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Updated: 05 दिसम्बर, 2019 04:20 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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Citizenship Amendment Bill 2019 (नागरिकता संशोधन विधेयक), इन दिनों हर ओर इसी की चर्चा हो रही है. क्या सरकार, क्या सोशल मीडिया और क्या आम जनता, हर जगह नागरिकता संशोधन बिल पर बहस गरम है. जैसा हर प्रस्ताव के साथ होता है, नागरिकता संशोधन बिल के साथ भी वैसा ही हो रहा है. कुछ पार्टियां भाजपा (BJP) की ओर से लाए गए इस नागरिकता संशोधन विधेयक के साथ है, तो कुछ इसके खिलाफ अपने सुर बुलंद कर रही हैं. सोशल मीडिया भी इसी तरह दो धड़ों में बंटा नजर आ रहा है और आम जनता भी नागरिकता संशोधन बिल पर एकमत नहीं दिख रही. खैर, किसी भी मुद्दे पर सब एकमत नहीं दिखते हैं, लेकिन जिसे अधिकतर लोगों का साथ मिलता है, उसे ही मान लिया जाता है. नागरिकता संशोधन विधेयक के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. बता दें कि मोदी सरकार (Modi Government) ने पिछले कार्यकाल में भी इसे मंजूरी दिलाने की कोशिश की थी और इस बार ये मोदी सरकार का दूसरा प्रयास है. आइए जानते हैं कौन सी पार्टी इस विधेयक के साथ है और कौन खिलाफ.

Citizenship Amendment Bill 2019कृषक मुक्ति संग्राम समिति भी इस बिल का विरोध कर रही है. राजनीतिक पार्टियां भी इस बिल पर एकमत नहीं हो पा रही हैं.

विरोध करने वालों में कांग्रेस सबसे आगे

राष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो भाजपा की सबसे बड़ी विरोधी पार्टी कांग्रेस है और वह नागरिकता संशोधन बिल का पुरजोर विरोध कर रही है. राहुल गांधी ने इस बिल का खुला विरोध किया है और कहा है कि यह बिल देश के बेसिक आइडिया का ही उल्लंघन है. धर्म के आधार पर किसी को नागरिकता नहीं दी जा सकती है. उन्होंने तो इस बिल का विरोध करते हुए ये भी कहा कि पीएम मोदी और शाह सपनों की दुनिया में जी रहे हैं, जिसकी वजह से देश में दिक्कतें आ रही हैं.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी इस बिल का विरोध किया है और कहा है कि यह बिल समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है, जिसका हक आर्टिकल 14 के तहत मिला हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया है कि ये बिल गैर प्रवासियों के खिलाफ धर्म के आधार पर इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, बाद में उन्होंने ये कहा है कि भाजपा बिल में कुछ बदलाव करने जा रही है तो पहले कांग्रेस पार्टी बिल की पूरी स्टडी करेगी, उसके बाद ही इस बिल पर अपना स्टैंड साफ करेगी.

ओवैसी मानते हैं ये बिल भारत को इजराइल बना देगा

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल पर सरकार को घेरते हुए उसकी मंशा पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि 'अगर कोई नास्तिक हुआ तो सरकार क्या करेगी? इस तरह का कानून बनाने के बाद हम पूरी दुनिया में हमारा मजाक बनेगा. भाजपा सरकार हिंदुस्तान के मुसलमानों को संदेश देना चाहती है कि आप अव्वल दर्जे के शहरी नहीं हैं बल्कि दूसरे दर्जे के शहरी हैं. इस देश में नागरिकता पर दो कानून नहीं हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह धर्म के आधार पर नागरिकता देगा, जो हमारे संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है. औवेसी ने कहा कि सीएबी लाना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक अपमानजनक होगा, क्योंकि आप द्वी-राष्ट्र सिद्धांत को पुनर्जीवित कर रहे हैं.'

शिवसेना अभी भी भाजपा के साथ

मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में शिवसेना भाजपा के साथ थी और उसने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन भी किया था. इस बार शिवसेना और भाजपा में महाराष्ट्र चुनाव के चलते अनबन हो गई है, लेकिन शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल पर अपना स्टैंड नहीं बदला है. वह भले ही महाराष्ट्र में भाजपा की धुरविरोधी हो गई हो, लेकिन नागरिकता संशोधन बिल पर वह अभी भी भाजपा के साथ खड़ी दिख रही है. शिवसेना के विनायक राउत ने कहा है कि ये देश की सुरक्षा और देशभक्ति से जुड़ा मामला है, जिस पर हम हमेशा पॉजिटिव रहेंगे. संजय राउत ने कहा है कि महाराष्ट्र की बात अलग है, लेकिन जहां देश का मामला है वह हमारी कमिटमेंट हैं और हम उससे पीछे हटने वाले नहीं हैं. उन्होंने कहा कि देश का विषय अलग है और महाराष्ट्र का अलग.

जेडीयू ने लिया यूटर्न

जब नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया गया तो बिहार में भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू सदन से उठकर बाहर चली गई. यहां तक कि जेडीयू इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया. यहां तक कि पार्टी डिलिगेशन ने इसी साल की शुरुआत में उत्तर पूर्वी इलाकों का दौरा किया था और इस बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रही संस्थाओं से मिलकर वादा किया था कि वह इस बिल के खिलाफ वोट करेंगे. हालांकि, अब पार्टी ने अपना पक्ष बदल लिया है. पार्टी के अनुसार इस बिल में कुछ बदलाव किए गए हैं तो उत्तर पूर्वी इलाकों के लोगों की मांगों के हिसाब से हैं, इसलिए उन्होंने इस बिल का समर्थन करने का फैसला किया है.

बीजेडी भी चला जेडीयू की राह पर

जेडीयू की तरह ही बीजेडी ने शुरुआत में भाजपा के नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ थी, लेकिन अब वह भी भाजपा के साथ खड़ी नजर आ रही है. बीजेडी नेता महताब ने शुरुआत में कहा था कि ये बिल असम समझौते के खिलाफ है. लेकिन अब सूत्रों की माने जो बीजेडी ने इस बिल को लेकर भाजपा का साथ देने का फैसला किया है. बता दें कि ये फैसला बिल में उत्तर पूर्वी इलाकों के आदिवासी क्षेत्रों को शामिल ना किए जाने पर किया गया है.

बाकी पार्टियों का क्या है हाल?

- भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भाईचुग भुटिया ने इस बिल का सख्त विरोध किया है और कहा है कि यह बहुत ही खतरनाक बिल है, जो सिक्किम के लोगों को हित में बिल्कुल नहीं है. आपको बता दें कि 43 साल के भुटिया हमरो सिक्किम पार्टी के संस्थापक हैं.

- तृणमूल कांग्रेस की ओर से सौगतो रॉय और डेरेक ओब्रायन ने इस बिल के खिलाफ अपना विरोध दर्ज किया है. पार्टी की ओर से भी इस बिल को सेकुलर बनाने के लिए कहा गया है.

- वाईएसआरसीपी के विजयसाई रेड्डी ने भी इस बिल का समर्थन किया है. उन्होंने कहा है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि जिन्हें दूसरे देशों ने प्रताड़ित किया है, उनकी मदद की जाए. उन्होंने इस बिल को प्रोटेक्टिव डिस्क्रिमिनेशन कहा है.

- कृषक मुक्ति संग्राम समिति भी इस बिल का विरोध कर रही है. इसके एडवाइजर अखिल गोगोई ने समर्थकों के साथ मिलकर नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है.- भाजपा की दो अन्य सहयोगी शिरोमणि अकाली दल और एलजेपी ने भी इस बिल का समर्थन किया है.

- आप, एआईएडीएमके और टीआरएस ने भी इस बिल का समर्थन किया है.

- वहीं दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश की दो मुख्य पार्टियों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस बिल पर अपका रुख स्पष्ट नहीं किया है.

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