Bihar COVID-19 पर अमित शाह का नीतीश की मदद में आगे आना चुनावी तैयारी भी है
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बिहार में भी कोरोना वायरस पर काबू पाने का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया है - ये नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के लिए मददगार तो है ही, बिहार चुनाव (Bihar Election 2020) की तैयारियों का हिस्सा भी है.
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बिहार विधानसभा का चुनाव समय पर ही होंगे - ये पक्का तो उसी दिन हो गया था जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने डिजिटल रैली की थी. अब ये और पक्का इसलिए भी हो गया है क्योंकि सिर्फ बीजेपी और जेडीयू ही नहीं, एनडीए पार्टनर LJP और विपक्षी दल आरजेडी भी इसके लिए राजी है.
असल में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते ही बिहार में विपक्षी दल विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2020) टालने की मांग कर रहे थे. चुनाव टालने को लेकर चुनाव आयोग को पत्र भी लिखे गये थे और चुनावी तैयारियों को लेकर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और बीजेपी विपक्ष के निशाने पर भी रहे.
कोरोना काबू में होगा तभी तो चुनाव होंगे
कोविड मामलों में उछाल को देखते हुए नीतीश कुमार ने बिहार में 31 जुलाई तक लॉकडाउन पहले ही लागू कर दिया गया, हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों को लॉकडाउन के दायरे से बाहर रखा गया है. दिल्ली के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में भी कोरोना वायरस से बदहाल स्थिति को सुधारने का काम अपने हाथ में ले लिया है - और ये भी चुनावी तैयारियों का हिस्सा ही समझा जा सकता है.
चुनाव के लिहाज से बिहार में कोरोना संकट बहुत बड़ी बाधा बना हुआ था और स्थिति राज्य सरकार के कंट्रोल से बाहर हो चुकी थी. बहरहाल, केंद्र सरकार ने बिहार में कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए दो टीमें बनायी हैं - और. एक टीम ने तो मौके पर पहुंच कर काम भी संभाल लिया है.
नीतीश कुमार की मदद में उतरे अमित शाह ताकि चुनाव लायक स्थिति बने
केंद्रीय टीम के बिहार पहुंचने के साथ ही नीतीश कुमार के विरोधियों ने हमले का तरीका बदल दिया है. विपक्ष के नेता तेजस्वी का कहना है कि अब तो केंद्र सरकार ने भी कोविड मामले में केंद्रीय टीम बिहार भेज कर नीतीश कुमार को नकारा साबित कर दिया है. नीतीश सरकार पर संक्रमित मरीजों के आंकड़े में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए आरजेडी नेता ने कहा कि नीतीश सरकार का यही रवैया रहा तो, देश ही नहीं बल्कि कोरोना के मामले में बिहार ग्लोबल कैपिटल बन जाएगा.
NDA में होने के बावजूद लोक जनशक्ति पार्टी नेता चिराग पासवान भी पहले से ही नीतीश कुमार पर हमलावर हैं और केंद्रीय टीम भेजने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने के साथ ही ये जताने की भी कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना वायरस से निपटने में नीतीश सरकार फेल हो चुकी है.
कोरोना को बिहार में नियंत्रण में लाने के लिए व बिहारीयों को इस महामारी के बढ़ते प्रकोप से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने जो टीम बिहार भेजना निर्णय लिया है उसके लिए आदरणीय प्रधान मंत्री @narendramodi जी और केंद्र सरकार को धन्यवाद।@PMOIndia
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) July 18, 2020
विपक्ष चुनाव का विरोध कर रहा था या दिखावा
जून के पहले हफ्ते जब अमित शाह ने बिहार में डिजिटल रैली की तो तेजस्वी यादव के परिवार और आरजेडी के साथियों ने थाली बजाकर विरोध जताया. अमित शाह की रैली के साथ ही नीतीश कुमार भी एक्टिव रहे और चुनावी तैयारी तेज कर दी. जेडीयू कार्यकर्ताओं से संवाद और बार बार लालू-राबड़ी के जंगलराज की याद दिलाना रूटीन का हिस्सा बन गया.
कोरोना वायरस ने दुनिया को तहस नहस तो किया ही है, विपक्ष को तो चुनावी राजनीति के लायक ही नहीं छोड़ा है. सत्ताधारी पार्टी को तो काम के नाम पर लोगों से जुड़े रहने और उनसे सीधे संवाद का मौका मिल जा रहा है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते विपक्षी दलों के लिए ये मुश्किल हो जा रहा है. बड़ी वजह तो यही रही कि सबसे पहले तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव टाले जाने के लिए मुहिम की शुरुआत की.
तेजस्वी यादव के बाद एलजेपी नेता चिराग पासवान भी विधानसभा चुनाव टालने का अभियान चलाने लगे. तेजस्वी यादव की ही तरह चिराग पासवान भी चुनाव कराये जाने पर होने वाली दिक्कतें गिनाने लगे थे.
कोरोना के कारण सरकारों का आर्थिक बजट प्रभावित हुआ है।ऐसे में चुनाव से अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा।कहीं ऐसा ना हो की मात्र चुनाव के कारण बिहारीयों को ख़तरे में झोंक दिया जाए।इस महामारी के बीच चुनाव होने पर पोलिंग पर्सेंटेज भी काफ़ी नीचे रह सकते है जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। pic.twitter.com/gq1cWl0hT4
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) July 11, 2020
तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के बाद कांग्रेस भी इस मुहिम का हिस्सा बन गयी थी - और चुनाव आयोग को पत्र लिखा गया कि कोरोना वायरस के चलते विधानसभा चुनाव टाल दिये जायें. दरअसल, 29 नवंबर को बिहार विधानसभा की मियाद खत्म हो रही है और नियमों के अनुसार उससे छह महीने पहले कभी भी चुनाव कराया जा सकता है. अगर चुनाव समय पर नहीं हुए तो राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा.
विधानसभा चुनाव पर चर्चा के लिए चुनाव आयोग ने बिहार के सभी राजनीतिक दलों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये एक मीटिंग बुलायी थी. मीटिंग में राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी समस्याएं बतायीं और कई मुद्दों पर चर्चा में हिस्सा भी लिया, सिवा एक बात के - बिहार चुनाव टालने को लेकर. कितनी अजीब बात है कि जिस बात को लेकर हर रोज बयानबाजी होती है, लगातार ट्वीट होते हैं - लेकिन जब औपचारिक चर्चा होती है तो उसका जिक्र तक नहीं होता.
द प्रिंट वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग की मीटिंग में किसी भी राजनीतिक दल ने चुनाव टालने की बात नहीं कही. रिपोर्ट में ये बात आयोग के एक अफसर के हवाले से बतायी गयी है. आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को अपने विचार 31 जुलाई तक जमा करने को कहा है.
सवाल तो इससे यही उठता है कि विपक्ष चुनाव टालने को लेकर सीरियस कभी रहा ही नहीं. चूंकि कहने को उसके पास कुछ था ही नहीं इसलिए शोर मचाने के लिए इसे मुद्दा बना रखा था. ये तो अब मान कर चलना चाहिये कि बिहार चुनाव निश्चित समय पर ही होने जा रहे हैं - अक्टूबर और नवंबर में. एक जानकारी और मिली है कि नीतीश कुमार पहली ई-रैली 6 अगस्त को करने जा रहे हैं.
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