Arvind Kejriwal ने अमित शाह को क्या अपना राजनीतिक गुरु मान लिया है!
अरविंद केजरीवाल (Arving Kejriwal) के नये राजनीतिक रंग ढंग तो दूसरी पारी की शुरुआत से ही नजर आ रहे हैं. दिल्ली में कोरोना वायरस (Coronavirus in Delhi) को लेकर केजरीवाल जिस हिसाब से अमित शाह (Amit Shah) की तारीफ कर रहे हैं, लगता है जल्द ही उनको वो अपना राजनीतिक गुरु घोषित कर देंगे.
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अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) केंद्र सरकार के साथ सीधे टकराव का रास्ता तो विधानसभा चुनाव के पहले ही छोड़ चुके थे. चुनावों के दौरान भी हर कदम पर वो या तो टकराव वाले वाकये नजरअंदाज करते गये या रास्ते बदल कर आगे बढ़ते गये - और केंद्र सरकार के बड़े बड़े नेताओं के मुकाबले धीरे धीरे आगे बढ़ कर जीत भी हासिल कर ली.
अब ये अचानक हृदय परिवर्तन हुआ है या फिर किसी तरीके से आत्मज्ञान की वजह से अरविंद केजरीवाल तो लगता है जैसे अमित शाह (Amit Shah) के जबरदस्त फैन हो चुके हैं. मालूम नहीं तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अमित शाह के साथ केजरीवाल की वो कैसी मुलाकात रही कि केंद्रीय गृह मंत्री के गुणगान करते नहीं थक रहे हैं.
दिल्ली में कोरोना (Coronavirus in Delhi) को कंट्रोल करने को लेकर केजरीवाल ने जो बयान दिया है, उससे तो ये भी लगने लगा है कि अचानक किसी दिन अरविंद केजरीवाल ऐसी कोई घोषणा न कर डालें कि अब तक राजनीति में जो कुछ भी वो सीखे, वे सब अमित शाह से ही सीख पाये हैं!
हाथ पकड़कर चलना क्यों सीखने लगे केजरीवाल?
राजनीति में किसी के किसी का हाथ पकड़ने का क्या मतलब होता है?
राजनीति में ऐसा कौन होता है जो किसी का हाथ पकड़ कर उसे कोई चीज सिखाये - और वो कौन होता है जो एक मुकाम हासिल कर लेने के बावजूद किसी उंचे ओहदे वाले से उसका हाथ पकड़ कर सीखने की कोशिश करे?
कोरोना वायरस से दिल्ली में जंग को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक बयान से ऐसे तमाम सवाल उठ खड़े हुए हैं. अरविंद केजरीवाल ने ये बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिल कर कोरोना पर काबू पाने की कोशिशों के अनुभव के आधार पर एक वीडियो कांफ्रेंस में कहा है.
हाथ पकड़ कर तो कोई उस्ताद ही किसी खास शिष्य को कोई चीज सिखाता है - और राजनीति में तो ये सब दुर्लभ ही माना जाता है. राजनीति में ऐसे तमाम उदाहरण देखने को मिलते हैं. ज्यादा दिन नहीं हुए, 2019 के आम चुनाव में ही बीजेपी के नितिन गडकरी महाराष्ट्र में और कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड्गे कर्नाटक में ऐसी ही स्थिति में चैलेंज महसूस कर रहे थे. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने तो साबित कर दिया कि गुरु हमेशा गुरु ही होता है और चेले को सब कुछ नहीं सिखा देता, लेकिन मल्लकार्जुन खड्गे तो पूरी तरह चूक ही गये. बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल के अघोषित प्रभारी लालकृष्ण आडवाणी के लिए तो ये ताउम्र यक्ष प्रश्न बना रहेगा.
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में कोरोना से जंग में केंद्र सरकार की तरफ से मिल रहे सहयोग का कई तरीके से आभार जताया और यहां तक बोल गये - "कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केंद्र ने हमें हाथ पकड़कर चलना सिखाया है."
कोरोना के खिलाफ जंग में @ArvindKejriwal सरकार ने अपनाए हैं 5 अहम हथियार -
- बेडों की बढ़ाई संख्या- अधिक टेस्टिंग/आइसोलेशन- होम आइसोलेशन वाले मरीजों को ऑक्सीमीटर- प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल- सर्वे और स्क्रीनिंग पर ध्यान pic.twitter.com/SCV8ntvsWX
— AAP (@AamAadmiParty) June 27, 2020
दिल्ली सरकार के हर दावे को खारिज कर रहे हैं शाह
वैसी स्थिति को क्या कहें जब को कट्टर विरोधी साथ देखे जायें और दोनों में से एक हद से ज्यादा झुका हुआ नजर आये और दूसरे पर कोई फर्क ही न देखने को मिले - क्योंकि अभी तक अमित शाह के रुख में अरविंद केजरीवाल को लेकर कोई तब्दीली न तो दिखी है और न ही ऐसा कोई संकेत मिला है.
कोविड केयर सेंटर में इंतजामों का जायजा लेते अमित शाह और अरविंद केजरीवाल
अमित शाह ने दिल्ली सरकार के साथ किसी तरह के टकराव से तो इंकार किया है, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगी डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के हर दावे को अमित शाह एक एक करके खारिज करते जा रहे हैं.
अब तो अमित शाह ने भी कम्यूनिटी ट्रांसमिशन जैसी मनीष सिसोदिया और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की आशंकाओं को खारिज कर दिया है. ICMR के महानिदेशक बलराम भार्गव ने तो सत्येंद्र जैन की आशंका को पहले ही खारिज कर दिया था. मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने दिल्ली में कोरोना वायरस के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की आशंका जतायी थी, लेकिन ये भी कहा था कि केंद्र सरकार की ही बात आखिरी मानी जाएगी क्योंकि प्रोटोकॉल यही कहता है.
अमित शाह का कहना है - 'आज की तारीख में दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति नहीं है. चिंता करने की कोई बात नहीं है... कोरोना से निपटने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एमसीडी तीनों मिलकर काम कर रही हैं.'
मनीष सिसोदिया ने हाल ही में आशंका जतायी थी कि दिल्ली में ही कोरोना वायरस के मामले इतने हो सकते हैं जितने कि अभी पूरे देश में हैं, लेकिन अमित शाह ने आप नेता के इस दावे को भी गलत बता दिया है.
अमित शाह कहते हैं, 'दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि दिल्ली में 31 जुलाई तक कोरोना के साढ़े पांच लाख मामले हो जाएंगे - और उनके पास व्यवस्था की कमी है. इससे स्थिति थोड़ी पैनिक हो गई थी, लेकिन मुझे भरोसा है कि अब ये स्थिति नहीं आएगी क्योंकि कोरोना होने से पहले हमने उसे रोकने के उपायों पर जोर दिया है.'
#WATCH After Manish Sisodia’s statement (of 5.5 lakh cases by July-end), PM also asked me, Home Ministry, to help Delhi Govt. Soon after, a coordination meeting was called and a number of decisions, including testing of all individuals in containment zones, were taken: Amit Shah pic.twitter.com/V02XBgciRE
— ANI (@ANI) June 28, 2020
हाल ही में अमित शाह ने अरविंद केजरीवाल को भी ट्विटर पर ही डपट दिया था. अरविंद केजरीवाल ने अमित शाह को छत्तरपुर के कोविड केयर सेंटर का दौरा करने का न्योता अपने तरीके से देने के कोशिश कर रहे थे, जिसमें वो एक तरीके से कोविड केयर सेंटर क्रा केडिट लेने की भी कोशिश कर रहे थे. जैसे ही गृह मंत्री को केजरीवाल की मंशा समझ में आयी, अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा - 'प्रिय केजरीवाल जी, तीन दिन पहले हमारी बैठक में इस पर फैसला लिया जा चुका है और गृह मंत्रालय ने दिल्ली के राधा स्वामी सत्संग में 10 हजार बिस्तर वाले कोविड केयर सेंटर के संचालन का काम ITBP को सौंप दिया है. काम तेजी से जारी है और एक बड़ा हिस्सा 26 जून तक शुरू हो जाएगा.'
बाद में अमित शाह और अरविंद केजरीवाल दोनों साथ ही साथ कोविड केयर सेंटर को देखने गये. 26 जून से कोविड केयर सेंटर शुरू भी हो चुका है. गृह मंत्रालय ने कोविड केयर सेंटर के संचालन का जिम्मा ITBP के विशेषज्ञों को सौंपा हुआ है.
जून की शुरुआत में अरविंद केजरीवाल और उनके साथी कोरोना वायरस को रोक पाने में नाकाम रहने और तमाम बदइंतजामी को लेकर निशाने पर रहे. हालत ये हो चुकी थी कि न तो लोगों की कोरोना वायरस को लेकर जांच हो पा रही थी और न ही अस्पतालों में एडमिशन. ऐसे कई मामले आये जिसमें लोगों की शिकायत रही कि अस्पताल कोरोना पॉजिटिव लोगों को भर्ती ही नहीं कर रहे हैं. दिल्ली के ग्रेटर कैलाश के एक सीनियर सिटिजन की भी ऐसी ही बदइंतजामी की बदौलत मौत भी हो गयी. तब मरीज की बेटी के ट्वीट के वायरल होने पर खबर मीडिया की सुर्खियां बन गयी और अरविंद केजरीवाल दबाव महसूस करते हुए खामोश से हो गये थे.
तभी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में कोरोना की हालत पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई और डॉक्टर विनोद पॉल के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई. अब तो केजरीवाल भी मानने लगे हैं कि दिल्ली में कोरोना वायरस को लेकर लोगों के बीच कैसी अफरातफरी मची हुई थी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल अब स्वीकार कर रहे हैं, 'लोग बेड के लिए यहां-वहां भाग रहे थे... रात-रात भर मेरे पास परेशान लोगों के फोन आते थे और मैंने रात-रात भर जाग कर लोगों के लिए अस्पतालों में बेड की व्यवस्था कराई... अब दिल्ली में हालात बेहतर हैं अभी दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना रोगियों के लिए 13 हजार 500 बेड उपलब्ध हैं इनमें से केवल 6000 बेड अभी तक भरे हैं 7500 बेड अभी भी खाली हैं.'
हाल में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की असहमित इस बात पर सामने आयी थी कि कोरोना पॉजिटिव पाये जाने की सूरत में मरीज को होम आइसोलेशन में रखा जाये या संस्थागत आइसोलेशन में, लेकिन एक-दो पत्र लिखे जाने और ट्विटर पर थोड़ी बहुत बयानबाजी के बाद ये मामला भी दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल के स्तर पर ही निबट गया. उप राज्यपाल ने अरविंद केजरीवाल का वो फैसला जरूर पलट दिया था जिसमें मुख्यमंत्री दिल्ली के अस्पतालों में बाहरी मरीजों के इलाज पर पाबंदी लगा दी थी.
केंद्र सरकार का हाथ पकड़ कर सीखने वाले अरविंद केजरीवाल के इकबालिया बयान के बाद कांग्रेस ने AAP सरकार पर हमला बोला है. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी का कहना है कि भले ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब कोरोना से लड़ने के लिए 5 हथियारों का दावा कर रहे हों, लेकिन पिछला तीन महीना वो बर्बाद कर चुके हैं. अनिल चौधरी ने तंज कसते हुए कहा है कि अगर पहले ही वो अपने होम आइसोलेशन से बाहर आ गये होते तो दिल्ली में कोरोना वायरस इस हद तक कहर नहीं मचा पाता. अनिल चौधरी के कहने का आशय राजनीतिक लगता है क्योंकि डॉक्टरों की सलाह पर अरविंद केजरीवाल दो-तीन दिन के लिए ही होम आइसोलेशन में रहे थे और जब कोरोना वायरस टेस्ट का रिजल्ट निगेटिव आ गया तो काम में फिर से जुट गये थे.
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