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Updated: 10 नवम्बर, 2019 04:29 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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शनिवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) ने अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir Verdict) बनाए जाने का पथ प्रशस्त कर दिया. अयोध्या केस (Ayodhya Case) में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन (Ayodhya Disputed Land) का मालिकाना हक हिंदू पक्ष को दिया और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का सरकार को आदेश दिया. इस फैसले पर जहां एक ओर पूरा देश जश्न मना रहा है, तो वहीं भाजपा में एक अलग ही खुशी की लहर दौड़ रही है. वैसे भी, भाजपा के वादों में से एक था राम मंदिर निर्माण का वादा, जिसे उसने पूरा कर दिया है. राम मंदिर निर्माण भाजपा का एजेंडा था, जिसके दम पर 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने जनता से वोट मांगे थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में धारा 370 (Article 370) के नाम पर वोट मांगे थे, जिसे वह पहले ही खत्म कर चुकी है. वहीं तीन तलाक (Tripal Talaq) और एनआरसी (NRC) यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिजिटन जैसे मुद्दों पर भी भाजपा ने देश की जनता का दिल जीत रही है. अब अगर गौर किया जाए तो भाजपा का सिर्फ एक ही एजेंडा बाकी है, कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) यानी समान आचार संहिता, जिसका इशारा भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने दे दिया है.

Rajnath Singh Common Civil Code Ayodhya Ram Mandir Verdictराजनाथ सिंह ने कह दिया है कि अब समान आचर संहिता का समय आ गया है.

राजनाथ सिंह ने दे दिया है इशारा

अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उसका राजनाथ सिंह ने स्वागत भी किया और सराहना भी की. उन्होंने इस फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताया. इसी बीच जब उनसे पत्रकारों ने समान आचार संहिता को लेकर सवाल पूछा तो वह बोले कि अब समय आ गया है. यानी अब ये तय समझिए कि आने वाले कुछ दिनों में समान आचार संहिता पर बहस एक बार फिर से गरमाने वाली है और इसे लागू करने की दिशा में सरकार अपनी कोशिशें शुरू कर देगी.

भाजपा के एजेंडे का आखिरी अधूरा अध्याय

समान आचार संहिता भाजपा के एजेंडे का आखिरी अधूरा अध्याय है. अधूरा इसलिए, क्योंकि इस पर भाजपा की पहल के बाद बहस तो शुरू हो चुकी है, लेकिन सब कुछ बेनतीजा है. हालांकि, अब इसका भी नतीजा निकलेगा, क्योंकि मामला कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दे चुका है. आपको बता दें कि सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय समान आचार संहिता को लागू करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर एक्शन लेने वाला है. मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की बेंच 15 नवंबर को इस मामले की सुनवाई करेगी. आपको बता दें कि मई में ही अदालत ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह इसे लागू करने के संबंध में जनहित याचिका पर अपना हलफनामा दायर करने को कहा था. बता दें कि संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्‍छेद 44 के तहत राज्‍य की जिम्‍मेदारी बताया गया है, लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो पाया. इसे लेकर एक बड़ी बहस चलती रही है.

क्या है समान आचार संहिता?

अगर आसान भाषा में समझें तो कॉमन सिविल कोड यानी समान आचार संहिता का मतलब है देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून. चाहे वह किसी भी धर्म का हो, कानून की नजर में उसे समान नजर से देखा जाएगा. यानी ये एक तरह का निष्पक्ष कानून होगा. जब ये कानून बन जाएगा तो चाहे कोई शख्स हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई हो, सबको एक ही कानून का पालन करना होगा. यानी एक पत्नी के रहते दूसरी शादी नहीं करना अगर हिंदू धर्म में अपराध माना जाता है, तो वह मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म में भी अपराध ही रहेगा. ऐसा नहीं होगा कि मुस्लिम धर्म के लोगों को 3 शादियां करने की अनुमति हो और तीन बार तलाक कह देने भर से वह अपनी पत्नी को तलाक दे दे. वैसे तीन तलाक पर तो लगाम पहले ही लग चुकी है, कॉमन सिविल कोड आने के बाद 3 शादियों की परंपरा भी खत्म हो जाएगी. आपको बता दें कि अभी तक मुस्लिम समुदाय का ये तर्क होता है कि ये सब मामले उनके पर्सनल लॉ के तहत आते हैं, जिसमें देश का कानून हस्तक्षेप नहीं कर सकता और यही तर्क बाकी धर्मों के लोगों के बीच नाराजगी की वजह बनता है.

आखिर समान आचार संहिता की क्या जरूरत है?

ये वो सवाल है जो बहुत से लोग पूछते हैं. आखिर क्या जरूरत है समान आचार संहिता लागू करने की? क्यों हर धर्म के लोग अपने-अपने धर्म के कानून के हिसाब से नहीं रह सकते? आपको बता दें कि अलग-अलग धर्मों के अलग-अलग कानून की वजह से न्यायपालिका पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. इसके लागू हो जाने से एक तो न्यायपालिका का बोझ कम होगा ऊपर से समय बचने और एक कानून होने की वजह से बहुत से लंबित मामलों का निपटारा भी जल्द हो सकेगा. वहीं दूसरी ओर, जब हर धर्म का कानून एक सा होगा, तब वास्तव में सभी नागरिकों के अधिकार और कानून एक होने की बात कही जा सकती है. उस स्थिति में नागरिकों में एकता बढ़ेगी. और हां, जब समान कानून होगा तो कोई अलग-अलग धर्मों का इस्तेमाल अपनी राजनीति चमकाने के लिए नहीं कर सकेगा. यानी वोटों के ध्रुवीकरण में भी कमी आएगी, जिससे निष्पक्ष चुनाव में मदद मिलेगी.

सभी के लिए कानून में एक समानता से देश में एकता बढ़ेगी और जिस देश में नागरिकों में एकता होती है, किसी प्रकार वैमनस्य नहीं होता है वह देश तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा. देश में हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होने से देश की राजनीति पर भी असर पड़ेगा और राजनीतिक दल वोट बैंक वाली राजनीति नहीं कर सकेंगे और वोटों का ध्रुवीकरण नहीं होगा. यहां सोचने वाली बात ये है कि जब ये कानून इतना ही अच्छा है तो इसका विरोध क्यों हो रहा है. दरअसल, ऐसा होने से कई धर्मों में मनमाने कानून बनाने और लागू करने की परंपरा खत्म हो जाएगी, इसलिए वही इसका विरोध कर रहे हैं. खैर, भले ही भारत में इस कानून को लेकर विरोध हो रहा है, लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे देश पहले ही अपने देश में कॉमन सिविल कोड लागू कर चुके हैं.

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