Kartarpur corridor: सिखों के कंधे पर बंदूक रखकर पाकिस्तान का भारत पर निशाना!
करतारपुर साहिब कॉरिडोर(Kartarpur Sahib corridor) श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया. लेकिन इस निर्माण के पीछे पाकिस्तान की मंशा भारत से संबंध बेहतर करना नहीं है. वाहेगुरू के चमत्कार का नाम लेकर सिखों की भावनाओं से खेल रहा है पाकिस्तान.
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श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर भारत-पाकिस्तान के बीच की दीवार को तोड़ दिया गया और करतारपुर साहिब कॉरिडोर(Kartarpur Sahib corridor) श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया. प्रधानमंत्री मोदी (Modi) ने करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान(Imran Khan) को आभार जताया कि उन्होंने भारत की भावनाओं को समझा, उसका आदर किया और तय समय सीमा के तहत Kartarpur Corridor का निर्माण करवाया.
लेकिन इस निर्माण के पीछे पाकिस्तान की मंशा भारत से संबंध बेहतर करना नहीं है. आप पाकिस्तान के इरादे इस बात से समझ सकते हैं कि इस उद्घाटन समारोह पर पाकिस्तान ने दरबार साहिब गुरुद्वारा पर एक पिलर लगाया है जिस पर एक बम का प्रदर्शन किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि ये वो बम था जो 1971 के युद्ध में भारतीय वायु सेना द्वारा इस पवित्र स्थान पर फेंका गया था. इस बम को कांच के एक बॉक्स में रखा गया है जिसे एक पिलर के ऊपर रखा है. और उस पिलर पर सिख समुदाय से जुड़े चिन्ह बनाए गए हैं. पिलर के बगल में ही इसके बारे में लिखा गया है- 'Miracle of Waheguruji.' यानी वाहेगुरू जी का चमत्कार.
भला ऐसी जगह पर ये बम दिखाकर क्या प्रदर्शित करना चाहता है पाक?
विस्तार से लिखा गया है कि- भारतीय वायु सेना ने इस बम को 1971 के दौरान गुरुद्वारा दरबार साहिब श्री करतारपुर साहिब को नष्ट करने के उद्देश्य से गिराया था. हालांकि, वाहगुरु जी (सर्वशक्तिमान अल्लाह) के आशीर्वाद के कारण इस दुर्भावना को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका. ये बम श्री खो साहिब (पवित्र कुएं) में गिर गया और दरबार साहिब को कोई क्षति नहीं पहुंची. यहां यह बताना भी जरूरी है कि ये वही पवित्र कुआं है जहां से श्री गुरु नानक देव जी को अपने खेतों की सिंचाई के लिए पानी मिलता था.
वाहेगुरू के चमत्कार का नाम लेकर सिखों की भावनाओं से खेल रहा है पाकिस्तान
इस तरह के प्रदर्शन से पाकिस्तान वाहेगुरू जी का चमत्कार नहीं बल्कि ये दिखाने की कोशिश कर रहा है कि भारत ने जानबूझकर गुरुद्वारे को नष्ट करना चाहा था. इसमें वो सिखों के कंधे पर बंदूक रखकर भारत पर निशाना लगा रहा है. और ये दिखाकर वो भारत की छवि सिखों की नजर में खराब करना चाहता है. इसको लेकर विरोध भी हो रहे हैं और पाकिस्तान के इस प्रपोगंडा की आलोचना भी.
This is what would welcome visitors into #KartarpurSahib.A bomb and a board saying India dropped the bomb in 1971 but the Gurudwara remained "unheart" (unhurt) and India's "evil" designs didn't materialise.#IndoPak MoU states #KartarpurCorridor will not be used for propaganda. pic.twitter.com/dvaQhtH2cL
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) November 8, 2019
बम के इस प्रदर्शन ने पाकिसातन की नियत साफ कर दी. और जो कसर थी वो इमरान खान ने पूरी कर दी. करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह में भाषण देते वक्त इमरान खान इंसानियत की बात कर रहे थे. उनकी चाश्नी से तरबतर बातें लोगों को मीठी लग रही थीं लेकिन भारत के बारे में बात हो और इमरान के दिल की बात न निकले? बातों बातों में वो अपने भाषण को कश्मीर की तरफ मोड़ ले गए. उन्होंने कश्मीर पर अफसोस जताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कश्मीर मामले पर समझाइश देने लग गए. ये बताना नहीं भूले कि कश्मीर की वजह से ही दोनों देशों के बीच संबंध खराब हैं और अगर बातचीत होगी तो दोनों देशों की नफरतें भी खत्म हो जाएंगी.
इमरान के मुंह से चाश्नी टपक रही थी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भारत और प्रधानमंत्री मोदी के लिए जहर उगल रहे थे. सुनिए अयोध्या मामले पर आए फैसले (Ayodhya verdict) पर कुरैशी ने क्या कुछ कहा-
इतना ही नहीं इमरान खान ने पिछले साल 28 नवंबर को जब अपने यहां शिलान्यास कार्यक्रम किया था तब खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला को सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ देखा गया था. ये तो तभी समझ आ गया था कि पाकिस्तान का सिखों की धार्मिक भावनाओं के लिए सम्मान महज दिखावा है उसका असली मकसद तो पंजाब में अलगाववाद को बढ़ावा देना है.
इसके अलावा एक बात और पाकिस्तान की नियत से पर्दा उठाती है. करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए पाकिस्तान ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले समेत तीन अलगाववादी नेता नजर आ रहे हैं. ये सब खालिस्तानी आतंकवाद के प्रमुख चेहरे थे जो जून 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार में मारे गए थे. इस वीडियो में प्रतिबंधित खालिस्तानी समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस का पोस्टर भी है जो पंजाब को भारत से अलग कराने के नाम पर जनमत संग्रह-2020 के लिए अभियान चला रहा है.
क्या अब भी किसी और सबूत की जरूरत है ये साबित करने के लिए कि पाक्सितान भरोसा करने लायक नहीं है.
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