Uttar Pradesh में कम्युनिटी स्प्रेड की तरफ धर्म-जाति की सियासत का कोरोना
कोरोना वायरस (Coronavirus ) के मद्देनजर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), और खासतौेर पर राजधानी लखनऊ (Lucknow) का बुरा हाल है. कोरोना के साथ धर्म (Religion) और जाति (Caste) की सियासत भी उफान पर है. ये तीनों वायरस अपना-अपना रंग दिखा रहे हैं और तेजी से फैल रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना के साथ धर्म और जाति की सियासत भी उफान पर है. ये तीनों वायरस अपना-अपना रंग दिखा रहे हैं और तेजी से फैल रहे हैं. उत्तर प्रदेश और इसकी राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. शर्मनाक बात ये है कि गंभीर स्थिति पर फिक्र और समाधान के बजाय इस कठिन वक्त में यहां जाति और धर्म की राजनीति भी तेजी से फैल रही है. कानपुर में विकास दुबे कांड के बाद जाति की सियासत के रंग दिखे तो राम मंदिर की भूमि पूजा/कार्यारंभ के बाद धर्म की सियासत ने धार्मिक उन्माद को जिन्दगी देने की खूब कोशिश की. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवेसी (Asaduddin Owaisi) और सपा सांसद शफीकउर्रहमान ने राम मंदिर निर्माण पर सियासत शुरु कर दी. न्यायालय के फैसले के बाद शांति और सौहार्द का काबिले तारीफ माहौल बना था. अयोध्या विवाद (Ayodhya Dispute) खत्म हो चुका था, लेकिन राम मंदिर (Ram Temple) के कार्यारंभ के साथ कुछ जहरीले बयानों ने धर्म की सियासत को भी गहरा दिया.
यूपी में कोरोना के साथ धर्म और जाति की सियासत भी उफान पर है
इधर विकास दुबे मामले में भाजपा से ब्राह्मण समाज की नाराजगी की खबरें आने लगीं थी. जिसके बाद यूपी में विपक्षी दलों ने ब्राह्मण समाज को रिझाने की कोशिशें तेज कर दीं. समाजवादी पार्टी ने इस कोरोना काल में भगवान परशुराम की प्रतिमायें लगाने का एलान कर दिया है. लखनऊ में 108 फीट लम्बी भव्य मूर्ति स्थापित की जायेगी. साथ ही यूपी के सभी जिलों में भी परशुराम की प्रतिमाएं लगाने की बात की गयी है. बताया जाता है सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के माता प्रसाद पांडेय, अभिषेक मिश्रा, मनोज पांडेय और अन्य ब्राह्मण नेताओं के साथ बैठक में इस तरह की योजना की रूपरेखा तैयार की. साथ ही अन्य गतिविधियों से ब्राह्मण समाज को अपने पक्ष में लाने के गुरुमंत्र दिये.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी ग्यारह फीसद है.यूपी की सियासत के किंग मेकर कहे जाने वाली इस सवर्ण जाति को वैसे तो भाजपा का पारंपरिक समर्थक कहा जाता है लेकिन समय समय पर ब्राह्मण समाज का मिजाज बदलता रहा है. कभी वो कांग्रेस के साथ था. बीच में बसपा और सपा की कामयाबी में भी इस जाति के जनसमर्थन का श्रेय जाता रहा है.
यही कारण है कि जब से भाजपा से इनकी नाराजगी का जिक्र छिड़ा है तब से सपा के अलावा कांग्रेस और बसपा भी ब्राह्मणों पर डोरे डालने की तैयारी मे है. लखनऊ नज़ाकत के लिए ही नहीं गंदी सियासत के लिए भी पहचाना जाता है. अब से करीब तीस बरस पहले देश की राजधानी से मंडल-कमंडल की राजनीति ने जन्म लिया था, किंतु धर्म और जाति की सियासत का ये शिशु उत्तर प्रदेश की राजधानी में पला बढ़ा.
और यूपी में खूब फलता-फूलता रहा, आबाद होता रहा. धर्म की सियासत जब परवान चढ़ी तो करीब तीस बरस के संघर्ष के बाद भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गया. पिछले तीन दशक के दरम्यान ही यूपी में परवान चढ़ी जातिगत राजनीति और मुस्लिम तुष्टिकरण के कॉकटेल से समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अस्तित्व में आयी. इन दलों ने कई-कई बार उत्तर प्रदेश की सत्ता हासिल की.
कोरोना वायरस की तरह धर्म-जाति का वायरस भी बेहद ख़तरनाक है. ये भी छूत की बीमारी की तरह तेज़ी से फैलता है. पूरी दुनिया में फैलने वाले कोरोना संक्रमण का जन्म चीन के मुहान शहर मे हुआ था. भारत में धर्म और जाति की सियासत का वायरस उत्तर प्रदेश में फला फूला और इसने फिर पूरी भारतीय सियासत को दूषित किया. ज़हर-ज़हर को काटता है.
जब जाति की राजनीति का सर्प फन उठाता है तो धर्म की सियासत का नेवला उसे चुनौती देने आ जाता है. ऐसे ही जाति की राजनीति करने वालों को शिकस्त देने वाले प्रतिद्वंद्वी धार्मिक कट्टरता का जहर घोलते हैं. एक बार फिर यूपी की सियासी जमीन पर सांप और नेवले की लड़ाई के संकेत दिख रहे हैं. धर्म की राजनीति जीतेगी या जाति की सियासत, अभी ये नहीं पता, पर कोई भी जीते लेकिन इस सियासी लड़ाइयों के चक्कर में कोरोना को हराने की लड़ाई कमजोर पड़ रही है.
और जनता कोरोना से हार रही है. इसलिए आजकल लखनऊ मुस्कुरा नहीं रहा, घबरा रहा है. यहां धर्म-जाति और कोरोना वायरस का नंगा नाच लखनऊ के मिजाज का सुख-चैन छीने हुए है.
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