विधानसभा व लोकसभा उपचुनाव- कहीं खुशी कहीं गम
बैसाखी के पावन अवसर पर आम आदमी पार्टी को दो-दो झटके लग गए, एक तो सीट हारी, दूसरा पार्टी ऑफिस भी छिन गया.
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8 राज्यों की 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की गिनती हो गई है, रिजल्ट भी आ गए हैं. आशा के मुताबिक जिन राज्यों में जिस भी पार्टी की सरकार है वहां लगभग उनके ही पक्ष में जनमानस ने वोट किया. अपवाद अगर रहे तो दिल्ली, हिमाचल व राजस्थान, जहां से बीजेपी को एक नई संजीवनी मिल गई है.
कर्नाटक की दोनों सीटें कांग्रेस के पक्ष में गई हैं, वहीं पश्चिम बंगाल में ममता भी अपना गढ बचाने में सफल रही. राष्ट्रीय राजधानी के वोटर शायद आम आदमी पार्टी को अब पचाने की स्तिथि में नहीं हैं, कारण, जिन मुद्दों को लेकर वे राजनीति में आये थे उन्हें उन्होंने दरकिनार कर दिया. तो जनता ने भी अपने मत के जरिए उन्हें समझा दिया है. बैसाखी के पावन अवसर पर आम आदमी पार्टी को दो-दो झटके लग गए, एक तो सीट हारी, दूसरा पार्टी ऑफिस भी छिन गया.
आखिर क्या कारण रहे आम आदमी पार्टी की हार के
आम आदमी पार्टी जिन मुद्दों को लेकर जनता के बीच आई थी सत्ता पाते ही आम आदमी पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया. पिछले कुछ समय से आम आदमी पार्टी सवालों के घेरे में रही है. मसलन शुंगलू कमिटी की रिपोर्ट. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आप सरकार ने पिछले दो साल में सिर्फ अपनी मनमानी की. सरकार ने किसी भी मामले में एलजी की सहमति नहीं ली तथा किसी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं किया.
पार्टी के कई मंत्री व विधायक करप्शन में लिप्त पाए गए, सीधे पूर्व और वर्तमान गवर्नर से टक्कर भी उन्हें महंगी पड़ी. इसके अलावा चुनाव आयोग से सीधी टक्कर, करोड़ों रुपये के विज्ञापन व अंत में जरनैल सिंह को पंजाब भेजना.
तो जहां बीजेपी के लिए यह जीत निगम चुनावों से पहले संजीवनी का काम करेगी वहीं कांग्रेस को भी कुछ राहत की सांस मिलेगी, लेकिन आप के लिए कुछ भी ठीक ठाक नहीं लगता.
कहां किसे फायदा हुआ
बीजेपी को दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में तीन सीटों का फायदा हुआ.
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