सिद्धू के बहाने गांधी परिवार को कैप्टन गीदड़-भभकी दे रहे हैं या ठोस प्लान भी है?
कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) ने कांग्रेस नेतृत्व गांधी परिवार को नये सिरे से चैलेंज किया है. सीधे सीधे वो सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से ही दो-दो हाथ करते देखे जा रहे हैं - हालांकि, खुल कर अब भी वो नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का ही नाम ले रहे हैं.
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कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) के निशाने पर तो सीधे सीधे जानी दुश्मन नवजोत सिंह सिद्धू ही लग रहे हैं, लेकिन लगता तो ऐसा है जैसे वो सिर्फ बहाना हों - क्योंकि कैप्टन के असली टारगेट के रूप में तो अब सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ही नजर आ रही हैं.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को अनुभवहीन बता कर अपनी तरफ से भाई-बहन के नेतृत्व को खारिज करने की कोशिश की है - और हर बात के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही जिम्मेदार बताया है.
लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की हार सुनिश्चित करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह मजबूत उम्मीदवार खड़ा करने की बात कर रहें - लेकिन ऐसा वो किस हैसियत से करने वाले हैं ये अब तक साफ नहीं हो पा रहा है.
कैसी कुर्बानी की बात कर रहे हैं कैप्टन
कैप्टन अमरिंदर सिंह घोषित तौर पर 2017 में ही आखिरी पारी खेल रहे थे, लेकिन अब तो एक्सटेंडेड वारंटी के साथ मार्केट में उतर गये लगते हैं - और खुद ही अपने इरादे भी साफ कर देते हैं, 'आप 40 साल की उम्र में बुजुर्ग हो सकते हैं - और 80 साल की उम्र में युवा.'
कैप्टन की ये बात ये तो साफ कर ही देती है कि वो हथियार डालने के मूड में कतई नहीं हैं. अभी वो एक और जंग लड़ने के लिए तैयार हैं. तब भी जबकि कांग्रेस नेतृत्व ने जंग के लिए जरूरी सारे साजो सामान की सप्लाई काट दी है. पहले कैप्टन के कट्टर राजनीतिक विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बना दिया और फिर कैप्टन से मुख्यमंत्री की कुर्सी भी ले ली.
गांधी परिवार के साथ ऐसे ही दो-दो हाथ कैप्टन को 2017 के चुनावों में भी करने पड़े थे, लेकिन वो जूझते रहे. जब लगा कि गांधी परिवार उनकी बात सुनने वाला नहीं तो ऐसे व्यवहार करने लगे थे कि सोनिया गांधी के सलाहकार और करीबी नेताओं को लगा कि कैप्टन कांग्रेस को तोड़ कर अपनी नयी पार्टी बना सकते हैं. यही वो बिंदु रहा जब गांधी परिवार ने कैप्टन को कमान के साथ साथ फ्रीहैंड भी दे डाला था.
जब कैप्टन अपने मिशन में जुटे तो उसे धारदार बनाने के लिए चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को हायर कर लिया - और गांधी परिवार ने इस बार सबसे पहला वार वहीं किया जो कैप्टन का सबसे मजबूत पक्ष रहा - प्रशांत किशोर. प्रशांत किशोर को इस बार भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया था, लेकिन जैसे ही गांधी परिवार से बातचीत आगे बढ़ी उनकी तरफ से पहला झटका कैप्टन को ही मिला. प्रशांत किशोर ने पत्र लिख कर धन्यवाद देते हुए कैप्टन को साफ कर दिया कि इस बार वो अपनी सेवाएं नहीं दे पाएंगे.
जब कैप्टन ने प्रशांत किशोर को सलाहकार बनाया था, तब वो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए तृणमूल कांग्रेस का कैंपेन संभाल रहे थे और मामला 50-50 पर चल रहा था. जब ममता बनर्जी जीत गयीं और प्रशांत किशोर उनके लिए राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने लगे तो गांधी परिवार ने मिलने के लिए बुला लिया - और एक ही मुलाकात में प्रशांत किशोर के कांग्रेस ज्वाइन करने के कयास लगाये जाने लगे थे. अब तो सुनने में आ रहा है कि उनकी भूमिका और पोस्ट भी करीब करीब फाइनल है, लेकिन कुछ कांग्रेस नेताओं के विरोध के बावजूद सोनिया गांधी को अंतिम फैसला लेना है.
कैप्टन के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्विटर पर उनका बयान जारी किया है. ट्वीट के मुताबिक, कैप्टन ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों को अपने बच्चों जैसा बताया है - और शायद इसीलिए वो उनको किसी काम के काबिल नहीं मानते.
कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के पास अनुभव नहीं है - और उनके सलाहकार बहका रहे हैं. कैप्टन ने सोनिया गांधी के व्यहार से भी नाराजगी जतायी है.
जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ये साफ कर दिया कि लड़ाई अब सीधे सोनिया गांधी से है तो पत्ते क्यों नहीं खोल रहे हैं?
कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद वो पद छोड़ने को तैयार थे, लेकिन हार के बाद तो वो ऐसा कभी नहीं करेंगे. कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि सोनिया गांधी से वो पहले ही कह चुके थे कि पंजाब चुनाव जीतने के बाद वो मुख्यमंत्री पद किसी और के लिए छोड़ देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यही वजह है कि वो अब अपने तरीके से लड़ाई लड़ने को तैयार बता रहे हैं.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन का कहना है, 'मैंने तीन हफ्ते पहले ही कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी से इस्तीफे की पेशकश की थी, लेकिन वो पद पर बने रहने के लिए कही थीं... अगर वो मुझे कहतीं कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना है तो मैं दे देता - एक सैनिक के तौर मैं अपना काम करना जानता हू.'
कैप्टन ने हर तरीके से अपना स्टैंड साफ करने की कोशिश की है. कहते हैं, 'मैं विधायकों को फ्लाइट से गोवा लेकर नहीं गया था. मैं तिकड़म में भरोसा नहीं करता... राहुल और प्रियंका को पता है कि ये मेरा तरीका नहीं है.'
सारी बातों के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक और बात कही है, 'कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हूं,' - और ये सबसे बड़ी बात है. ये तो ऐसा लगता है जैसेल कैप्टन अमरिंदर सिंह सीधे सीधे सोनिया गांधी को चैलेंज कर रहे हों कि उनके खिलाफ एक्शन तो लेकर देखा जाये. ऐसा लगता है जैसे नवजोत सिंह सिद्धू की तरह ही कह रहे हों, 'ईंट से ईंट खड़का देंगे.'
'Ready to make any sacrifice to stop @sherryontopp becoming Punjab CM. Will pit a strong person against him to ensure his defeat in 2022 Assembly polls. If Navjot Sidhu is CM face, then big thing if @INCPunjab touches double digits': @capt_amarinder @INCIndia pic.twitter.com/1ANcEJy04I
— Raveen Thukral (@RT_Media_Capt) September 22, 2021
कैप्टन का एक्शन प्लान क्या है
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गांधी परिवार के सामने अपने इरादे जाहिर कर दिया हैं. ये भी साफ कर दिया है कि वो सोनिया गांधी से ही नाराज हैं, बच्चों से नहीं. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को बच्चों जैसा तो बताया ही है, दोनों को अनुभवहीन बताते हुए उनकी काबिलियत की भी हवा निकालने की कोशिश की है. दोनों भाई-बहन को बच्चा बताने की एक वजह तो कैप्टन की उम्र भी है और वो राजीव गांधी को अपना दोस्त बताते हैं. स्कूल में भी छोटे भाई जैसा. जूनियर, दून स्कूल में. कैप्टन अमरिंदर सिंह 1959 बैच के हैं जबकि राहुल गांधी 1960 बैच के थे.
लगे हाथ कैप्टन अमरिंदर सिंह का ये भी दावा है कि अगर नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब में कांग्रेस का चेहरा बनते हैं तो पार्टी के लिए दहाई का आंकड़ा छूना तक मुश्किल हो सकता है.
दरअसल, ये विवाद तब खड़ा हो गया जब पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत का बयान आ गया कि विधानसभा चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
मीडिया के नेतृत्व को लेकर सवाल पूछे जाने पर हरीश रावत ने कहा था, '...चुनावों के लिए पार्टी का चेहरा कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा तय किया जाएगा, लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तहत सीएम के मंत्रिमंडल के साथ चुनाव लड़ा जाएगा, जिसके प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू हैं - वो बहुत लोकप्रिय हैं.'
बात हरीश रावत ने भी मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के कैबिनेट के साथ चुनाव लड़ने की ही की थी, लेकिन सिद्धू की लोकप्रियता का हवाला देकर नया विवाद खड़ा कर दिया - और कैप्टन से पहले तो सख्त ऐतराज पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ही जता दिया.
On the swearing-in day of Sh @Charnjit_channi as Chief Minister, Mr Rawats’s statement that “elections will be fought under Sidhu”, is baffling. It’s likely to undermine CM’s authority but also negate the very ‘raison d’être’ of his selection for this position.
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) September 20, 2021
सुनील जाखड़ वैसे तो कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाये जाने को लेकर राहुल गांधी की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगे थे, लेकिन बाद में बिफर उठे. दरअसल, सबसे पहले सुनील जाखड़ को ही मुख्यमंत्री पद का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था, फिर सुखजिंदर सिंह रंधावा फ्रंटरनर बन गये. चरणजीत सिंह चन्नी का नाम फाइनल हो जाने के बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ ही सुनील जाखड़ को भी डिप्टी सीएम की पोस्ट का ऑफर था, लेकिन वो ठुकरा दिये.
ऐसा लगता है जैसे सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना कर कांग्रेस नेतृत्व ने झगड़ा खत्म करने की कोशिश की थी, वो तो असल में नये झगड़े की शुरुआत रही - और अब चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाये जाने के बाद वही झगड़ा तेजी से आगे आगे बढ़ता हुआ रफ्तार पकड़ने लगा है. एक विवाद चार लोगों के लिए 16 सीटों वाली चार्टर्ड फ्लाइट को लेकर भी हो रहा है.
असल में पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू सहित चार लोग 16 सीटों वाली चार्टर्ड फ्लाइट लेकर दिल्ली पहुंचे थे - और जो तस्वीर सिद्धू ने शेयर की थी उसी को रीट्वीट करते हुए कैप्टन के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने पैसों की बर्बादी का मुद्दा उठाया है.
Wonder who’s paying for such luxury - the state govt or @INCPunjab? Can’t be @sherryontopp or @CHARANJITCHANNI or @Sukhjinder_INC or #OPSoni for sure. Though eventually I guess it’s the common man who’ll end up footing the bill for their pleasures! 2/2
— Raveen Thukral (@RT_Media_Capt) September 21, 2021
हरीश रावत के सिद्धू को चुनावों में चेहरा बताने को लेकर कांग्रेस की तरफ से आधिकारिक तौर पर सफाई पेश की गयी है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि पार्टी मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पीसीसी अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू दोनों के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी.
कांग्रेस की सफाई अपनी जगह है, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जो कहा है कि सिद्धू को मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए वो कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं, उसमें आगे भी एक लाइन है - '2022 विधानसभा चुनाव में उसकी (नवजोत सिंह सिद्धू की) हार सुनिश्चित करने के लिए मजबूत शख्स को विरोध में खड़ा करूंगा.'
सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह आखिर नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ उनकी हार सुनिश्चित करने के लिए किस हैसियत से उम्मीदवार खड़ा करेंगे?
कांग्रेस में बने रह कर तो कैप्टन सिद्धू के खिलाफ कोई उम्मीदवार खड़ा कर नहीं सकते. अब तो वो इलेक्शन कैंपेन कमेटी के प्रभारी भी नहीं रहने वाले क्योंकि उसके लिए भी अब सुनील जाखड़ का नाम लिया जाने लगा है. खासकर, तभी से जब वो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ चंडीगढ़ से दिल्ली का सफर साथ में तय किये हैं. बताते हैं कि भाई-बहन शिमला से दिल्ली लौटने के लिए चंडीगढ़ एयरपोर्ट पहुंचे तो सुनील जाखड़ से भी मुलाकात हुई. सुनील जाखड़ उखड़े उखड़े तो पहले से ही हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि उनका गुस्सा शांत करने के लिए राहुल और प्रियंका ने फ्लाइट में उनको भी साथ बैठा लिया था.
कहीं कैप्टन कांग्रेस को तोड़ने की तरफ इशारा तो नहीं कर रहे हैं?
और इसके लिए ललकारते हुए कांग्रेस नेतृत्व को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं - क्योंकि सिद्धू के खिलाफ कैप्टन उम्मीदवार तो तभी उतार सकते हैं जब अपनी पार्टी बना लें या फिर कांग्रेस से निकाल दिये जाने के बाद किसी निर्दलीय को चुनाव लड़ने के लिए कहें?
मुमकिन ये भी है कि वो बीजेपी से हाथ मिला लें और सिद्धू के खिलाफ उम्मीदवार का सपोर्ट करते हुए उसके लिए कैंपेन करें, लेकिन ये तो तभी संभव होगा जब नवजोत सिंह सिद्धू भी किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ें - अगर सिद्धू ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर लिया तो?
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