वोटिंग के ऐन पहले 'फर्जी' वोटर आईडी मामले के मास्टरमाइंड का मकसद क्या है
फ्लैट की मालकिन के सामने आने के बाद ये तो साफ है कि बीजेपी का दावा सही नहीं है, लेकिन जेडीएस उम्मीदवार की भूमिका संदिग्ध हो गयी है. सवाल जस का तस है कि मास्टरमाइंड का मकसद आखिर क्या है?
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कोई कह रहा है 10 हजार, कोई 20 हजार और किसी का दावा तो 50 वोटर आईडी होने का है. वैसे कर्नाटक चुनाव आयोग ने 9,746 आईडी कार्ड ही सीज किये हैं.
बीजेपी इन वोटर आईडी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रही है. कांग्रेस का इल्जाम है कि बीजेपी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है. कांग्रेस ने इसमें बीजेपी नेता के हाथ होने का सबूत भी पेश कर रही है.
प्रचार के आखिरी दौर में सामने आया ये मामला इतना तूल पकड़ लिया कि चुनाव आयोग को आधी रात को ही प्रेस कांफ्रेंस बुलानी पड़ी - और उसके बाद तो बीजेपी और कांग्रेस के नेता बारी बारी शुरू ही हो गये.
मास्टरमाइंट कौन?
कांग्रेस का दावा है कि जिस फ्लैट में वोटर आईडी कार्ड मिले हैं उसकी मालकिन बीजेपी की पूर्व निगम पार्षद हैं. कांग्रेस का आरोप है कि पूर्व पार्षद मंजुला नंजामरी ने अपने गोद लिए बेटे राकेश को फ्लैट किराये पर दे रखा है. कांग्रेस को इस मामले में राकेश पर ही शक हो रहा है और उसी के नाम पर वो बीजेपी को घेर रही है.
आखिर कितने आई कार्ड थे?
ये मामला कर्नाटक के आरआर नगर विधानसभा क्षेत्र का है. इलाके से जेडीएस उम्मीदवार जगदीश रामचंद्र ने ही ये मामला सामने लाया है. बताते हैं कि जगदीश चुनाव प्रचार के सिलसिले में उस अपार्टमेंट में पहुंचे थे तभी उन्हें शक हुआ क्योंकि वो उन्हें ब्रुहत बेंगलुरू महानगर पालिके के छोटे से दफ्तर जैसा लगा. जगदीश रामचंद्र के अनुसार आईडी कार्ड से भरे एल्युमिनियम के दो बक्सों के अलावा वहां दो प्रिंटर और छह लैपटॉप भी थे. जगदीश रामचंद्र का दावा है कि वहां 50 हजार फर्जी वोटर आईडी रखे हुए हो सकते हैं - और उनका आरोप है कि लिस्ट में ब्रुहत बेंगलुरू महानगर पालिके के एक ज्वाइंट कमिश्नर का भी नाम रहा.
इस मामले में पुलिस एक्शन पर भी सवाल उठाये गये. आरोप है कि छापेमारी में देर होने के कारण सबूतों को नष्ट करने की कोशिश हुई - और मौके से सामान हटा दिये गये.
कांग्रेस का कहना है कि मंजुला ने बीजेपी के टिकट से 2015 में निगम पार्षद का चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के हाथों उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. कर्नाटक बीजेपी के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर कहते हैं, 'मंजुला अंजामरी का बीजेपी से कुछ लेना देना नहीं... वो 6 साल पहले बीजेपी छोड़ चुकी हैं... अब वो कांग्रेस की सदस्य हैं...'
जावड़ेकर का कहना है कि कांग्रेस वाले बगैर सबूत उनकी पार्टी पर इल्जाम लगा रहे हैं. जावड़ेकर का कहना है कि उनके पास काफी सबूत हैं और बीजेपी चुनाव आयोग के सामने पेश कर देगी.
जावड़ेकर इस बात से इंकार कर रहे हैं कि राकेश मंजुला का बेटा है. जावड़ेकर, राकेश को व्हीसलब्लोअर बता रहे हैं. जावड़ेकर कहते हैं, "वो हमारा कार्यकर्ता है और हमे उस पर गर्व है." इस बीच श्रीधर नाम के शख्स का कहना है कि वही मंजुला का इकलौता बेटा है और राकेश उसकी मां का भतीजा लगता है. श्रीधर की मानें तो राकेश का उस फ्लैट से कोई कनेक्शन नहीं है क्योंकि वो तो रंगराजू नाम के व्यक्ति को दिया गया है जो हर महीने किराया देते हैं. श्रीधर की बातें भी प्रकाश जावड़ेकर के दावे की पुष्टि करती हैं.
जावड़ेकर ने दो मांगें रखी हैं - एक, आरआर नगर चुनाव को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाये. दो, फ्लैट की मालकिन मंजुला को गिरफ्तार किया जाये. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बेलाग लपेट के बोला है, "इसकी जांच का जिम्मा चुनाव आयोग का है. मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं कहना." लेकिन सिद्धारमैया ये भी कहते हैं - "कांग्रेस की लगातार निगरानी चल रही है. 12वीं बार मैं चुनाव लड़ रहा हूं लेकिन ऐसा पहली बार है जब चुनाव के वक्त ये छापेमारी हो रही है. ये सरकारी मशीनरी की बर्बादी है."
साथ ही, बीजेपी नेता सदानंद गौड़ा ने इसके पीछे आरआर नगर से कांग्रेस उम्मीदवार मुनीरत्ना नायडू का हाथ बताया है. लेकिन ऐन मौके पर सामने आकर फ्लैट की मालकिन मंजुला ने बीजेपी को कठघरे में खड़ा कर दिया है. मंजुला का कहना है कि वो 1997 से 2002 तक बीजेपी की कृपा से पार्षद बनीं थीं - लेकिन कांग्रेस में नहीं हैं.
From 1997-2002 I was a corporator, and BJP helped me win. I was just a house wife and BJP supported me, so I consider myself under their 'sharan'. I am not a Congress person,will never be: Manjula Nanjamari,owner of Bengaluru flat from where fake voter IDs were seized pic.twitter.com/e4vEAPRLII
— ANI (@ANI) May 9, 2018
प्रथम दृष्या तो फर्जी नहीं लगता!
जिन वोटर आईडी को फर्जी माना जा रहा है, उनके बारे में चुनाव आयोग को ही नहीं लग रहा कि वे सही नहीं हैं. वे किस मकसद से वहां इकट्ठा की गयी थीं, ये अलग बात है.
कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी संजीव कुमार के अनुसार शुरुआती वेरीफिकेशन के बाद तो यही लगता है कि वे वोटर आई कार्ड असली मतदाताओें के ही हैं. फिर तो जब तक अंतिम जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती इन वोटर आई कार्ड को फर्जी मान कर चलना भी ठीक नहीं होगा. हां, ये कहां से आये? कैसे लोगों से लिये गये? इन्हें असली मतदाताओं से किसने हासिल किये और उनका मकसद क्या रहा - ये सब जानना बेहद जरूरी है.
फ्लाइंग स्क्वॉयड के अधिकारी बायरे गौड़ा बताते हैं, "जो आईडी हैं वे असली हैं और 10 से 15 साल पुरानी हैं. हम इस बात की भी जांच करेंगे कि इनमें फर्जी भी हैं क्या?"
असलियत का इंतजार
भारी मात्रा में वोटर आईडी जुटाने का मकसद अपनी जगह है लेकिन मामला काफी पेंचीदा लगता है. निशाने पर कांग्रेस है और वोटर आईडी के भंडार का पता जेडीएस उम्मीदवार को सबसे पहले लगता है. बीजेपी राकेश को हीरो बता रही है, मंजुला को गिरफ्तार करने की मांग कर रही है - और पूरे मामले के लिए जिम्मेदार कांग्रेस को बता रही है.
मंजुला का कहना है कि वो सोलह साल पहले वो भी बाकियों की तरह एक आम गृहिणी थीं और बीजेपी की शरण में थीं - और उसी की कृपा से पार्षद बनीं. कांग्रेस में न तो वो कभी रहीं और न ही कभी जाएंगी.
मंजुला के बयान से बीजेपी के दावे की तो धज्जियां उड़ गयी हैं. जाहिर है कांग्रेस को अब और हमले का मौका मिलेगा, लेकिन इसमें जेडीएस की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है. चुनाव प्रचार जल्द ही खत्म हो जाएंगे और फिर 12 मई को वोटिंग के बाद 15 मई तक नतीजे भी आ जाएंगे - लेकिन इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड कौन है बाद में ही मालूम हो पाएगा.
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