं. सिंगापुर में जब अमर सिंह किडनी ट्रांसप्लांट करवाने गये थे और वहां के अस्पताल में भर्ती थे तो उन्हें देखने के लिए अरुण जेटली गये थे. अमर सिंह जोड़-तोड़ की राजनीति के माहिर हैं और उन्होंने अपने प्रबंध कौशल का नमूना तब दिया था जब यूपीए-1 की सरकार, लेफ्ट द्वारा समर्थन वापस ले लिये जाने के बाद अल्पमत में आ गयी थी और तब मनमोहन सिंह के लिए उन्होंने बहुमत जुटाया था. हाल के दिनों में उनकी पोलिटिकल वैल्यू काफी कम हो गयी है. उन्हें समाजवादी पार्टी से ही निकाल दिया गया जिसको उन्होंने कई साल तक सींचा था. इसके बावजूद उन्हें गोटी फिट करने में माहिर माना जाता है.
2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की पोजीशन काफी अच्छी नहीं लग रही है. उत्तर प्रदेश में तो उनकी स्थिति काफी खराब नजर आ रही है. अगर 2019 में केंद्र में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी को कुछ सीट कम पड़ जाएंगी तो अमर सिंह जैसे लोगों की जरुरत काफी बढ़ जाएगी क्योंकि वो जोड़-तोड़ में माहिर माने जाते हैं. अमर सिंह के बारे में ये कहा जाता है कि उनके सभी पोलिटिकल पार्टियों के नेताओं के साथ अच्छे सम्बन्ध हैं और ऐसे में उनकी महत्वता काफी रहेगी. कहा तो ये भी जाता है कि ठाकुर (राजपूत) जाति से आने के कारण अपने राज्य उत्तर प्रदेश में उनकी पकड़ राजपूतों में काफी अच्छी है.
अब सवाल ये उठता है कि बीजेपी उन्हें अपनी पार्टी में एंट्री क्यों देगी? अमर सिंह में न तो राजनीतिक धार बची है और न ही वो पोलिटिकल तौर पर अब एक्टिव नेता के श्रेणी में आएंगे. अमर सिंह को काफी कंट्रोवर्शियल नेता के रूप में जाना जाता है. वे किसी भी राजनेता के खिलाफ अनाप-शनाप बोलने में माहिर हैं. वे जिनके साथ संपर्क में रहे, जैसे- मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, अमिताभ बच्चन. जया बच्चन आदि सभी के खिलाफ अनर्गल बयान दिए हैं. ऐसे में उनसे राजनीतिक दूरी रखना ही बीजेपी के लिए समझदारी होगी. अब देखना है कि आने वाले दिनों में अमर सिंह का बीजेपी में एंट्री देखने का ख्वाब हकीकत में बदल पाता है या नहीं.
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