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Updated: 12 नवम्बर, 2017 02:55 PM
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बीजेपी गुजरात में सारे तीर आजमा रही है. तरकश के तीर तो पहले से ही मोर्चे पर तैनात हैं, स्टोर से कुछ और निकाल कर भी मैदान में ले जाये जा रहे हैं. इनमें वे भी हैं जिनमें वो समझती रही कि जंग लग चुके हैं - और वे भी जिन्हें वो दागदार मानकर सामने लाने से बच रही थी.

जो राम विलास पासवान यूपी चुनावों में कहीं नजर नहीं आये वो गुजरात पहुंच चुके हैं - और जिन मुकुल रॉय को ममता बनर्जी के खिलाफ इस्तेमाल के लिए बीजेपी में लाया गया है उनकी भी गुजरात में चुनावी ड्यूटी लगा दी गयी है. यूपीए सरकार में रेल मंत्री रह चुके मुकुल रॉय के जिम्मे कांग्रेस के खिलाफ पोल खोल कार्यक्रम पेश करना है.

अमित शाह ने संभाला मोर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल फिलहाल खुद तो गुजरात के कई चक्कर लगा ही चुके हैं, राहुल गांधी के ताजा दौरे के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी डटे हुए हैं - वो खुद तो सक्रिय हैं ही, बाकियों पर करीब से निगरानी भी रख रहे हैं.

amit shahअभी तो ये अंगड़ाई है...

बीजेपी ने चुनाव अभियान में जिन केंद्रीय मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है वे हैं - रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी, कृषि और किसान कल्याण मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री मनसुख मंडविया के साथ साथ खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान.

कोई मंत्री किसी वॉर्ड में प्रचार कर रहा है तो कोई किसी मीडिया सेंटर में प्रेस कांफ्रेंस कर रहा है. किसी के लिए मेन रोड का रूट बना है, तो कई मंत्री गलियों में घूम घूम कर बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं. सुबह से लेकर देर शाम तक सबको कहां कहां जाना है ड्यूटी चार्ट बना कर थमा दिया गया है.

पासवान का बयान और सफाई

गुजरात में राम विलास पासवान ने पहुंचते ही अपना पहला काम कर दिया - और अब दूसरा काम घर घर दस्तक देना है. पासवान दलितों के मुद्दे पर बीजेपी को मुश्किल से उबारने पहुंचे हैं. लेकिन उनके जबान खोलते ही विवाद हो गया - और फिर मजबूरन उन्हें सफाई भी देनी पड़ी.

ram vilas paswanएक दलित नेता की सफाई...

पासवान के साथ कुछ नेताओं को बीजेपी ने गुजरात में युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का असर कम करने के मकसद से उतारा है. पासवान के बाद वहां केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत और अर्जुन राम मेघवाल के अलावा सांसद विनोद सोनकर भी एक ही मुहिम के तहत धावा बोलने वाले हैं.

यूपी चुनावों के वक्त राम विलास पासवान ने कहा था कि सर्जरी के चलते वो चुनाव प्रचार करने के लायक फिट नहीं है. हालांकि, अंदरखाने की खबर ये रही कि पासवान भी यूपी में कुछ सीटें चाहते थे, लेकिन जब बीजेपी ने नामंजूर कर दिया तो दिल्ली में ही कुंडली मारकर बैठ गये.

बहरहाल, गुजरात पहुंचते ही उन्होंने रटा रटाया बयान दे दिया. ऊना में दलितों की पिटाई के सवाल पर पासवान ने मीडिया से कहा - 'मैं इतना कहना चाहता हूं कि छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती हैं. हमारे बिहार में भी ऐसी घटनाएं होती है. गुजरात में एक छोटी सी घटना हो गई...'

पासवान ऊना की उसी घटना को मामूली बता रहे थे जो तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन की कुर्सी ले बैठी. वैसे आनंदी बेन के मामले में पाटीदार आंदोलन को ठीक से हैंडल न करना भी शामिल रहा लेकिन ऊना में दलितों की पिटाई से मचे बवाल की बड़ी भूमिका रही.

इस घटना के बाद दलितों ने ऊना मार्च निकाला - और उसी जगह पहुंच कर अपने तरीके से स्वतंत्रता दिवस मनाये. इस आंदोलन के अगुवा रहे जिग्नेश मेवाणी जो अब तक बीजेपी की नाम में दम किये हुए हैं. ये जिग्नेश मेवाणी के अलावा हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर की तिकड़ी ही है जो बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा मुश्किलें खड़ी किये हुए है.

mukul royहर मोर्चे पर हाजिर...

ऊना को लेकर पासवान के बयान पर जिग्नेश भड़क उठे और शर्मनाक बयान बताते हुए इस्तीफे की मांग कर डाली. जिग्नेश ने कहा, 'पासवान का बयान शर्मनाक और उन दलितों के जख्म पर नमक छिड़कने जैसा है, जिन्हें अधनंगा करके पीटा और शहर में घुमाया गया... राज्य भर में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 30 दलितों ने जहर खा लिया, सड़कें और रेल लाइनें ठप रहीं...'

बाद में जब पासवान ने जुलाई 2015 में ऊना में दलितों की पिटाई को मामूली घटना बताने पर सफाई भी दी. पासवान बोले, 'दलित पर कहीं भी हुआ अत्याचार न्योयोचित नहीं ठहराया जा सकता. मेरा कहना है कि पीएम मोदी पहले ही सार्वजनिक मंच पर कह चुके हैं कि गोरक्षकों की किसी भी समाज विरोधी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.'

हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात चुनाव की तारीख घोषित नहीं करने को लेकर जब सवाल खड़े हुए तो चुनाव आयोग को सफाई तक देनी पड़ी. चुनाव आयोग के रवैये से बीजेपी को फायदा पहुंचने के जो आरोप लगे थे उनके सबूत अब भी सामने आ रहे हैं. ताजा फायदा तो यही है कि हिमाचल चुनाव निपटा कर बीजेपी के सारे नेता और मंत्री अब गुजरात में डेरा जमा चुके हैं. बीजेपी की यही मोर्चेबंदी बता रही है कि पार्टी गुजरात की लड़ाई में किस कदर फंसा महसूस कर रही है.

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