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Updated: 12 मार्च, 2018 06:33 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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'गाय हमारी माता है, तो बैल हमारा क्‍या हुआ ?'

'अच्‍छा बछड़ा और सांड हमारा क्‍या हुआ ?

राज्‍यसभा में बीजेपी के सांसदों से ये सवाल समाजवादी पार्टी के सांसद सदस्‍य नरेश अग्रवाल ने आठ महीने पहले ही पूछा था. वे राज्‍य सभा की एक बहस में हिस्‍सा लेते हुए भाषण दे रहे थे. गौरक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा को लेकर हुई बहस में नरेश अग्रवाल ये भी कह गए थे कि 'विस्की में विष्णु बसें, रम में श्रीराम, जिन में माता जानकी और ठर्रे में हनुमान, बोलो रामचंद्र की जय'. बीजेपी सांसदों ने नरेश अग्रवाल की इस शर्मनाक टिप्‍पणी पर तब तो खूब बवाल मचाया. इसे हिंदुओं की आस्‍था पर हमला करार दिया.

लेकिन, 19 जुलाई 2017 को यह विवादित भाषण देने वाले नरेश अग्रवाल अब आठ महीने बाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं. आखिर ऐसा क्‍या गजब हो गया. जिस पार्टी पर नरेश अग्रवाल गोरक्षा के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाते थे, उनके लिए वही पार्टी बेदाग कैसे हो गई ? और हिंदुओं की भावनाओं के प्रति अति-संवेदनशील रहने वाली भाजपा के लिए नरेश अग्रवाल पवित्र कैसे हो गए ?

19 जुलाई 2017 को नरेश अग्रवाल का राज्‍यसभा में विवादित भाषण :

नरेश अग्रवाल, सपा, भाजपा, अखिलेश यादव    उत्तरप्रदेश की राजनीति में नरेश अग्रवाल ऐसे नेता हैं जिनपर भरोसा नहीं किया जा सकता

नरेश अग्रवाल का बैकग्राउंड :

बात आगे बढ़ाने से पहले हमें नरेश अग्रवाल के विषय में जान लेना चाहिए. उत्तर प्रदेश के हरदोई से सात बार विधायक चुने गए नरेश अग्रवाल को सियासी जमीन अपने पिता की बदौलत मिली. इनके पिता एससी अग्रवाल कांग्रेस से सांसद थे. नरेश अग्रवाल की पहचान एक अवसरवादी नेता के रूप में बन गई है. वे पूर्व में बसपा, भाजपा, कांग्रेस, सपा और अब पुनः भाजपा में आए हैं.

नरेश के भाजपा जाने से अखिलेश को कितना नुकसान होगा.

2019 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सियासी घमासान मचा हुआ है. बसपा, सपा, भाजपा, कांग्रेस सभी पार्टियां इसी फ़िराक में है कि वो कुछ ऐसा कर दें ताकि लोकसभा चुनावों का गणित पेचीदा बना रहे. और ये शायद लोकसभा चुनावों को पेचीदा बनाने की कवायद ही है जिसके चलते सपा की आंखों के तारे नरेश अग्रवाल ने भाजपा ज्वाइन कर ली है. लोगों का तर्क है कि एक ऐसे वक़्त में जब समाजवादी पार्टी सूबे में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, नरेश अग्रवाल का उनका साथ छोड़ना उन्हें बुरी तरह प्रभावित करेगा. नरेश का भाजपा जाना अखिलेश के लिए एक बड़ा नुकसान है मगर जब इस कथन को और नरेश अग्रवाल के इतिहास को देखें तो मिलता है कि इनके पास ऐसा कुछ नहीं है जिसपर अखिलेश बड़ा दाव खेल सकें. अब चूंकि ये सपा छोड़ चुके हैं तो अखिलेश समर्थकों का तर्क है कि ऐसे ही धीरे-धीरे दूषित हुई पार्टी अपने आप ही साफ होगी.

नितिन अग्रवाल पर रहेगी सबकी नजर

नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल सपा से विधायक हैं देखना दिलचस्प होगा कि लोक सभा चुनावों में वोटिंग के वक़्त वो पिता नरेश अग्रवाल का साथ देते हैं या फिर पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव का.

क्या थी नरेश की नाराजगी की वजह

नरेश अग्रवाल सपा सप्रीमो अखिलेश यादव से राज्यसभा सीट पर उनकी जगह जया बच्चन को टिकट देने से नाराज थे. नरेश के अनुसार वो राज्यसभा में सबसे ज्यादा मुखर रहे हैं और उन्होंने हमेशा ही पार्टी हित का ध्यान दिया मगर इन सारी बातों के बावजूद जिस तरह पार्टी ने उनसे किनाराकशी की और जया बच्चन को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया वो आहत करने वाला था.      

अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि पूर्व में अखिलेश यादव को खुश करने के लिए नरेश लगातार हिन्दू विरोधी बयान देते आए हैं और उन्होंने बीजेपी से तीखे प्रहार सहे हैं. ऐसे में उनका सपा छोड़ना और बीजेपी में जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि इससे उन्हें तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा मगर सारे देश के सामने बीजेपी की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगेगा. ऐसे में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि आखिर वो कौन सा मन्त्र है जिसको मारकर बीजेपी इनकी शुद्धि करेगी ताकि इनके कारण बीजेपी दुनिया के सामने हंसी का पात्र न बने. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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