मोदी का विजय-रथ रोकने निकला है गठबंधन राजनीति का चाणक्य
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के असफल प्रयास के बाद अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू एनडीए के विजयी रथ को रोकने के लिए महागठबंधन का झंडा लेकर देश-भ्रमण पर निकल चुके हैं. लेकिन सवाल ये कि क्या चंद्रबाबू इस मक़सद में कामयाब हो पाएंगे?
-
Total Shares
जैसे-जैसे 2019 का लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे महागठबंधन बनाने की तैयारियां भी तेज होती जा रही हैं. भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए को सत्ता में आने से रोकने के लिए समय-समय पर विपक्षी एकता एकजुट होती रही है. पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के असफल प्रयास के बाद अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू एनडीए के विजयी रथ को रोकने के लिए महागठबंधन का झंडा लेकर देश-भ्रमण पर निकल चुके हैं.
वो विपक्ष को एक छतरी के नीचे लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. वो राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं से लेकर क्षेत्रीय दलों के नेताओं से भी मिलकर एनडीए के खिलाफ महागठबंधन बनाने के लिए मिल रहे हैं. आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा नहीं मिलने के बाद से ही चंद्रबाबू नायडू एनडीए से अलग हुए और तब से ही भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता को एकजुट करने में ततपरता से जुटे हुए हैं.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू एनडीए से टक्कर लेने के लिए जी जीन से जुट गए हैं
लेकिन सवाल ये कि क्या चंद्रबाबू इस मक़सद में कामयाब हो पाएंगे? सबसे पहले चंद्रबाबू नायडू पर दूसरे दल कितना भरोसा करेंगे क्योंकि पहले भी वो एनडीए के साथ रह चुके हैं? क्या सभी दलों को साथ लेकर चलना इतना आसान होगा? आखिर महागठबंधन का प्रधानमंत्री कौन होगा? क्या राहुल गांधी को सभी दल नेता मानेंगे? या फिर कांग्रेस दूसरे दल के किसी नेता को प्रधानमंत्री का दावेदार मानेगा?
भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में चंद्रबाबू नायडू अब तक इन दलों के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं.
अक्टूबर 27:
पिछले महीने की 27 तारीख को दिल्ली में चंद्रबाबू नायडू ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, भाजपा के असंतुष्ट नेता यशवंत सिन्हा, सीपीआई नेता डी राजा व सुधाकर रेड्डी और लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव से गठबंधन बनाने को लेकर मुलाकात की थी.
नवंबर 1:
चंद्रबाबू नायडू ने 1 नवम्बर को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए दोनों नेताओं ने कहा था कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए वो दोनों साथ आए हैं और मिलकर काम करेंगे.
राहुल गांधी ने साथ आने का भरोसा दिया
उसी दिन चंद्रबाबू ने एनसीपी नेता शरद पवार, सपा नेता मुलायम सिंह तथा सीपीएम नेता सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की थी.
Met with the @samajwadiparty supremo, Sri Mulayam Singh Yadav and the former Chief Minister of UP, @yadavakhilesh ji today. pic.twitter.com/rTdzQZbJpV
— N Chandrababu Naidu (@ncbn) November 1, 2018
नवंबर 8:
चंद्रबाबू नायडू ने 8 नवम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से बेंगलुरु में मुलाकात की थी.
नवंबर 9:
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए के खिलाफ विपक्षी मोर्चा को इकट्ठा करने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए चेन्नई में डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से भी मिले थे.
Met with @mkstalin, President of @arivalayam & Leader of Opposition, Tamil Nadu to take forward the non-BJP alliance. pic.twitter.com/vse4V6i5lj
— N Chandrababu Naidu (@ncbn) November 9, 2018
इस तरह से चंद्रबाबू दस दिनों में करीब दर्जन भर विभिन्न दलों के नेताओं से मिल चुके हैं और देश में एनडीए के खिलाफ आमने-सामने की सीधी लड़ाई का माहौल बनाने में जुटे हैं. ऐसे में अगर चंद्रबाबू अपने मकसद में कामयाब होते हैं तो मोदी को अगले साल होने वाली लोक सभा चुनावों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
एनडीए में कुछ पार्टियां जुट सकती हैं
चंद्रबाबू की गोलबंदी से भाजपा को नए दलों का साथ भी मिल सकता है. जैसे तेलंगाना में केसीआर की टीआरएस, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन की वाईएसआर कांग्रेस, ओडिशा में बीजेडी और तमिलनाडु में एआईएडीएमके.
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में राह मुश्किल
लेकिन चंद्रबाबू के लिए उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में गठबंधन बनाना इतना आसान नहीं होगा. यूपी में एसपी-बीएसपी में सीटों को लेकर सहमति नहीं दिख रही है. मायावती लगातार प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने और राज्य में अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें मांग रही हैं, वहीं पश्चिम बंगाल में ममता और लेफ्ट को साथ लाना आसान नहीं होगा. ऐसे में दोनों राज्यों में जहां लोकसभा की 122 सीटें हैं इनके अरमानों पर पानी फेर सकती हैं.
कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि 2019 के लोक सभा चुनावों से पहले एनडीए को सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए विपक्षी दल महागठबंधन बनाने को लेकर लगातार प्रयासरत हैं. लेकिन ये इसमें कितना कामयाबी हासिल कर पाएंगे ये कह पाना मुश्किल है.
ये भी पढ़ें-
छत्तीसगढ़ चुनाव का कर्नाटक कनेक्शन
चुनाव में ही भाजपा को याद आते हैं ‘राम’
पीएम मोदी परिवारवाद के खिलाफ हैं, मगर MP चुनाव में सब जायज है...
आपकी राय