कांग्रेस की CAA विरोधी मुहिम में तो सिब्बल, जयराम और खुर्शीद ही रोड़ा बनने लगे!
कांग्रेस के CAA विरोध (Congress CAA Protest) की राह में पार्टी नेताओं (Kapil Sibal Jairam Ramesh and Salman Khurshid) की राय ही रोड़ा बन रही है - आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan) के सपोर्ट में ये नेता एक तरीके से वही कह रहे हैं जो PM नरेंद्र मोदी और अमित शाह (Narendra Modi and Amit Shah) घूम घूम कर समझा रहे हैं.
-
Total Shares
केरल के बाद कांग्रेस शासित पंजाब ने भी नागरिकता संशोधन कानून (Congress CAA Protest) के खिलाफ प्रस्ताव पास कर दिया है. कांग्रेस कार्यसमिति ने तो पहले ही CAA के विरोध का फैसला कर लिया था - लेकिन अब कांग्रेस के ही 3 सीनियर नेता (Kapil Sibal Jairam Ramesh and Salman Khurshid) पार्टी के स्टैंड के खिलाफ खड़े हो गये हैं - कपिल सिब्बल, जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद. इन नेताओं की मानें तो पंजाब सरकार क्या किसी भी राज्य सरकार के ऐसा कदम का कोई तुक नहीं बनता. ऐसा कुछ करना संविधान के खिलाफ होगा और उससे समस्यायें पैदा हो सकती हैं. ये नेता भी वही बातें कर रहे हैं जो शुरू से बीजेपी की तरफ से मीडिया में आकर रविशंकर प्रसाद समझाते रहे हैं.
कांग्रेस के ये नेता केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (Kerala Governor Arif Mohammad Khan) के सपोर्ट में सामने आये हैं - और उनके हिसाब से देखें तो केरल और पंजाब सरकार दोनों के ही प्रस्ताव गैर संवैधानिक हैं.
देखा जाये तो तीनों नेताओं की दलील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमितशाह (Narendra Modi and Amit Shah) के पक्ष में ही जा रही है - और ये कांग्रेस नेतृत्व की CAA विरोध की मुहिम में ही रोड़ा साबित होने जा रहा है.
कांग्रेस की CAA विरोध मुहिम में फंसा पेंच
कांग्रेस के भीतर नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के खिलाफ वैसे ही लामबंदी होने लगी है जैसी कभी जम्मू-कश्मीर को लेकर धारा 370 के मामले में रही. कांग्रेस ने धारा 370 का विरोध किया था लेकिन देश में उभर कर आयी जनभावना को देखते हुए कार्यकारिणी की मीटिंग में ही कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी लाइन से अलग अपनी बात रखी. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को लेकर मुहिम जारी रखने पर CWC की मंजूरी भी मिल चुकी है. CWC की बैठक में CAA विरोध को मंजूरी मिलने के बाद ऐसा करने के पीछे प्रेरणास्रोत बने जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेतृत्व को शुक्रिया भी कहा था. दरअसल, प्रशांत किशोर ने गैर-बीजेपी मुख्यमंत्रियों से CAA का विरोध करने की अपील के साथ साथ कांग्रेस नेतृत्व को ट्विटर पर तंज कसा था कि सड़क पर कांग्रेस का विरोध नजर नहीं आ रहा है. प्रशांत किशोर का कहना था कि कम से कम कांग्रेस के मुख्यमंत्री तो विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो ही सकते हैं - और कांग्रेस नेतृत्व अपने मुख्यमंत्रियों से ये तो कह ही सकता है कि वे अपने राज्यों में CAA लागू न होने देने की घोषणा करें. प्रशांत किशोर ने इस पर कांग्रेस की तरफ से आधिकारिक रूख साफ करने को कहा था.
नागरिकता कानून के खिलाफ आवाज तो मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने भी उठायी लेकिन औपचारिक तौर पंजाब के CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ही आगे आये हैं. 17 जनवरी को अमरिंदर सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव किया और CAA को वापस लेने की मांग की. विधानसभा में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनकी सरकार भेदभाव करने वाले कानून को राज्य में लागू नहीं करेगी.
जयराम रमेश पहले PM नरेंद्र मोदी को खलनायक न साबित करने की सलाह दे चुके हैं.
सोनिया गांधी ने खुद रामलीला मैदान में रैली की और लोगों से इसके खिलाफ घरों से बाहर निकल कर आने की अपील की. फिर वो पूरे परिवार के साथ राजघाट पहुंचीं. संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी किया. कांग्रेस की स्थापना दिवस पर राहुल गांधी ने गुवाहाटी तो प्रियंका गांधी ने लखनऊ पहुंच कर विरोध जताया - अपने विरोध को जारी रखते हुए प्रियंका गांधी लखनऊ के बाद मुजफ्फरनगर और वाराणसी तक का दौरा कर चुकी हैं.
नागरिकता कानून को लेकर भी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ जिन नेताओं ने अपनी बात रखी है उनमें जयराम रमेश के अलावा कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद भी हैं. ये तीनों की नेता कांग्रेस शासन में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद तो सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील भी हैं जो कांग्रेस और उसके नेताओं की कानूनी लड़ाई अब भी लड़ रहे हैं.
CAA पर कांग्रेस नेताओं की दलील
केरल सरकार विधानसभा में प्रस्ताव पास करने के बाद सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची है. वाम मोर्चे की केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि CAA संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है. ये समानता के अधिकार का भी उल्लंघन है और संविधान में दर्ज धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ भी है.
पी. विजयन सरकार के इस कदम पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने सख्त टिप्पणी की थी. साथ ही ये भी कहा था कि केरल सरकार और उनके बीच कोई फर्क नहीं होता है, लेकिन वो सिर्फ एक रबर स्टांप भी नहीं हैं. आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य सरकार की तरफ से कोई औपचारिक जानकारी न दिये जाने पर भी नाराजगी जतायी, 'मैं संवैधानिक तौर पर प्रमुख हूं और मुझे इसके बारे में न्यूज पेपर से पता चलता है.'
गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि नागरिकता का मसला केंद्र के अधीन आता है और नागरिकता कानून को लागू करने के अलावा राज्य सरकारों के पास कोई चारा नहीं है. कपिल सिब्बल, जयराम रमेश और उनके बाद सलमान खुर्शीद सभी ने आरिफ मोहम्मद खान की इसी बात के समर्थन में बयान दिया है.
कपिल सिब्बल कहते हैं - जब नागरिकता कानून संसद से पास हो चुका है तो कोई भी राज्य सरकार ये नहीं कह सकती है कि वो उसे लागू नहीं करेगी.
कपिल सिब्बल ने अपनी राय साफ करते हुए कहा, 'आप CAA का विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र से कानून वापस लेने की मांग कर सकते हैं - लेकिन संवैधानिक रूप से ये कहना कि इसे लागू नहीं किया जाएगा, समस्याएं पैदा कर सकता है.'
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इसे लेकर आशंका जतायी है - 'जो राज्य ये कह रहे हैं कि वे अपने प्रदेश में CAA लागू नहीं करेंगे, अदालत में उनका ये तर्क टिक पाएगा या नहीं इस बारे में वे सौ फीसदी इत्मीनान नहीं है.'
सलमान खुर्शीद की राय भी कपिल सिब्बल से ही मिलती जुलती ही है, लेकिन वो दो टूक कह रहे हैं, 'जब तक ऐसे मामले में सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देता है, तब तक संविधान का पालन करना होगा अन्यथा इसके दुष्परिणाम होंगे.'
अब तक CAA के विरोध का दो तरीका सामने आया है - एक, नागरिकता कानून को केंद्र सरकार से वापस लेने की मांग और दूसरा, राज्य विधानसभा में इसे लागू न करने का प्रस्ताव. विरोध का प्रस्ताव सबसे पहले पास करने वाली केरल सरकार तो सुप्रीम कोर्ट भी इसके खिलाफ पहुंच चुकी है. केरल की पी. विजयन सरकार ने 31 दिसंबर को ही ये प्रस्ताव पास किया था.
कांग्रेस के जिन तीन नेताओं ने पार्टी के CAA विरोध पर अपनी राय जाहिर की है उनमें जयराम रमेश पहले भी नेतृत्व को आगाह कर चुके हैं. अगस्त, 2019 में जयराम रमेश के साथ साथ शशि थरूर और अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कांग्रेस नेतृत्व को सलाह दी थी कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खलनायक की तरह पेश करने से परहेज करे. तीनों नेताओं का मानना था कि हर बात पर विरोध करने से विरोध का कोई असर भी नहीं होता और आखिरकार वो बेमतलब समझा जाने लगता है.
कांग्रेस के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए लगता तो नहीं कि पार्टी में ऐसे नेताओं की राय को कोई अहमियत दी जाएगी - लेकिन इतना तो तय है कि तीन तलाक और धारा 370 के बाद नागरिकता कानून को लेकर कांग्रेस के विरोध का तेवर तीखा होने की जगह नरम पड़ सकता है.
इन्हें भी पढ़ें :
सोनिया गांधी न JP हैं न ही अन्ना - घरों से कोई क्यों निकले?
CAA protest में Mani Shankar Aiyar के उतरने का ही तो इंतजार था बीजेपी को
केजरीवाल के चक्कर में नीतीश को तो नहीं फंसा रहे प्रशांत किशोर?
आपकी राय