2019 चुनाव में तीसरा मोर्चा न हुआ तो विकल्प बेल-गाड़ी या जेल-गाड़ी
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष को बेल-गाड़ी कहा है. यानी जमानत पर छूटे नेताओं वाला कुनबा. इसी के पलटवार में कांग्रेस भाजपा के लिए जेल-गाड़ी का जुमला लाई है. इन जुमलों के बीच तीसरे मोर्चे की संभावनाएं समझिये :
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2019 के लिए तीसरे मोर्चे की तैयारी तो जबरदस्त है, लेकिन रफ्तार बैलगाड़ी से आगे बढ़ ही नहीं पा रही है. अब तो ऐसा लगने लगा है 'अबकी बार, बेल-गाड़ी या जेल-गाड़ी' में से ही कोई एक बतौर विकल्प चुनावों में लोगों के सामने होगा.
तीसरे मोर्चे वाले कुनबे में इन दिनों एक नये प्रोजेक्ट पर 'अघोषित सहमति' के साथ काम चल रहा है, जिसके लिए लिखित तो नहीं, हां पुकार का एक नाम जरूर मिला है - 'एंटी-पोचिंग एग्रीमेंट'. वरना शरद पवार ने तो तीसरे मोर्चे को अव्यावहारिक बताकर साथी नेताओं को तो हताश कर ही दिया था. ये पवार ही हैं जिन्होंने ममता बनर्जी को दिल्ली बुलाकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नींद हराम कर दी थी.
राजस्थान में जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के खिलाफ चार्जशीट पेश की - 'बेल-गाड़ी', फौरी पलटवार में कांग्रेस ने बीजेपी को 'जेल-गाड़ी' करार दिया. अब अगर तीसरा मोर्चा अस्तित्व में नहीं आता, फिर तो बेल-गाड़ी और जेल-गाड़ी में से किसी एक को लोगों को चुनना पड़ेगा.
'बेल-गाड़ी'
राजस्थान में सरकारी स्कीम के लाभार्थियों से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी पूरे चुनावी जोश में नजर आये. जयपुर के ‘अमरूदों का बाग’ में लोगों से मुखातिब मोदी चेहरे पर भरपूर चुनावी भाव दिखा. ‘वन रैंक वन पेंशन’ जैसी अपनी सरकार की तमाम उपलब्धियां भी बतायीं और सेना की क्षमता पर सवाल उठाने के लिए विरोधियों को जी भर खरी खोटी भी सुनायी. उसके बाद कांग्रेस पर फोकस हो गये. वैसे भी राजस्थान के उपचुनाव जीत कर कांग्रेस पहले ही टेंशन दे चुकी है.
अलीमुद्दीन की हत्या के आरोपियों के साथ जयंत सिन्हा
जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी मुद्दे की बात पर आ गये. बताया - लोग कांग्रेस को इन दिनों 'बेल-गाड़ी' के नाम से पुकारने लगे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस के कई दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री जमानत पर बाहर हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने ये बात तब कही जब 24 घंटे पहले ही कांग्रेस नेता शशि थरूर की नियमित जमानत मंजूर हुई थी. सुनंदा पुष्कर केस में पुलिस की चार्जशीट में नाम आने के बाद शशि थरूर ने कोर्ट से जमानत की दरख्वास्त की थी. थरूर के लिए पहले भी मोदी की टिप्पणी काफी चर्चित रही है - 'भाइयों और बहनों, 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड देखी है कहीं!'
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान में भी प्रधानमंत्री मोदी ने तब के सीएम वीरभद्र सिंह सहित सोनिया और राहुल गांधी को भी साथ में लपेटते हुए मोदी 'जेल जाने वालों की सरकार' बताया करते रहे. मोदी का इशारा नेशनल हेरल्ड केस में सोनिया गांधी की जमानत की ओर रहा.
पुराने माल को ही नयी पैकेजिंग के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने 'बेल-गाड़ी' का लेबल लगाकर नये सिरे से लांच कर दिया है जिसके लपेटे में कांग्रेस नेतृत्व से लेकर कई नेता एक साथ आ जा रहे हैं.
जेल-गाड़ी
न्यूटन का तीसरा नियम फॉलो करते हुए कांग्रेस ने भी रिएक्ट करने में देर नहीं की. फौरन ही कांग्रेस नेता शकील अहमद का ट्वीट आ गया जिसमें उन्होंने बीजेपी को जेल-गाड़ी बता डाला. शकील यादव ने ये भी कहा कि बेल पर रहना जेल जाने से ज्यादा अच्छा है.
PM Modi called Congress “Bail Gaari” bcoz some Congress leaders are on Bail. By this logic he should call his own party BJP, “Jail Gaari”. At least two National Presidents of BJP, both past&present were in Jail by court’s order. “Bail” is always preferred than going to “Jail”.
— Shakeel Ahmad (@Ahmad_Shakeel) July 7, 2018
कांग्रेस प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने भी मोदी के बेल-गाड़ी कहने पर बीजेपी के लोगों को जेल भेजने की घोषणा कर डाली. जिस तरह बीजेपी पिछले चुनावों में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का नाम लेकर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करती रही, आरपीएन सिंह ने भी उसी अंदाज में अमित शाह के बेटे को टारगेट किया.
जेल-बेल के इस खेल में आगे कौन, पीछे कौन?
सिंह का दावा ये भी रहा - 'इस सरकार के कई मंत्रियों के बारे में हमने भ्रष्टाचार का खुलासा किया. किसी के खिलाफ भी प्रधानमंत्री ने जांच तक नहीं कराई.’ सिंह ने डंके की चोट पर चुनावी अंदाज में ही कहा - ‘‘जिस दिन हमारी सरकार आएगी भ्रष्टाचार के इन सभी मामलों की जांच कराई जाएगी... जो भ्रष्ट मिलेंगे वो बेल पर नहीं रहेंगे बल्कि जेल में होंगे.’’
बेल बनाम जेल गाड़ी
ये तो नहीं मालूम कि जेल और बेल की बहस में मुकाबला हुआ तो बीजेपी और कांग्रेस में से कौन जीतेगा और किसकी हार होगी या फिर मुकाबला बराबरी पर छूटेगा.
जेल और बेल के सवालों के घेरे में तो मोदी सरकार के दो-दो मौजूदा मंत्री भी आ रहे हैं. नवादा जेल जाकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का दंगे के आरोपियों से मिलना क्या और किसके लिए मैसेज है? केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा द्वारा घर बुलाकर मॉब लिंचिंग के आरोपियों को माला-फूल और मिठाई से स्वागत करने के पीछे क्या मकसद हो सकता है?
देखा जाये तो 'बेल बनाम जेल गाड़ी' पर शुरू हुई ये बहस बिलकुल हम्माम की तरह ही है जहां एक दूसरे को नीचे दिखाने की जितनी भी कोशिश हो, हकीकत तो यही है कि किसी ने भी रेनकोट नहीं पहन रखी है. जी हां, वही रेन कोट जिसके बारे में खुद प्रधानमंत्री मोदी ने ही बताया था. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेदाग छवि की तारीफ में कसीदे पढ़ते हुए.
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