10 बातें जिन्होंने बिहार चुनाव नतीजों को कलरफुल बना दिया है
बिहार चुनाव परिणामों (Bihar Election Results 2020) के तहत हम जैसे जैसे ट्विटर पर नजर डाल रहे हैं काउंटिंग से इतर वहां एक अलग ही खिचड़ी पक के तैयार हो रही है. अपनी बातों से जैसा तड़का लोग इस खिचड़ी पर लगा रहे हैं यकीन मानिए ये बहुत ही मजेदार होने वाली है.
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आखिरकार वो घड़ी आ ही गई जिसका इंतजार देश की जनता को काफी समय से था. वो तमाम लोग जो इस सवाल का जवाब तलाश रहे थी कि बिहार में का बा? नीतीश बा के तेजस्वी बा? (Bihar Assembly Elections Results 2020) जल्द ही सारे कयासों पर अंकुश लग जाएगा. बिहार चुनावों के मद्देनजर परिणामों के जैसे रुझान अब तक दिखे हैं इतना तो कन्फर्म है कि राज्य में लोग नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से नाराज हैं. बिहार (Bihar) में गेम जिस हिसाब से पलटा है दिख रहा है कि जेडीयू (JDU) की हालत पतली है. वहीं बीजेपी (BJP) और तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) का पलड़ा भारी है. बात पुष्पम प्रिया और चिराग पासवान की हो तो इनका ईश्वर ही मालिक है. बताते चलें कि एनडीए 131 सीटों पर आगे है जबकि महागठबंधन (Mahagathbandhan) 98 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. बिहार में हुए चुनाव के चलते यदि इलेक्शन कमीशन (Election Commission) की वेबसाइट पर नजर डालें तो मिलता है कि बीजेपी के 71 सीटों पर आगे है, जेडीयू 52 सीटों पर आगे हैं. वीआईपी 7 सीटों पर आगे हैं और हम 1 सीट पर आगे चल रही है. इस लिहाज से देखें तो एनडीए कुल 131 सीटों पर अभी आगे चल रही है. आरजेडी 59, कांग्रेस 20 और लेफ्ट पार्टियां 19 सीटों पर आगे हैं. मतलब साफ या इसका मतलब है कि महागठबंधन 98 सीटों पर आगे है. एलजेपी 4 और AIMIM 2 सीटों पर आगे हैं.
बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच टक्कर कांटे की है
जैसा कि हम बता चुके हैं बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसका पता हमें जल्द ही चल जाएगा लेकिन पूरे बिहार विधानसभा चुनावों और परिणामों में सोशल मीडिया का रुख बड़ा दिलचस्प है. माइक्रो ब्लोगिंग वेबसाइट ट्विटर पर जैसा जनता का रुख है कहीं कोई फिर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना रहा है तो कोई इस मत पर डटा हुआ है कि बिहार का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक राज्य की कमान युवा नेता तेजस्वी यादव के हाथ में न आए
Election Commission trends for all 243 seats at 1:30 pm: NDA leading on 127 seats - BJP 74, JDU 48, VIP 4, HAM 1Mahagathbandhan ahead on 106 seats - RJD 66, Congress 21, Left 19BSP leading on two, AIMIM on three, LJP on one & independents on four #BiharElectionResults pic.twitter.com/ALTHwroHDu
— ANI (@ANI) November 10, 2020
बिहार चुनाव परिणामों के तहत हम जैसे जैसे ट्विटर पर नजर डाल रहे हैं काउंटिंग से इतर वहां एक अलग ही खिचड़ी पक के तैयार हो रही है. यकीन मानिए अपनी बातों से जैसा तड़का लोग इस खिचड़ी पर लगा रहे हैं यकीन मानिए ये बहुत ही मजेदार होने वाली है. आइये नजर डालते हैं उन 10 बातों पर जिन्होंने बिहार विधानसभा चुनावों के परिणामों को और भी कलरफुल बना दिया है.
उफ ईवीएम हाय हाय ईवीएम
बिहार चुनावों में जैसे ही मतों की गिनती शुरू हुई तमाम जगहों पर आरजेडी या ये कहें कि महागठबंधन आगे चल रहा था. फिर गेम पलटा और भाजपा के पक्ष में आ गया. नतीजों का भाजपा के पक्ष में जाना भर था वही हुआ जिसकी उम्मीद थी. एक बड़ा वर्ग सामने आ गया है जो इस बात की दुहाई दे रहा है कि बिहार में ईवीएम से बुरी तरह छेड़छाड़ हुई है और उसे भाजपा की जीत के लिए सेट किया गया है.
कभी दायां हाथ आगे. कभी बायां हाथ आगे और कभी दोनों पीछे
इस बात में कोई शक नहीं है कि बिहार की जनता ने समझदारी से वोट किया है. यदि बिहार के लोगों के वोट देने के पैटर्न का अवलोकन किया जाए तो कम ही देखने को मिलता है कि किसी बिहारी व्यक्ति ने 'यूं' ही वोट डाला हो. यानी बिहार के लोग टोल मोल के वोट डालते हैं ऐसे में जब हम बिहार विधासनसभा चुनाव 2020 को देखते हैं तो मिलता है कि वोट डालने से पहले पूरा गुणा गणित किया गया है. कभी एनडीए आगे निकलता हुआ दिख रहा है तो कभी महागठबंधन. अब तक जैसी गिनती हुई है वो मौके भी आए हैं जब दोनों पीछे हुए हैं. बिहार के दिल में का बा? बीएस थोड़ा सा इंतजार और.
तेजस्वी की एजुकेशन है उनकी राह का रोड़ा
इस चुनाव में भले ही तेजस्वी यादव ने सरकारी नौकरी के अलावा शिक्षा की बातों पर बल दिया हो लेकिन उनका खुद 8वीं पास होना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. सोशल मीडिया पर लोगों का यही तर्क है कि जो आदमी खुद 8 वीं पास हो वो शिक्षा की एहमियत क्या जानेगा. कयास तेजस्वी को 8 वीं को साढ़े साती लगेगी? इसका फैसला भी बहुत जल्द हो जाएगा.
पुष्पम प्रिया रहीं सिर्फ आई कैंडी
बिहार चुनाव 2020 में जिस बात ने जनता का ध्यान सबसे ज्यादा खींचा वो था पुष्पम प्रिया का मैदान में आना. और तमाम बड़े वादों के साथ इलेक्शन लड़ने की बात कहना. दिलचस्प हैं पुष्पम प्रिया को मिले वोट. जिस लिहाज से लोगों ने पुष्पम प्रिया को वोट दिया है हमें बस यही डर है कि कहीं उनकी जमानत न जब्त हो जाए. जैसे हालात हैं ये कहना गलत नहीं है कि बिहार में पुष्पम प्रिया सिर्फ एक आई कैंडी साबित हुई हैं.
सब पर भरोसा है बस एग्जिट पोल्स पर नहीं
ट्विटर पर जैसा लोगों का रुख है. एक बड़ा वर्ग सामने आया है जिसका साफ़ कहना है कि क्योंकि इस देश की रीत रही है कि एग्जिट पोल्स कुछ और कहते हैं और नतीजे कुछ और आते हैं. इसलिए हमें चुपचाप बिहार को देखना चाहिए और किसी तरह की कोई राय नहीं बनानी चाहिए. होइहि सोइ जो राम रचि राखा.
नीतीश कुमार सनम बेवफा है
अगर 2016 में 5, 10, 20,, 50 और 100 के नोटों पर सोनम गुप्ता बेवफा थी तो 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में समय का चक्र घूमा है जो नीतीश कुमार पर आकर ठहरा है और सबसे बड़े बेवफा नीतीश कुमार साबित हुए हैं. तमाम कारण हैं जिनके मद्देनजर बिहार में लोग नीतीश कुमार से खफा हैं. जैसा ट्विटर पर लोगों का रुख हैं बिहार की जनता ने नीतीश कुमार से बदला ले लिया है.
लोगों की नजरें चिराग पासवान पर
जैसी खिचड़ी बिहार में पकी है इतना तो साफ़ है कि जब नतीजे पूरे आ जाएंगे तो बिहार में बहुत कुछ कल्पना से परे होने वाला है. तब उस स्थिति में सबकी नजरें चिराग पासवान पर रहेंगी. पॉलिटिकल पंडितों के बीच चर्चा तेज है कि इस चुनाव में चिराग किंगमेकर की भूमिका में रहेंगे.
कोरोना वैक्सीन ने भाजपा को जीवनदान दिया है
सोशल मीडिया पर एक वर्ग वो भी सामने आया है जिसका मानना है कि कोरोना की वैक्सीन के रूप में भाजपा ने एक बड़ा दांव खेला है. सोशल मीडिया पर चर्चा तेज है की अगर बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा बढ़त बना रही है तो इसकी एक बड़ी वजह खुद 'कोरोना वायरस वैक्सीन' है जो भाजपा के लिए रामबाण साबित हुई है.
'मोदी मैजिक' मैजिक ही निकला
जैसी पोलिंग हुई है साफ़ है कि वोट डालने से पहले बिहार की जनता ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया है और उन सभी पहलुओं को गहनता से जांचा है जो वोट डालने के लिए जरूरी हैं. अब चूंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार में रैली की थी लेकिन उनकी रैली सिर्फ रैली ही रही और उनका मैजिक नहीं चल पाया. कह सकते हैं मोदी मैजिक का लोगों ने आनंद तो लिया लेकिन जब फैसले का वक़्त आया तो उन्होंने वही किया जो उन्हें ठीक लगा.
अरे कहां चले गए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय
बिहार विधानसभा चुनावों ने पहले जिस शख्स ने खूब सुर्खियां बटोरीं वो थे सूबे के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय। एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद कुछ ज्यादा ही सुर्ख़ियों में आए डीजीपी एक बहार फिर उस वक़्त चर्चा में खूब हुए जब उन्होंने राजनीति में आने की बात की और कहा कि वो जेडीयू के टिकट से चुनाव लड़ेंगे। जेडीयू या ये कहें कि गुप्तेश्वर पांडेय के दोस्त नीतीश कुमार ने उन्हें टिकट नहीं दिया और उन्हें निराश ही रहना पड़ा. ट्विटर पर जनता सवाल कर रही अब तो नतीजे भी आ गए ऐसे में कहां हैं डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय? आखिर वो सामने क्यों नहीं आ रहे.
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