यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में CAA Protest के 3 उदाहरण, फैसला जनता करे
Citizenship Amendment Act के खिलाफ जगह जगह प्रदर्शन (CAA protest) हो रहा है और देश भर की Universities में छात्र मुखर होकर सरकार के इस फैसले के खिलाफ आ रहे हैं. सवाल जनता से है. जनता बताए कि विरोध के नाम पर छात्रों के ये कृत्य सही हैं या फिर गलत.
-
Total Shares
CAA पर जारी विरोध (Students Protesting Against CAA) की आग ठंडी होने का नाम नहीं ले रही है. मामले को लेकर सबसे ज्यादा गर्माहट देश के विश्व विद्यालयों (CAA Protest in Universities) में है. क्या उत्तर क्या दक्षिण देश भर में छात्र कहीं के भी हों एक बड़ी तादाद ऐसी है जो लगातार ये मांग कर रही है ये कानून देश को बांटने का काम कर रहा है और सरकार को इसे वापस ले लेना चाहिए. छात्रों के बीच विरोध का आलम कुछ यूं है कि अब न तो उन्हें अपनी डिग्रियों की चिंता रह गई है. न ही उन्हें अपने भविष्य या फिर गोल्ड मेडल से मतलब है. मामले को लेकर छात्रों का अपना एजेंडा है. छात्र किसी भी कीमत पर देश की सरकार को झुकाना चाहते हैं. CAA के विरोध के नाम पर देश भर के अलग अलग विश्वविद्यालयों से तीन ऐसे मामले आए हैं जिन्हें देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि अब छात्रों ने ऐसा बहुत कुछ कर दिया है जिससे न सिर्फ हमारा लोकतंत्र शर्मिंदा हो रहा है बल्कि तमाम सवाल भी खड़े हो रहे हैं.
देशभर में छात्रों द्वारा सरकार के नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया जा रहा है
सवाल जनता से है. देश की जनता इन मामलों को समझें. इसपर गौर करे और खुद ये फैसला करे कि CAA विरोध के नाम पर देश में जो हो रहा है वो सही है. या फिर विरोध में आए लोग प्रदर्शन के नाम पर केवल और केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं. कुछ और बात करने से पहले आइये मामला समझ लें फिर ये तय करें कि विरोध के नाम पर छात्रों ने जो किया वो सही है या फिर गलत.
पांडिचेरी यूनिवर्सिटी - छात्रा ने नहीं लिया गोल्ड मेडल
पहला मामला पांडिचेरी विश्वविद्यालय (Pondicherry University) से जुड़ा हुआ है. यहां पर एक छात्रा ने गोल्ड मेडल लेने से मना कर दिया है. छात्रा नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हैं और बताया यही जा रहा है कि यूनिवर्सिटी से मिलने वाले गोल्ड मेडल को ठुकरा कर उसने अपना विरोध दर्ज किया है. पांडिचेरी विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडल विजेता छात्रा रबीहा अब्दुरहीम ने आरोप लगाया है कि बीते दिन हुए दीक्षांत समारोह में शामिल होने से उसे रोका गया. दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे.
आपको बताते चलें कि मूल रूप से केरल से ताल्लुख रखने वाली रबीहा ने मास कॉम में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की है. साथ ही उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों के समर्थन में गोल्ड मेडल लेने से इनकार कर दिया है.
छात्रा ने दावा किया कि दीक्षांत समारोह शुरू होने से पहले उसे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ऑडिटोरियम छोड़ने के लिए कहा था. राष्ट्रपति जब चले गए तब उसे ऑडिटोरियम में जाने की अनुमति दी गई. इस मामले पर छात्रा ने एक फेसबुक पोस्ट भी लिखा है जिसमें उसने इस बात का जिक्र किया है कि आखिर वो कौन सी वजहें थीं जिनके चलते उसे अपना गोल्ड मेडल वापस करना पड़ा.
ज्ञात हो कि अपने इस फेसबुक पोस्ट में गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा ने उन दावों को भी खारिज किया है जिसमें कहा गया था कि उसे दीक्षांत समारोह से इसलिए बाहर रखा गया था क्योंकि उसने हिजाब लगाया हुआ था. वहीं जब इस मामले पर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों से बात हुई तो अपना पल्ला झाड़ते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बस यही कहा कि उन्हें नहीं पता था कि बाहर क्या हुआ था और छात्रा को बाहर क्यों रखा गया.
जाधवपुर यूनिवर्सिटी - जहां फाड़ा गया कानून
हम बता चुके हैं CAA विरोध की आग अब विश्व विद्यालयों में पहुंच गई है. ये आग कैम्पस को कितना प्रभावित कर रही है अगर इस बात को समझना हो तो हम पश्चिम बंगाल की जाधवपुर यूनिवर्सिटी (Jadavpur University Against CAA) का अवलोकन कर सकते हैं. CAA विरोध को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. ऐसे में उनके राज्य की यूनिवर्सिटी में एक गोल्ड मेडलिस्ट छात्रा का मंच पर खड़े होकर कानून की प्रति फाड़ना एक साथ कई सवालों को खड़ा करता है.
आपको बताते चलें कि छात्रा देबस्मिता चौधरी ने मंच पर नागरिकता संशोधन कानून की प्रति फाड़ी और नारा लगाते हुए कहा कि हम कागज नहीं दिखाएंगे...इंकलाब ज़िंदाबाद! घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी के साथ वायरल किया जा रहा है.
अगर इस वीडियो पर गौर करें तो साफ़ पता चलता है कि देबस्मिता मंच पर आईं उन्होंने अपनी डिग्री ली फिर मौजूद लोगों से मुखातिब होकर कानून की प्रति फाड़ी. वीडियो पर गौर करें ओ मिलता है कि मंच पर ही छात्रा को रोका गया था.
#CAAProtests: Debasmita Chowdhury, a student of #Kolkata's #JadavpurUniversity's International Relations department, tears a copy of #CAA before receiving her #GOLDMEDAL during #JU convocation. #JadavpurUniversityConvocation pic.twitter.com/GjYlyczz73
— Deepayan Sinha (@sdeepayan) December 24, 2019
ध्यान रहे कि ये कोई पहली बार नहीं है कि जाधवपुर यूनिवर्सिटी चर्चा में आई है. बात बीते दिनों की है यूनिवर्सिटी के नॉन टीचिंग स्टाफ ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने से रोका था और विरोध में उन्हें काले झंडे दिखाए थे. बात अगर छात्रों की हो तो छात्रों ने राज्यपाल को काला झंडा दिखाते हुए 'वापस जाओ' के नारे भी लगाए थे. बाद में घटना पर अपना पक्ष रखते हुए धनखड़ ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया था और कहा था कि कानून का बुरी तरह उल्लंघन हुआ है.
At the campus of the Jadavpur University I appealed all concerned to ensure that a handful of people cannot be allowed to hold system to hostage. Appealed to the good sense of those who in the Government and University ought to be active to contain the situation. pic.twitter.com/bhByNhDtPO
— Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) December 24, 2019
उन्होंने कहा था कि यूनिवर्सिटी के छात्रों को उनकी मेहनत का फल मिल सके, इसके लिए वहां गया था, जहां राजनीति से प्रेरित होकर मेरे प्रवेश पर रोक लगाई गई. इसमें कोई संदेह नहीं है कि कानून का बुरी तरह उल्लंघन हुआ है.
At Jadavpur University today. Surely this does not gel with either the rule of law or rich culture of the State of West Bengal. I would strive undeterred and work for wholesome environment on campus and make those concerned realise their accountability. pic.twitter.com/8QsEWyCIGF
— Jagdeep Dhankhar (@jdhankhar1) December 24, 2019
बता दें कि राज्यपाल इस मामले पर लगातार राज्य सरकार को घेर रहे हैं. उनका लगातार यही कहना है कि बंगाल में जो हो रहा है वो राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इशारों पर हो रहा है.
BHU दीक्षांत में भी हुआ CAA का विरोध
नागरिकता कानून का विरोध बीएचयू के 101वें दीक्षांत समारोह में भी दिखा. आपको बताते चलें कि हिस्ट्री ऑफ आर्ट्स के छात्र रजत सिंह ने नागरिकता कानून के विरोध के मद्देनजर बनारस में हुई गिरफ्तारियों के खिलाफ अपनी डिग्री लेने से मना कर दिया. रजत ने फैकल्टी स्तर पर आयोजित दीक्षांत समारोह में भाग तो लिया लेकिन डिग्री नहीं ली. मामले पर रजत का कहना है कि आज कई छात्रों को यहां डिग्री लेनी थी लेकिन वह जेल में हैं. रजत की मांग है कि गिरफ्तार किए गए सभी छात्रों को रिहा किया जाना चाहिए.
ALERT: BHU student refuses to take his degree on stage to show solidarity with the 69 protesters (around 35 from BHU) arrested by UP police in the protests against CAA on 19 December.@TheQuint
Watch Rajat speak: pic.twitter.com/erevddfjYB
— Aishwarya S Iyer (@iyersaishwarya) December 24, 2019
रजत का आरोप है कि CAA के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे 70 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है. ज्ञात हो कि CAA के खिलाफ बनारस के प्रदर्शन में किसी भी प्रकार की कोई हिंसा नही हुई थी. इसके बावजूद पुलिस ने बीएचयू के छात्रों पर फर्जी मुक़दमे दर्ज किये.
तीनों ही मामले हमारे सामने हैं. सवाल वही है कि क्या वो छात्र, जो देश का भविष्य होते हैं. उनके द्वारा विरोध के नाम पर किया गया ये कृत्य कितना सही है या फिर इसकी निंदा होनी चाहिए. हम ये फैसला जनता पर छोड़ते हैं. जनता इन सभी घटनाओं को देखे और इनका संज्ञान लेते हुए बताए कि जो वो हो रहा है वो सही है या गलत और अगर ये गलत है तो कितना है.
CAA विरोध कब थमता है इसका फैसला वक़्त करेगा मगर जो वर्तमान है वो ये साफ़ बता रहा है कि अब इस विरोध के नाम पर लोगों को अपने स्तर पर राजनीति करने का मौका मिल गया है. लोग इसका फायदा उठा रहे हैं मगर इसका सीधा नुकसान देश को हो रहा है और देश की अखंडता और एकता बुरी तरह प्रभावित हो रही है.
ये भी पढ़ें -
CAA protest : शांतिपूर्ण प्रदर्शन कैसे हिंसक हो जा रहा है? जानिए...
CAA protest सिर्फ़ मुस्लिम ही नहीं, ‘विविधता में एकता’ से जुड़ा है
CAA Protest: ऐसे में कैसे मुमकिन है शांतिपूर्वक प्रदर्शन!
आपकी राय