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Updated: 26 अगस्त, 2022 03:47 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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उत्तर प्रदेश के लिए बीजेपी को ऐसे सेनापति की तलाश रही जिसमें बहुत सारी खूबियां हों - और लगता है भूपेंद्र सिंह चौधरी (Bhupendra Chaudhary) ऐसे हर पैमाने पर पूरी तरह खरे उतरे हैं. ऐन उसी वक्त ये भी लग रहा है कि अब बीजेपी नेतृत्व के मन से पश्चिम यूपी के जाटों को लेकर डर खत्म नहीं हो सका है.

असल में बीजेपी की अब तक कोई रणनीति कामयाब नहीं हो सकी है जो जयंत चौधरी और अखिलेश यादव को अलग कर पाये. जैसे 2019 के आम चुनाव के बाद अखिलेश यादव और मायावती फौरन ही अलग हो गये थे. जिस तरह से मायावती पर हाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मददगार बनने का इल्जाम लगा है, ये तो पक्का हो गया है कि मायावती ने सपा-बसपा गठबंधन बीजेपी के दबाव में आकर ही तोड़ा था. राजनीतिक कारणों की बात और है लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी का भी यही मानना है.

यूपी में बीजेपी की कमान संभालने वाले नेताओं पर नजर डालें तो पाते हैं कि विधानसभा और लोक सभा चुनाव को देखें तो मालूम होता है कि उनके चयन का आधार काफी अलग रहा है - और पिछले कई लोक सभा चुनावों के दौरान ब्राह्मण अध्यक्ष रहे हैं. 2019 के आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार से संगठन में भेज कर महेंद्रनाथ पांडेय को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था. मोदी सरकार की वापसी के बाद वो फिर से केंद्र सरकार में मंत्री बना दिये गये.

2014 के आम चुनाव से पहले लक्ष्मीकांत वाजपेयी और वैसे ही 2009 के आम चुनाव के दौरान रमापति राम त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष रहे - लेकिन हाल 2024 के आम चुनाव के लिए बीजेपी ने ब्राह्मण नेता की जगह जाट नेता पर भरोसा जताया है तो उसकी खास वजह भी है.

ऐसा लगता है भूपेंद्र चौधरी के यूपी बीजेपी अध्यक्ष बनाये जाने में उनका सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह (Amit Shah) का भरोसेमंद होने के साथ साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की भी पंसद का नेता होना बेहद महत्वपूर्ण रहा है - क्योंकि सुनील बंसल की यूपी से विदायी के बाद ये बहुत जरूरी हो गया था.

भूपेंद्र सिंह चौधरी को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने उम्मीद जतायी है कि अगले आम चुनाव में बीजेपी यूपी की सभी 80 सीटें जीतने में कामयाब रहेगी - और योगी आदित्यनाथ के राजनीति विरोधी नेता की तरफ से ऐसा बयान आना भी काफी अहम लगता है. ऐसा इसलिए भी क्योकि सुनील बंसल की तारीफ में केशव मौर्य ने जो कुछ कहा था उसे सुन कर तो योगी आदित्यनाथ बड़ी मुश्किल से क्रोध पर काबू पाये होंगे.

ये तो ऐसा लगता है जैसे बीजेपी ने नये अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही यूपी में 2024 के आम चुनाव की जिम्मेदारी आधी आधी बांट दी हो - गोरखपुर से आने वाले योगी आदित्यनाथ पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के वोट बीजेपी को दिलाने की जिम्मेदारी होगी - और पश्चिम यूपी की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने का दारोमदार भूपेंद्र चौधरी पर होगा.

कुछ और भी खासियतें लग रही हैं जो 2024 के टारगेट को ध्यान में रखते हुए भूपेंद्र चौधरी को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर लग रही हैं.

पश्चिम यूपी का राजनीतिक अनुभव

भूपेंद्र चौधरी पूर्व यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह की जगह लेने जा रहे हैं. स्वतंत्रदेव सिंह को योगी आदित्यनाथ ने सत्ता में वापसी के बाद कैबिनेट में शामिल कर लिया था, जिसके बाद अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद वो इस्तीफा दे दिये थे - और अब तक योगी मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे भूपेंद्र चौधरी को यूपी में बीजेपी कीकमान सौंपी गयी है.

bhupendra chaudharyयूपी में बीजेपी के लिए ऑल-इन-वन पैकेज हैं भूपेंद्र चौधरी

1999 के आम चुनाव में संभल लोक सभा सीट से यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को चैलेंज कर चुके भूपेंद्र चौधरी 2007 से 2012 तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय मंत्री रहे हैं और उसके बाद 2018 तक लगातार तीन बार पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं - और ये भूपेंद्र चौधरी को 2024 के आम चुनाव को ध्यान में रख कर प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की सबसे बड़ी वजह लगती है.

ये 2022 के विधानसभा चुनाव ही रहे जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर किये थे. लंबे समय तक चले किसान आंदोलन के चलते बीजेपी को डर था कि चुनाव में जाटों की नाराजगी भारी पड़ सकती है - और यही वजह रही कि वो मोर्चा अमित शाह ने अपने ही हाथ में रखा था.

ऐसे भी समझ सकते हैं कि भूपेंद्र चौधरी को पश्चिम यूपी में आरएलडी नेता जयंत चौधरी को काउंटर करने के लिए मोर्चे पर लगाया गया है. विधानसभा चुनाव में मायावती को बीजेपी का मददगार माना गया था. देखा गया कि बीएसपी के उम्मीदवार भी उसी हिसाब से उतारे गये थे - लेकिन ये भी जरूरी तो नहीं कि अगले आम चुनाव में भी वही फॉर्मूला कारगर साबित हो.

उत्तर प्रदेश की करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर जाट मतदाताओं का सीधा प्रभाव माना जाता है. पश्चिम यूपी में जाट वोटों की करीब 17 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि पूरे उत्तर प्रदेश में पांच फीसदी के आसपास जाट समुदाय के वोट खास मायने रखते हैं - भूपेंद्र चौधरी को असल में पश्चिम यूपी के जाट वोटों को संभाल लेने की ही असली जिम्मेदारी मिली है.

अमित शाह का भरोसेमंद होना

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी के लिए सबसे कठिन मोर्चा पश्चिम उत्तर प्रदेश का ही रहा. अमित शाह के पश्चिम यूपी की कमान अपने हाथ में रखे जाने की असली वजह भी यही रही. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की एक खास रणनीति ये भी देखी गयी कि अमित शाह जहां नरेंद्र मोदी को 2024 में फिर से प्रधानमंत्री बनाने के नाम वोट मांग रहे थे, योगी आदित्यनाथ पूरी तरह अखिलेश यादव और उनके उम्मीदवारों पर फोकस रहे.

ये पश्चिम यूपी के चुनाव प्रबंधन का ही अनुभव है जिसके बाद अमित शाह ने नये बीजेपी अध्यक्ष की खूबियों का चार्ट तभी बना रखा होगा - और हर पैमाने पर खरा उतरने के बाद भूपेंद्र चौधरी को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाये जाने को हरी झंडी दिखायी गयी होगी.

भूपेंद्र चौधरी के साथ एक और भी खास बात रही कि पश्चिम यूपी में होने की वजह से अमित शाह काफी करीब से उनका काम देखा होगा - तभी तो माना जा रहा है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर भी वो भारी पड़े हैं. दरअसल, केशव मौर्य के संगठन और सरकार की तुलना वाले ट्वीट के बाद ये समझा जाने लगा था कि वो मन ही मन फिर से यूपी बीजेपी की कमान संभालने का सपना देखने लगे हैं. लेकिन केशव मौर्य ये चीज भूल गये कि विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी बीजेपी नेतृत्व डिप्टी सीएम तो बना सकता है, लेकिन आने वाले महत्वपूर्ण चुनाव की जिम्मेदारी देने का जोखिम नहीं उठा सकता.

जो योगी को भी पसंद हो

ध्यान देने वाली बात ये है कि डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने भूपेंद्र चौधरी की भी खूब तारीफ की है. करीब करीब वैसे ही जैसे हाल ही में केशव मौर्य ने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और तीन महत्वपूर्ण राज्यों के प्रभारी बनाये गये सुनील बंसल की तारीफ की थी.

2017 के विधानसभा चुनावों से पहले यूपी बीजेपी के अध्यक्ष रहे केशव मौर्य ने अपने कार्यकाल में बीजेपी के यूपी में सत्ता हासिल करने का बड़ा श्रेय सुनील बंसल को ही दे दिया था. अब केशव मौर्य का दावा है कि भूपेंद्र चौधरी के नेतृत्व में बीजेपी यूपी की 80 में से 80 सीटें जीतने में समल होगी.

हाल ही में आये एक सर्वे में यूपी में बीजेपी को 52 फीसदी वोट मिलने का अनुमान लगाया गया था. सर्वे नतीजों के मुताबिक, अगर आज की तारीख में लोक सभा के चुनाव कराये जाते हैं तो यूपी में बीजेपी को 80 में से 76 सीटें मिल सकती हैं - बाकी बची चार सीटों में से 2-2 कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के खाते में जाने का अनुमान लगाया गया है. बीजेपी ने 2014 में अब तक की सबसे ज्यादा 71 सीटें जीती थीं.

भूपेंद्र चौधरी, पिछली बीजेपी सरकार में भी पंचायती राज मंत्री ही थे और सत्ता में वापसी के बाद भी योगी आदित्यनाथ ने उनका विभाग नहीं बदला - भूपेंद्र चौधरी को योगी आदित्यनाथ का भी करीबी बताया जा रहा है.

वैसे भी जिस तरीके से यूपी में बीजेपी को सबसे ज्यादा सफलता दिलाने वाले सुनील बंसल की विदायी के बाद अमित शाह के लिए भी जरूरी हो गया था कि जैसे भी हो सरकार और संगठन में सामंजस्य बना रहे.

अभी जून, 2022 में हुए रामपुर उपचुनाव के लिए भी भूपेंद्र चौधरी को बीजेपी की तरफ से लोक सभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया था - और आजम खान के गढ़ में घुस कर समाजवादी पार्टी से वो सीट छीन पाना कोई मामूली काम नहीं था. लगता है रामपुर की लोक सभा सीट बीजेपी की झोली में डालने के बाद ही भूपेंद्र चौधरी ने यूपी अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पक्की कर ली थी.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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