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Updated: 14 सितम्बर, 2022 08:25 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की ऑटो-पॉलिटिक्स अक्सर चल ही पड़ती है. हालांकि, जीत की गारंटी नहीं होती - भले ही वो चुनावों के दौरान घूम घूम कर गारंटी क्यों न देते फिरें. दिल्ली में तो पहली पारी में ही वो चमत्कार देख चुके थे, लिहाजा गुजरात में भी उसी स्टाइल में धावा बोल दिया है. अंदाज भी करीब करीब वैसा ही है, जैसे 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऑटोरिक्शा के पीछे पोस्टर लगाये गये थे - अब चलेगी झाडू.

तब अरविंद केजरीवाल के निशाने पर कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित रहीं, अभी बीजेपी के सीएम भूपेंद्र पटेल हैं. अब शीला दीक्षित की तरफ चुनाव मैदान में खुद तो उतर नहीं सकते क्योंकि अब तो अरविंद केजरीवाल गुजरात से ही आने वाले प्रधानमंत्री मोदी को 2024 के लिए सीधे चैलेंज करने लगे हैं. वैसे दस साल पहले 2014 में तो वो वाराणसी लोक सभा सीट पर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव तो लड़ ही चुके हैं.

गुजरात विधानसभा (Gujarat Eletion 2022) चुनाव 2022 में भी अरविंद केजरीवाल के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी तो रहेंगे ही, लेकिन लगता है पहला अटैक आम आदमी पार्टी ने अमित शाह (Amit Shah) के चुनाव क्षेत्र पर किया है. लालकृष्ण आडवाणी की विरासत संभालने वाले अमित शाह के गांधीनगर इलाके से ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी आते हैं - भूपेंद्र पटेल भी गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी की विरासत संभालने वाली आनंदीबेन पटेल के चुनाव क्षेत्र रहे घाटलोडिया की विरासत संभाल रहे हैं. आनंदीबेन पटेल फिलहाल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं और समझा जाता है कि उनकी सिफारिश ही 2021 में भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाये जाने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी के टेबल पर आखिरी मुहर रही.

खास बात ये है कि अरविंद केजरीवाल ने डिनर के लिए 13 दिसंबर की तारीख को भी ध्यान में रखा. भूपेंद्र पटेल अपने कुर्सी पर बैठने की सालगिरह मनाने की तैयारी कर रहे होंगे और ठीक पहले पूर्व संध्या पर ही अरविंद केजरीवाल ने इलाके में जा पहुंचे. अरविंद केजरीवाल के डिनर के लिए जो ऑटोवाला खोजा गया वो भूपेंद्र पटेल और अमित शाह के क्रमशः विधानसभा क्षेत्र और लोक सभा क्षेत्र के केके नगर में ही रहता है - और ये भी दिलचस्प है कि उसका अपना दिल्ली कनेक्शन भी है.

अब तो भूपेंद्र पटेल के सालगिरह के जश्न में खलल डालने के साथ ही अरविंद केजरीवाल अपने हिसाब से सीधे अमित शाह को चैलेंज कर चुके हैं - वो और उनकी टीम वहीं से गुजरात के ऑटोवालों को गोलबंद कर अपने सपोर्ट में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं.

ये सारा खेल करने के साथ साथ अरविंद केजरीवाल गुजरात की बीजेपी सरकार के भ्रष्ट होने के दावे के साथ सबको जेल भेजने की भी बातें करने लगे हैं. ये बात अलग है कि अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक विरोधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है. जिस तेज रफ्तार से वो अपने विरोधियों पर भ्रष्टाचार के इल्जाम लगाते हैं, करीब करीब उसी स्पीड में वो माफी भी मांग लेते हैं. फजीहत भी ऐसे होती है कि अरविंद केजरीवाल सड़क पर इल्जाम लगाते हैं और जब मुकदमा होता है तो कोर्ट में माफीनामा दाखिल कर देते हैं.

ऐसे आरोपों वाले बयानों के मामले में पहले से ज्यादा स्मार्ट हो चुके अरविंद केजरीवाल अब पहले की तरह नाम लेकर आरोप नहीं लगाते, जिसमें अपने शिकार के कानूनी रास्ते हावी हो जाने की आशंका रहती है. आपराधिक मानहानि के मामलों से निबटना भी अब उनको अच्छी तरह समझ में आ चुका है. जिसके मुकदमे राम जेठमलानी जैसा वकील लड़ चुका हो, वो आगे से आग में हाथ डालने से परहेज तो करेगा ही.

अभी तक तो ये लग रहा था कि अरविंद केजरीवाल गुजरात में ऐसे इलाकों पर फोकस कर रहे हैं, जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. मतलब, अपनी राजनीतिक रणनीति के तहत कांग्रेस की जगह लेने की मंशा और उस पर शिद्दत से अमल करने की कोशिश - लेकिन घाटलोडिया और गांधी नगर में घुसपैठ तो अलग ही इशारे करता है.

तो क्या अरविंद केजरीवाल ने अपनी स्ट्रैटेजी बदल ली है या फिर गुजरात के खिलाफ ये हमलावर रुख दिल्ली में सरवाइवल से जुड़ी नयी रणनीति है?

अमित शाह और भूपेंद्र पटेल पर एक साथ निशाना

अरविंद केजरीवाल के गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के इलाके में रहने वाले ऑटोवाले के यहां डिनर को लेकर सबके मन में सवाल है. जब तक जवाब नहीं मिलता ये सवाल बना ही रहेगा - लेकिन अरविंद केजरीवाल के पास इस सवाल का जवाब नहीं है.

arvind kejriwal, bhupendra patel, amit shahअरविंद केजरीवाल गुजरात में अमित शाह को घेरने की कोशिश चुनाव जीतने के लिए कर रहे हैं, या दिल्ली में चीजों को बैलेंस करने के मकसद से?

मीडिया तो वही सवाल पूछता है जो लोगों के मन में होता है - घाटलोडिया की देवीपूजक दंताणी नगर में ऑटोवाले का घर डिनर के लिए क्यों चुना?

ऐसा लगता है जैसे अरविंद केजरीवाल पहले ही समझ चुके थे कि ये सवाल तो बनेगा ही और ये भी फैसला कर चुके थे कि जवाब नहीं देना है टाल देना है, किसी न किसी बहाने से. सवाल सुनते ही अरविंद केजरीवाल ने हाथ जोड़ लिया और बोले - 'खाना बहुत स्वादिष्ट था.'

ऑटोवाले का दिल्ली कनेक्शन: डिनर के बाद अरविंद केजरीवाल ने मीडिया को बताया कि दंताणी के परिवार को अपने अगर आने का न्योता भी दिये हैं. ऑटोचालक विक्रम दंताणी की दो साल पहले ही दिल्ली की रहने वाली निशा के साथ शादी हुई है और उनकी एक बेटी भी है. निशा का मायका पश्चिम दिल्ली के टैगोर गार्डन इलाके के रघुवीर नगर में है - और दोनों ही देवीपूजक समुदाय से आते हैं.

दंताणी के यहां डिनर पर जाने की बात भी अरविंद केजरीवाल ने ऑटो चालक यूनियन के सदस्यों के साथ एक मीटिंग में बतायी थी. विक्रम दंताणी जिस यूनियन के सदस्य हैं, उसके चार से पांच हजार ऑटो चालक सदस्य हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद में करीब 20 हजार ऑटो चालक हैं. विक्रम दंताणी का दावा है कि अरविंद केजरीवाल के लिए बुलायी गयी मीटिंग में उनकी यूनियन के लगभग सभी सदस्य मौजूद थे.

इंडियन एक्सप्रेस के सवाल पर विक्रम दंताणी का कहना रहा, 'कोई भी मुख्यमंत्री या मंत्री कभी भी उनके घर नहीं आया और न ही उनके समाज के लोगों के साथ खाना खाया. ये गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का चुनाव क्षेत्र है, लेकिन वो भी इतने साल में कभी हमारे यहां नहीं आये.'

लॉकडाउन का दर्द भुलाये नहीं भूल पा रहे: पहले आनंदीबेन पटेल और उसके बाद भूपेंद्र पटेल दोनों ही भारी अंतर से चुनाव जीतते आ रहे हैं - और दंताणी, उनका परिवार और उनके समुदाय के लोग सभी अब तक बीजेपी को ही वोट देते आये हैं. हालांकि, अगले चुनाव में किसे वोट देंगे नहीं बताते. कहते हैं, हमारी समस्याएं बहुत हैं लेकिन ये देखना होगा कि सरकार वादे पूरी करती है या नहीं. कहते हैं, अगर हमारे जैसे ऑटो चालकों के लिए कोई स्कीम लेकर आता है, तभी हम देखेंगे.

विक्रम दंताणी और उनका परिवार अभी सुर्खियों में छाया हुआ है. विक्रम दंताणी के ऑटो से जब अरविंद केजरीवाल जा रहे थे, उस पर आम आदमी पार्टी के दो झंडे भी लगे हुए थे और रास्ते में पुलिस के रोकने पर अरविंद केजरीवाल ने काफी बवाल भी किया था.

मीडिया से बातचीत में विक्रम दंताणी के मन की बात जबान पर आ जाती है. वो बताते हैं कि बरसों से वो लोग बीजेपी को वोट देते आ रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन और कोविड संकट के दौरान जो मुसीबत झेलनी पड़ी वो नही भूलने वाली है. बताते हैं, तब न कोई आमदनी थी न कहीं से कोई मदद ही मिली. न तो इलाके के विधायक, से न सरकार से. इलाके के विधायक मतलब मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल. विक्रम दंताणी के अनुसार, सिर्फ एक बार उनको 5 किलो गेहूं, एक किलो दाल और एक लीटर तेल मिला था - लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं मिला.

कोविड और लॉकडाउन के दौरान गुजरात और उत्तर प्रदेश दोनों ही जगह लोगों को काफी मुश्किलें हुईं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का असर ये हुआ कि यूपी चुनाव अभियान की शुरुआत में भी एक बार योगी आदित्यनाथ के काम को बेहतरीन बता दिया तो फिर किसी ने पूछा भी नहीं.

न ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ही कोविड के दौरान यूपी की बीजेपी सरकार के खिलाफ मजबूती से सवाल खड़ा कर सकीं. शायद दूसरे मुद्दों में उलझ जाने की वजह से भी ऐसा हुआ हो - लेकिन अरविंद केजरीवाल लगता है गुजरात में बीजेपी की कमजोर नस पकड़ चुके हैं. देखना चुनाव की तारीख आने तक ये पकड़ ढीली तो नहीं पड़ जाएगी?

दिल्ली में एक ऑटोवाले के थप्पड़ से गुजरात में डिनर तक ऑटोवालों से अरविंद केजरीवाल का रिश्ता अच्छा रहा है. 2014 के आम चुनाव के दौरान दिल्ली के सुल्तानपुरी में लाली प्रसाद नाम के एक ऑटोवाले ने अरविंद केजरीवाल को थप्पड़ जड़ दिया था. बाद में जब अरविंद केजरीवाल उसके घर मिलने गये तो उसने माफी मांग ली थी. तब ऑटोवाले का कहना था कि वो आम आदमी पार्टी का सपोर्टर था, लेकिन 49 दिन बाद ही मुख्यमंत्री पद से केजरीवाल के इस्तीफे की वजह से नाराज था. 2013 में अरविंद केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे और उसमें दिल्ली के ऑटोवालों का खासा योगदान रहा.

भ्रष्टाचार को भ्रष्टाचार काटता है क्या?

जिस गुजरात मॉडल के जरिये 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी को दिल्ली की सत्ता पर कब्जा दिला दिये, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उसी का माखौल उड़ाते हुए गुजरात पहुंचे हैं - और सत्ता में आने पर गुजरात से भ्रष्टाचार खत्म करने की गारंटी दे रहे हैं. ये ऐसे वक्त हो रहा है जब दिल्ली के केजरीवाल सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया के बाद कैलाश गहलोत के खिलाफ भी जांच शुरू हो चुकी है.

गुजरात में केजरीवाल की गारंटी: पंजाब में सरकार बनने के बाद अरविंद केजरीवाल गुजरात के साथ साथ हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भी चुनावी रैलियां करने लगे हैं. सभी जगह अरविंद केजरीवाल पंजाब की ही तरह कुछ ही दिनों में भ्रष्टाचार खत्म कर देने और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार से देश की सबसे ईमानदार सरकार का सर्टिफिकेट मिलने का भी दावा करते रहे हैं - खैर, अब तक AAP नेताओं ने एक नया विशेषण भी जोड़ लिया है - कट्टर ईमानदार!

गुजरात में परिवर्तन का नारा दे चुके अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार खत्म करने के साथ ही दोषियों को जेल भेजने की भी गारंटी दे रहे हैं - गुजरात की जनता को गारंटी देते हुए अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं -

1. 'मुख्यमंत्री , मंत्री, विधायक हो या अफसर, किसी को भ्रष्टाचार नहीं करने देंगे' - गुजरात के लोग चाहें तो पंजाब से आने वाली खबरों पर गौर फरमा सकते हैं.

2. 'गुजरात का एक-एक पैसा लोगों पर खर्च होगा' - ये तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन दिल्ली में तो कांग्रेस और बीजेपी का आरोप रहा है कि अरविंद केजरीवाल बहुत सारा पैसा विज्ञापनों पर ही खर्च कर देते हैं.

3. सरकारी काम के लिए किसी को रिश्वत नहीं देनी होगी - ये भी अच्छी बात है, लेकिन जब तक सत्येंद्र जैन अपने ऊपर लगे आरोपों से अदालत से बरी होकर बेदाग नहीं निकलते भला कोई कैसे मान ले? ऐसे ही मामले दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और मंत्री कैलाश गहलोत को भी कठघरे में खड़ा कर चुके हैं.

4. 'सभी नेताओं के काले धंधे बंद करेंगे' - भला इससे अच्छी बात क्या होगी, लेकिन अरविंद केजरीवाल का ट्रैक रिकॉर्ड तो यही रहा है कि जब उनका कोई आदमी अरेस्ट होकर जेल नहीं चला जाता तब तक उस पर लगे भ्रष्टाचार के सारे आरोपों को धोते ही रहते हैं.

5. 'पेपर लीक करने वालों को जेल भेजेंगे' - बड़ी ही खुशी की बात है, लेकिन पहले गुजरात में सत्ता परिवर्तन तो हो. अरविंद केजरीवाल ये न भूलें कि बीजेपी के साथ तो वो दो-दो हाथ कर ही रहे हैं, कांग्रेस भी जहां भी जितने में भी है, छोड़ नहीं रही है.

24 घंटे बिजली का वादा: पहले की चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी देश के कई हिस्सों में जाकर ये कह कर भी मजाक उड़ाते रहे कि 'वहां बिजली जाती नहीं... बल्कि बिजली आती है... कभी कभी और लोग इसी बात की खुशी मनाते हैं कि बिजली आती है.

अब अरविंद केजरीवाल गुजरात मॉडल की बिजली सप्लाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ट्विटर पर लिखते हैं, 'गुजरात में 27 साल शासन करने के बाद 24 घंटे बिजली तक नहीं दे पाये? तो फिर लोग आपको और 5 साल क्यों दें? दिल्ली में हमने 5 साल में ही 24 घंटे बिजली कर दी.'

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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